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Budget 2023 : कृषि जगत के लिए घोषणा, स्टार्ट अप और डिजिटल विकास पर जोर

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज सदन में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्णकालिक बजट पेश किया. 2024 में आम चुनाव को देखते हुए किसानों की उम्मीदों पर खड़ा उतरने के लिए वित्त मंत्री ने कई कदम उठाये हैं. इस बार के बजट में पीएम मत्स्य योजना की शुरुआत करने की घोषणा की गई. पढ़ें पूरी खबर.

बजट 2023 में कृषि सेक्टर
Budget 2023 on Agriculture
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Published : Feb 1, 2023, 11:19 AM IST

Updated : Feb 1, 2023, 12:12 PM IST

नई दिल्लीः बजट को लेकर किसानों में भी कौतूहल बना रहता है. वे जानना चाहते हैं कि सरकार ने उनके लिए कितनी राहत दी है. इस बजट में किसानों के लिए क्या है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन में बजट पेश कर चुकी हैं. बजट के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार किसानों को कई राहतें देने का प्रयास किया गया है.

कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ किया जायेगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार का आर्थिक एजेंडा नागरिकों के लिए अवसरों को सुविधाजनक बनाने, विकास और रोजगार सृजन को मजबूत गति प्रदान करने के साथ-साथ व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने पर केंद्रित है. सीतारमण ने बुधवार को 2023-24 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए अपने भाषण में कहा, 'बजट के सात प्राथमिकता वाले क्षेत्र समावेशी विकास, अंतिम मील तक पहुंचना, बुनियादी ढांचा और निवेश, क्षमता को उजागर करना, हरित विकास, युवा और वित्तीय क्षेत्र हैं.' उन्होंने आगे बताया कि कृषि स्टार्टअप के लिए कृषि त्वरक कोष स्थापित किया जाएगा. वित्त मंत्री ने बताया कि पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान देने के साथ कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा. सीतारमण ने यह भी घोषणा की है कि छोटे और सीमांत किसानों का समर्थन करने के लिए एक सहकारी-आधारित मॉडल अपनाया गया है.

मोटे अनाज के लिए भारत बनेगा ग्लोबल हब
-मोटे अनाज (श्रीअन्ना) बाजरा, रागी, रामदाना, कुंगनी, कुट्टू के उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा
-श्रीअन्ना को बढ़ावा देने के लिए मिलेट इंस्टीच्यूट हैदराबाद की मदद से काम किया जायेगा.
-मोटे अनाज का भारत बड़ा निर्यातक है. निर्यात को और अधिक बढ़ावा दिया जायेगा.

मछली पालन को बढ़ावा दिया जायेगा
-मछली उत्पादन के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य पालन योजना लाया जायेगा.
-पीएम मत्स्य पालन योजना के लिए उत्पादन, भंडारण, परिवहन और बाजार उपलब्ध कराने पर फोकस
-मछली पालन के लिए तकनीकि सहायता और ट्रेनिंग दिया जायेगा
-63000 एग्री सोसाइटी को कंप्यूटराइज किया जायेगा
-पशुपालन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिया जायेगा

पीएम मत्स्य योजना से मछली पालन बढ़ाया जायेगा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 'श्री अन्न' (मोटे अनाज) को बढ़ावा दिया जायेगा. कृषि में कलस्टर सिस्टम को बढ़ावा के साथ-साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को लाया जायेगा. किसानों को आधुनिक तकनीक के माध्यम से बेहतर उत्पाद के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. साथ ही उनके उत्पाद को बाजार उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाया जायेगा. पीएम मत्स्य योजना के माध्यम से मछली पालन को बढ़ावा दिया जायेगा. इसके लिए 6000 करोड़ योजना बनाई गई है.

इस बजट से पहले सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए हैं, इस पर एक नजर
मोदी सरकार ने 2016 में देश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया था. इसके लिए सरकार ने एक समिति बनाई थी. समिति ने सरकार को कई सुझाव दिए थे. इस सुझाव के आधार पर ही सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि की शुरुआत की थी. वित्तीय वर्ष 2015-16 में सरकार ने कृषि और किसान कल्याण के लिए 25460.51 करोड़ रुपये का बजट दिया था. पिछले साल तक यह बजट पांच गुना बढ़ चुका है. 2022-23 के लिए यह बजट 138550.93 करोड़ का था. पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 11.3 करोड़ किसानों को प्रति वर्ष छह हजार रुपये दिए जाते हैं.

कृषि और संबद्ध उत्पादों के निर्यात में 18 प्रतिशत की वृद्धि
आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार कृषि का खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करके देश के समग्र विकास और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. भारतीय कृषि क्षेत्र 4.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है. पिछले छह वर्षों के दौरान यह 2020 में 3.3 प्रतिशत की तुलना में 2021-22 में 3.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई. हाल के वर्षों में, भारत भी तेजी से कृषि उत्पादों के शुद्ध निर्यातक के रूप में उभरा है. 2020-21 में, भारत से कृषि और संबद्ध उत्पादों के निर्यात में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई. बीते साल 2021-22 के दौरान, कृषि निर्यात 50.2 अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया.

फूड एवं प्रोसेसिंग में मोदी सरकार की नीतियों का दिख रहा है असर
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नीति का उपयोग फसल विविधिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा रहा है. 2014 की एसएएस रिपोर्ट की तुलना में नवीनतम सिचुएशन असेसमेंट सर्वे (एसएएस) में फसल उत्पादन से शुद्ध प्राप्तियों में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई. पशुपालन, डेयरी तथा मछलीपालन सहित संबंधित क्षेत्र तेजी से उच्च वृद्धि वाले क्षेत्र के रूप में तथा कृषि क्षेत्र में सम्पूर्ण वृद्धि के प्रमुख प्रेरक के रूप में उभर रहे हैं. 2019-20 में समाप्त होने वाले पिछले पांच वर्षों में पशुधन क्षेत्र 8.15 प्रतिशत के सीएजीआर पर बढ़ा रहा. कृषि परिवारों के विभिन्न समूहों में यह स्थाई आय का साधन रहा है और ऐसे उन परिवारों की औसत मासिक आय का यह लगभग 15 प्रतिशत है. अवसंरचना विकास, रियायती परिवहन तथा माइक्रो खाद्य उद्यमों के औपचारिकरण के लिए समर्थन जैसे विभिन्न उपायों के माध्यम से सरकार खाद्य प्रसंस्करण को सहायता देती है. भारत विश्व का सबसे बड़ा खाद्य प्रबंधन कार्यक्रम चलाता है. सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) जैसी योजनाओं के माध्यम से खाद्य सुरक्षा नेटवर्क कवरेज का और अधिक विस्तार किया है.

फसल बीमा से किसानों को आपदा के बाद होता है फायदा
पीएम फसल बीमा योजना 2016 में शुरू की गई थी. करीब साढ़े छह करोड़ किसानों ने इसमें अपना नाम दर्ज करवाया है. एक अनुमान है कि किसानों द्वारा भुगतान किए गए प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम पर उन्हें दावों के रूप में लगभग 493 रुपये का भुगतान किया गया है. बता दें कि 2022-23 के बजट में रसायण मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गंगा किनारे 5 किमी चौड़े क्षेत्र में आर्गेनिक खेती के बजट का प्रावधान किया था. इस क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है.

क्या है किसानों की श्रेणी
कृषि मंत्रालय के अनुसार सीमांत किसान (Marginal) जिनके पास एक हेक्टेर से कम जमीन है. वहीं छोटा किसान उन्हें माना जाता है जिनके पास 1-1.99 हेक्टेयर जमीन हो. सेमी मीडियम किसान की श्रेणी में 4- 9.99 हेक्टेयर जमीन वाले किसानों को रखा जाता है. वहीं 10 हेक्टेयर या उससे अधिक जोत वाले किसानों को बड़े किसान की श्रेणी में रखा गया है. बता दें कि नाबार्ड की ओर से 2017 में जारी रिपोर्ट के अनुसार किसानों की मासिक आय 8,931 रुपये है. मोदी सरकार लगातार काम कर रही है.

कृषि

2020-2021 2021-22 2022-23 2023-24

राशि (करोड़ में) 134420 147764 151521

ये भी पढ़ें- UNION BUDGET 2014-2022 : नये बजट के पहले जानिए मोदी सरकार के पुराने बजट की कहानी

नई दिल्लीः बजट को लेकर किसानों में भी कौतूहल बना रहता है. वे जानना चाहते हैं कि सरकार ने उनके लिए कितनी राहत दी है. इस बजट में किसानों के लिए क्या है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन में बजट पेश कर चुकी हैं. बजट के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार किसानों को कई राहतें देने का प्रयास किया गया है.

कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ किया जायेगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार का आर्थिक एजेंडा नागरिकों के लिए अवसरों को सुविधाजनक बनाने, विकास और रोजगार सृजन को मजबूत गति प्रदान करने के साथ-साथ व्यापक आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने पर केंद्रित है. सीतारमण ने बुधवार को 2023-24 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए अपने भाषण में कहा, 'बजट के सात प्राथमिकता वाले क्षेत्र समावेशी विकास, अंतिम मील तक पहुंचना, बुनियादी ढांचा और निवेश, क्षमता को उजागर करना, हरित विकास, युवा और वित्तीय क्षेत्र हैं.' उन्होंने आगे बताया कि कृषि स्टार्टअप के लिए कृषि त्वरक कोष स्थापित किया जाएगा. वित्त मंत्री ने बताया कि पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान देने के साथ कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा. सीतारमण ने यह भी घोषणा की है कि छोटे और सीमांत किसानों का समर्थन करने के लिए एक सहकारी-आधारित मॉडल अपनाया गया है.

मोटे अनाज के लिए भारत बनेगा ग्लोबल हब
-मोटे अनाज (श्रीअन्ना) बाजरा, रागी, रामदाना, कुंगनी, कुट्टू के उत्पादन को बढ़ावा दिया जायेगा
-श्रीअन्ना को बढ़ावा देने के लिए मिलेट इंस्टीच्यूट हैदराबाद की मदद से काम किया जायेगा.
-मोटे अनाज का भारत बड़ा निर्यातक है. निर्यात को और अधिक बढ़ावा दिया जायेगा.

मछली पालन को बढ़ावा दिया जायेगा
-मछली उत्पादन के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य पालन योजना लाया जायेगा.
-पीएम मत्स्य पालन योजना के लिए उत्पादन, भंडारण, परिवहन और बाजार उपलब्ध कराने पर फोकस
-मछली पालन के लिए तकनीकि सहायता और ट्रेनिंग दिया जायेगा
-63000 एग्री सोसाइटी को कंप्यूटराइज किया जायेगा
-पशुपालन और डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिया जायेगा

पीएम मत्स्य योजना से मछली पालन बढ़ाया जायेगा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 'श्री अन्न' (मोटे अनाज) को बढ़ावा दिया जायेगा. कृषि में कलस्टर सिस्टम को बढ़ावा के साथ-साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को लाया जायेगा. किसानों को आधुनिक तकनीक के माध्यम से बेहतर उत्पाद के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. साथ ही उनके उत्पाद को बाजार उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाया जायेगा. पीएम मत्स्य योजना के माध्यम से मछली पालन को बढ़ावा दिया जायेगा. इसके लिए 6000 करोड़ योजना बनाई गई है.

इस बजट से पहले सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए हैं, इस पर एक नजर
मोदी सरकार ने 2016 में देश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया था. इसके लिए सरकार ने एक समिति बनाई थी. समिति ने सरकार को कई सुझाव दिए थे. इस सुझाव के आधार पर ही सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि की शुरुआत की थी. वित्तीय वर्ष 2015-16 में सरकार ने कृषि और किसान कल्याण के लिए 25460.51 करोड़ रुपये का बजट दिया था. पिछले साल तक यह बजट पांच गुना बढ़ चुका है. 2022-23 के लिए यह बजट 138550.93 करोड़ का था. पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 11.3 करोड़ किसानों को प्रति वर्ष छह हजार रुपये दिए जाते हैं.

कृषि और संबद्ध उत्पादों के निर्यात में 18 प्रतिशत की वृद्धि
आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार कृषि का खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करके देश के समग्र विकास और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. भारतीय कृषि क्षेत्र 4.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है. पिछले छह वर्षों के दौरान यह 2020 में 3.3 प्रतिशत की तुलना में 2021-22 में 3.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई. हाल के वर्षों में, भारत भी तेजी से कृषि उत्पादों के शुद्ध निर्यातक के रूप में उभरा है. 2020-21 में, भारत से कृषि और संबद्ध उत्पादों के निर्यात में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई. बीते साल 2021-22 के दौरान, कृषि निर्यात 50.2 अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया.

फूड एवं प्रोसेसिंग में मोदी सरकार की नीतियों का दिख रहा है असर
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नीति का उपयोग फसल विविधिकरण को प्रोत्साहित करने के लिए किया जा रहा है. 2014 की एसएएस रिपोर्ट की तुलना में नवीनतम सिचुएशन असेसमेंट सर्वे (एसएएस) में फसल उत्पादन से शुद्ध प्राप्तियों में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई. पशुपालन, डेयरी तथा मछलीपालन सहित संबंधित क्षेत्र तेजी से उच्च वृद्धि वाले क्षेत्र के रूप में तथा कृषि क्षेत्र में सम्पूर्ण वृद्धि के प्रमुख प्रेरक के रूप में उभर रहे हैं. 2019-20 में समाप्त होने वाले पिछले पांच वर्षों में पशुधन क्षेत्र 8.15 प्रतिशत के सीएजीआर पर बढ़ा रहा. कृषि परिवारों के विभिन्न समूहों में यह स्थाई आय का साधन रहा है और ऐसे उन परिवारों की औसत मासिक आय का यह लगभग 15 प्रतिशत है. अवसंरचना विकास, रियायती परिवहन तथा माइक्रो खाद्य उद्यमों के औपचारिकरण के लिए समर्थन जैसे विभिन्न उपायों के माध्यम से सरकार खाद्य प्रसंस्करण को सहायता देती है. भारत विश्व का सबसे बड़ा खाद्य प्रबंधन कार्यक्रम चलाता है. सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) जैसी योजनाओं के माध्यम से खाद्य सुरक्षा नेटवर्क कवरेज का और अधिक विस्तार किया है.

फसल बीमा से किसानों को आपदा के बाद होता है फायदा
पीएम फसल बीमा योजना 2016 में शुरू की गई थी. करीब साढ़े छह करोड़ किसानों ने इसमें अपना नाम दर्ज करवाया है. एक अनुमान है कि किसानों द्वारा भुगतान किए गए प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम पर उन्हें दावों के रूप में लगभग 493 रुपये का भुगतान किया गया है. बता दें कि 2022-23 के बजट में रसायण मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गंगा किनारे 5 किमी चौड़े क्षेत्र में आर्गेनिक खेती के बजट का प्रावधान किया था. इस क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है.

क्या है किसानों की श्रेणी
कृषि मंत्रालय के अनुसार सीमांत किसान (Marginal) जिनके पास एक हेक्टेर से कम जमीन है. वहीं छोटा किसान उन्हें माना जाता है जिनके पास 1-1.99 हेक्टेयर जमीन हो. सेमी मीडियम किसान की श्रेणी में 4- 9.99 हेक्टेयर जमीन वाले किसानों को रखा जाता है. वहीं 10 हेक्टेयर या उससे अधिक जोत वाले किसानों को बड़े किसान की श्रेणी में रखा गया है. बता दें कि नाबार्ड की ओर से 2017 में जारी रिपोर्ट के अनुसार किसानों की मासिक आय 8,931 रुपये है. मोदी सरकार लगातार काम कर रही है.

कृषि

2020-2021 2021-22 2022-23 2023-24

राशि (करोड़ में) 134420 147764 151521

ये भी पढ़ें- UNION BUDGET 2014-2022 : नये बजट के पहले जानिए मोदी सरकार के पुराने बजट की कहानी

Last Updated : Feb 1, 2023, 12:12 PM IST
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