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भागलपुर: बाढ़ का पानी निकलने के बाद महामारी को रोकने के लिए सारी तैयारी पूरी - BHAGALPUR NEWS

भागलपुर में प्रशासन के लिए बाढ़ का पानी निकलते ही कोई दूसरी महामारी ना फैलने दें. इसकी चुनौती है. हालांकि बिहार के उपमुख्यमंत्री और भागलपुर जिला प्रशासन ने दावा किया है कि पानी निकलने के बाद महामारी फैलने की आशंका को दूर करने के लिए, स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी तैयारी पूरी कर ली गई है.

महामारी को रोकने के लिए सारी तैयारी पूरी
महामारी को रोकने के लिए सारी तैयारी पूरी
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Published : Aug 21, 2021, 7:03 AM IST

भागलपुर: बिहार के भागलपुर में बाढ़ प्रभावित इलाकों (Flood Effected Areas) में बाढ़ का (Flood Water) पानी धीरे-धीरे कम होने लगा है. बाढ़ पीड़ितों (Flood Victims) की मुश्किलें लेकिन अभी भी कम नहीं हो रही है. अभी भी गंगा का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. जलस्तर कम होने के बाद प्रभावित लोगों की परेशानी कम नहीं होने वाली है. पानी कम होने के बाद सड़कों और गांवों के आसपास फैले कचरे और घास-पात के सड़ने की वजह से दुर्गंध बढ़ेगी. जिससे बीमारी फैलने का डर है.

ये भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर: बारिश से मीनापुर में बिगड़े हालात, 1 महीने के भीतर दुबारा घुसा बाढ़ का पानी

गंदगी के कारण मच्छर भी बढ़ेंगे. बाढ़ का पानी कम होने के बाद लोग अपने-अपने घर लौटने लगेंगे. ऐसे में मच्छर के प्रकोप से भी बीमारी फैलने का डर है. प्रभावित क्षेत्र के अधिकतर पियाऊ डूब गए हैं. ऐसे में पेयजल की समस्या भी होगी. बता दें कि बाढ़ से उभरे क्षेत्रों में मलेरिया, डायरिया, नेत्र और चर्म रोग जैसी बीमारी फैलने की आशंका रहती है .

देखें वीडियो

ऐसे में जिला प्रशासन के लिए चुनौती होगी कि बाढ़ का पानी निकलते ही कोई दूसरी महामारी ना फैलने दें. हालांकि बिहार के उपमुख्यमंत्री और भागलपुर जिला प्रशासन ने दावा किया है कि पानी निकलने के बाद महामारी फैलने की आशंका को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी तैयारी पूरी कर ली गई है.

ये भी पढें- गंगा बहा ले गयी पटना दियरा के दूध की कमाई, पटना में बढ़ गयी महंगाई

पानी निकलने के बाद आवश्यक दवाई और महामारी को रोकने के लिए ब्लीचिंग पाउडर और दवाई छिड़काव किया जाएगा. बाढ़ के कारण जिले में करोड़ों रुपए की फसल बर्बाद हो गई है. दूसरी और बाढ़ के जमे पानी में फसलों के सड़ने का भी सिलसिला शुरू हो गया है.

जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि भागलपुर में जलस्तर धीरे-धीरे कम होने लगा है. लेकिन गंगा अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. पानी निकलने के बाद बीमारी नहीं फैले उसको लेकर स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट कर दिया गया है. पानी निकलने के बाद बाढ़ प्रभावित इलाके में आवश्यक दवाई और छिड़काव किया जाएगा.

ये भी पढें- बिहार में 37 लाख लोग झेल रहे हैं बाढ़ की आफत, पीड़ितों में बांटे गये 222 करोड़

'जितने भी पियाऊ डूब गए हैं या बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. उसकी भी साफ सफाई कर शुरू किया जाएगा. फसल क्षति को लेकर भी मुआवजा किसानों को दिया जाएगा.' : सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी

'बाढ़ का पानी निकलने के बाद हमेशा महामारी फैलने की आशंका होती है. इसलिए स्वास्थ्य विभाग को सभी आवश्यक दिशा निर्देश दे दिए गए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने भी पूरी तैयारी कर रखी है. पहले से ही हम लोग बाढ़ की चुनौती को फेस कर रहे हैं. बाढ़ के बाद हल्की सी भी चूक से दूसरी चुनौती को भी फेस करना पड़ेगा. सारी तैयारी पूरी है. जिन किसानों की फसल क्षति हुई है. उसका भी सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है. किसानों को उनकी फसल का मुआवजा भी दिया जाएगा.' : तार किशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री

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बता दें कि भागलपुर के 16 प्रखंड मे 15 प्रखंड बाढ़ से प्रभावित है. 15 प्रखंड के 134 पंचायत प्रभावित हैं. 520 गांव के 830300 लोग प्रभावित हैं . करीब 68500 पशु प्रभावित हैं. बाढ के कारण 43463.15 हेक्टेयर फसल नष्ट हुई है. 59 कच्चा मकान क्षतिग्रस्त हुआ है. जिसमें से 5602 झोपड़ी क्षतिग्रस्त हुई है.

अबतक 7000 सूखा फूड पैकेट वितरण हुआ है. प्रभावित क्षेत्र में 199 नाव चलाए जा रहे हैं. प्रभावित परिवार के लिए 9 राहत शिविर चलाई जा रही है. जबकि 203 समुदायिक किचन चलाई जा रही है. 22 स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं. प्रभावित परिवारों के बीच 26380 पॉलीथिन सीट का वितरण किया गयाा. प्रभावित इलाकों में 16 मोटर बोट चलायी जा रही हैं.

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भागलपुर: बिहार के भागलपुर में बाढ़ प्रभावित इलाकों (Flood Effected Areas) में बाढ़ का (Flood Water) पानी धीरे-धीरे कम होने लगा है. बाढ़ पीड़ितों (Flood Victims) की मुश्किलें लेकिन अभी भी कम नहीं हो रही है. अभी भी गंगा का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. जलस्तर कम होने के बाद प्रभावित लोगों की परेशानी कम नहीं होने वाली है. पानी कम होने के बाद सड़कों और गांवों के आसपास फैले कचरे और घास-पात के सड़ने की वजह से दुर्गंध बढ़ेगी. जिससे बीमारी फैलने का डर है.

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गंदगी के कारण मच्छर भी बढ़ेंगे. बाढ़ का पानी कम होने के बाद लोग अपने-अपने घर लौटने लगेंगे. ऐसे में मच्छर के प्रकोप से भी बीमारी फैलने का डर है. प्रभावित क्षेत्र के अधिकतर पियाऊ डूब गए हैं. ऐसे में पेयजल की समस्या भी होगी. बता दें कि बाढ़ से उभरे क्षेत्रों में मलेरिया, डायरिया, नेत्र और चर्म रोग जैसी बीमारी फैलने की आशंका रहती है .

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ऐसे में जिला प्रशासन के लिए चुनौती होगी कि बाढ़ का पानी निकलते ही कोई दूसरी महामारी ना फैलने दें. हालांकि बिहार के उपमुख्यमंत्री और भागलपुर जिला प्रशासन ने दावा किया है कि पानी निकलने के बाद महामारी फैलने की आशंका को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी तैयारी पूरी कर ली गई है.

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पानी निकलने के बाद आवश्यक दवाई और महामारी को रोकने के लिए ब्लीचिंग पाउडर और दवाई छिड़काव किया जाएगा. बाढ़ के कारण जिले में करोड़ों रुपए की फसल बर्बाद हो गई है. दूसरी और बाढ़ के जमे पानी में फसलों के सड़ने का भी सिलसिला शुरू हो गया है.

जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि भागलपुर में जलस्तर धीरे-धीरे कम होने लगा है. लेकिन गंगा अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. पानी निकलने के बाद बीमारी नहीं फैले उसको लेकर स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट कर दिया गया है. पानी निकलने के बाद बाढ़ प्रभावित इलाके में आवश्यक दवाई और छिड़काव किया जाएगा.

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'जितने भी पियाऊ डूब गए हैं या बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. उसकी भी साफ सफाई कर शुरू किया जाएगा. फसल क्षति को लेकर भी मुआवजा किसानों को दिया जाएगा.' : सुब्रत कुमार सेन, जिलाधिकारी

'बाढ़ का पानी निकलने के बाद हमेशा महामारी फैलने की आशंका होती है. इसलिए स्वास्थ्य विभाग को सभी आवश्यक दिशा निर्देश दे दिए गए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने भी पूरी तैयारी कर रखी है. पहले से ही हम लोग बाढ़ की चुनौती को फेस कर रहे हैं. बाढ़ के बाद हल्की सी भी चूक से दूसरी चुनौती को भी फेस करना पड़ेगा. सारी तैयारी पूरी है. जिन किसानों की फसल क्षति हुई है. उसका भी सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है. किसानों को उनकी फसल का मुआवजा भी दिया जाएगा.' : तार किशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री

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बता दें कि भागलपुर के 16 प्रखंड मे 15 प्रखंड बाढ़ से प्रभावित है. 15 प्रखंड के 134 पंचायत प्रभावित हैं. 520 गांव के 830300 लोग प्रभावित हैं . करीब 68500 पशु प्रभावित हैं. बाढ के कारण 43463.15 हेक्टेयर फसल नष्ट हुई है. 59 कच्चा मकान क्षतिग्रस्त हुआ है. जिसमें से 5602 झोपड़ी क्षतिग्रस्त हुई है.

अबतक 7000 सूखा फूड पैकेट वितरण हुआ है. प्रभावित क्षेत्र में 199 नाव चलाए जा रहे हैं. प्रभावित परिवार के लिए 9 राहत शिविर चलाई जा रही है. जबकि 203 समुदायिक किचन चलाई जा रही है. 22 स्वास्थ्य केंद्र चल रहे हैं. प्रभावित परिवारों के बीच 26380 पॉलीथिन सीट का वितरण किया गयाा. प्रभावित इलाकों में 16 मोटर बोट चलायी जा रही हैं.

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