बेगूसराय: जिले के बलिया अवर निबंधन कार्यालय में जमीन निबंधन के नाम पर अवैध वसूली का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस धंधे में कार्यालय के कर्मी से लेकर जमीन के दलाल तक शामिल हैं. इसका खामियाजा जमीन बेचने और खरीदने वालों को भुगतना पड़ रहा है. जांच के नाम पर जमीन का निबंधन लटकाया जाता है. इसके साथ ही निबंधन के नाम पर घूस की मांग की जाती है. एक ऐसे ही मामले में रजिस्ट्रार ने आरोप लगाने वाली महिला के खिलाफ 1 करोड़ रुपए की मानहानि का केस दर्ज कराने की चेतावनी दी है.
बलिया नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड नं. 10 के मौलाना चक निवासी सुरेंद्र साह की पत्नी विभा देवी से रजिस्ट्री के बदले पैसे की मांग की गई थी. इस संबंध में पीड़िता ने अनुमंडल लोक शिकायत निवारण अधिकारी से लिखित शिकायत की है.
लोक शिकायत निवारण अधिकारी को दिए आवेदन में पीड़िता ने बताया है कि लखमिनियां बहियार में चचेरी सास (हरेराम साह की पत्नी हीरा देवी) से पौने दो कट्ठा जमीन की खरीद की बात तय हुई थी. इसके निबंधन के लिए 29 दिसंबर 2020 को निबंधन कार्यालय में दस्तावेज दाखिल किया गया था.
प्रधान लिपिक ने की 60 हजार रुपए घूस की मांग
निबंधन पदाधिकारी द्वारा 30 दिसंबर को जमीन के स्वरूप की स्थिति की जांच के लिए रजिस्ट्री कार्यालय के प्रधान लिपिक दिवाकर सिंह को भेजा गया था. जांच के दौरान प्रधान लिपिक ने जमीन खरीदने वाले से निबंधन में आने वाले खर्च के अलावा अलग से 60 हजार रुपए घूस देने की मांग की. उन्होंने कहा कि पैसे न दिए तो भीठ की जमीन को बांस की जमीन में होने का रिपोर्ट जमा कर देंगे. इसकी शिकायत पीड़िता और उसकी सास ने निबंधन पदाधिकारी से की तो उन्होंने बड़ा बाबू जो कहेंगे वही होगा, कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया.
इस संबंध में निबंधन कार्यालय के प्रधान लिपिक दिवाकर सिंह ने बताया कि महिला द्वारा लगाया गया आरोप बिल्कुल बेबुनियाद हैं. जांच में उक्त जमीन भीठ की जमीन पाया गया. गौरतलब है कि 2 दिन पहले भी बलिया प्रखंड के परमानंदपुर पंचायत के लाल दियारा निवासी राम सकल यादव ने भी जमीन के निबंधन के नाम पर अवैध वसूली करने का आरोप लगाया था. उन्होंने इसकी शिकायत बलिया एसडीओ से भी की थी.
बेबुनियाद है आरोप
अवर निबंधन पदाधिकारी गायत्री अग्रवाल ने बताया कि पीड़िता द्वारा अवैध वसूली करने की मांग करने का आरोप बेबुनियाद और निराधार है. इसको लेकर विभा देवी के ऊपर एक करोड़ का मानहानि का मुकदमा दर्ज करूंगी. उसने जमीन निबंधन से संबंधित कोई दस्तावेज कार्यालय में पेश ही नहीं किया. सिर्फ जांच की मांग की गई थी. जिस मांग के आलोक में जांच कराई गई. रिपोर्ट मेरे सामने अभी तक नहीं आया है.