सिंगापुर: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने अगले साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर 7 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान जताया है. मौद्रिक नीति के जरिये प्रोत्साहन और कंपनी कर में कटौती जैसे उपायों से आर्थिक वृद्धि में तेजी आने की उम्मीद है.
आईएमएफ के एशिया प्रशांत विभाग के उप-निदेशक जोनाथन ओस्ट्री ने संवाददाताओं से कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष (2020-21) में सात प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है. चालू वित्त वर्ष में इसके 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. मौद्रिक नीति प्रोत्साहन जैसे उपायों से आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी."
उन्होंने कहा कि हाल में कर कटौती, सरकार के वित्तीय क्षेत्र में समस्याओं को दूर करने के लिये उठाये गये कदमों तथा विभिन्न क्षेत्रों को समर्थन देने के उपायों से निकट भविष्य में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में सुधार की उम्मीद है.
हाल की तिमाहियों में भारतीय अथर्व्यवस्था की नरमी के बारे में ओस्ट्री ने कहा, "वास्तव में इससे आईएमएफ समेत हममें से कइयों को अचंभा हुआ." उन्होंने कहा, "नरमी का कोई एक कारण नहीं है. इसके कई कारण हैं. इनमें कंपनी तथा नियामकीय माहौल को लेकर अनिश्चितताएं, गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में दबाव तथा ग्रामीण क्षेत्र में दबाव समेत अन्य कारण हैं."
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क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरईसीपी) के बारे में पूछे जाने पर आईएमएफ के एशिया प्रशांत विभाग के उप-निदेशक ने कहा कि मुक्त व्यापार भागीदारी समझौते में सेवा क्षेत्र को शामिल करने के महत्व को रेखांकित किया गया है.
इस समझौते के जल्दी ही निष्कर्ष पर पहुंचने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में आर्थिक वृद्धि को सतत बनाये रखने के लिये एकीकरण जैसी चीजें जरूरी हैं. "इसके लिये न केवल वस्तु व्यापार की जरूरत है बल्कि सबसे महत्वपूर्ण सेवा व्यापार की भी आवश्यकता है. यह भारत और दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिये वृद्धि का मजबूत इंजन उपलब्ध करा सकता है."
आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार भारत की सेवा क्षेत्र में सफलता उल्लेखनीय है. यह दुनिया की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सेवा निर्यात को साझा करता है जो एक दशक में तीन गुना हो गया है. जहां 2000 में यह 6.3 प्रतिशत था वह 2010 में 17.8 प्रतिशत हो गया. यह वैश्विक स्तर परा क्षेत्र के लिये सबसे बड़ी वृद्धि है.