मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को लेकर केंद्रीय बैंक की सबसे बड़ी चिंता काला धन सफेद करने और मूल्यांकन से जुड़ी अस्पष्टता को लेकर है.
विश्वनाथन ने बुधवार को आयोजित आठवें एसबीआई बैंकिंग एवं आर्थिक सम्मेलन में कहा कि अगर सरकार क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता दे देती है तो बैंकरों को इसे लेकर काफी सजग रहना होगा और उन्हें किसी भी व्यक्ति के धन का अंदाजा उसके पास मौजूद क्रिप्टो परिसंपत्ति के आधार पर करने से परहेज करना होगा.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास लगातार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंता जताते रहे हैं. उनका कहना है कि इससे बहुत गहरी चिंताएं जुड़ी हुई हैं जो देश की आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं. सरकार भी इस बारे में संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक लाने पर विचार कर रही है.
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विश्वनाथन ने कहा कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा है कि केंद्रीय बैंक की चिंता मूलतः दो क्षेत्रों को लेकर है. पहला क्रिप्टोकरेंसी को काला धन सफेद करने के लिए एक संभावित जरिया माना जा रहा है. दूसरी चिंता इस मुद्रा के मूल्यांकन को लेकर है. पूर्व डिप्टी गवर्नर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को अभौतिक मुद्रा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस आभासी मुद्रा का मूल्य तय करने वाले पहलुओं के बारे में अभी कुछ ज्यादा पता नहीं है.
इस बीच केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (Bjp) के सांसद निशिकांत दुबे ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल मादक पदार्थों एवं मानव तस्करी जैसे गैरकानूनी कार्यों में किया जा सकता है लिहाजा इस पर पाबंदी लगाना ही उचित होगा.
दुबे ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी को भारत के बैंकिंग नेटवर्क से पूरी तरह बाहर रखना होगा और इसके लिए इसके कारोबार एवं निवेश पर पूर्ण पाबंदी लगानी होगी. उन्होंने इस दिशा में कदम उठाने का प्रधानमंत्री से अनुरोध किया. संसद की वित्त मामलों की समिति ने पिछले सोमवार को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े तमाम पहलुओं पर चर्चा की थी. भाजपा के सांसद जयंत सिन्हा इस समिति के अध्यक्ष हैं.
(पीटीआई-भाषा)