नई दिल्ली: आईएचएस मार्किट ने शुक्रवार को कहा कि कॉरपोरेट कर की दरों में अब तक की सबसे बड़ी कटौती से कंपनियों के लिये वैश्विक प्रतिस्पर्धिता में काम करने में मदद मिलेगी. इससे मध्यम अवधि में कंपनियों के लिए निवेश बढ़ाने में भी मिदद मिल सकेगी.
उसने एक रिपोर्ट में कहा कि हालिया तिमाहियों में आर्थिक सुस्ती के संकेत मिल रहे थे. कार्पोरेट कर में सुधार के ये उपाय इस नरमी को भी परिलक्षित करते हैं. साथ साथ इससे विनिर्माण केंद्र के तौर पर भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ाने की जरूरत को भी रेखांकित किया गया है.
उसने कहा, "भारत सरकार ने 20 सितंबर को कॉरपोरेट कर की दरों को लेकर एक बड़े सुधार की घोषणा की. अन्य एशियाई औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत कॉरपोरेट कर की दर को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये ऐसे कदम की उम्मीद थी."
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आईएचएस मार्किट ने कहा कि कॉरपोरेट कर की कम दरों से देश में मध्यम अवधि में कॉरपोरेट निवेश में सुधार होगा. इससे यह भी पता चलता है कि वैश्विक वित्तीय नीतियों का झुकाव अब कॉरपोरेट कर की कम दरों को कम किए जाने की ओर हो गया है.
उसने कहा, "ओईएसडी में औसत कॉरपोरेट कर 2000 में 32.50 प्रतिशत था जो कम होकर 2018 में 23.90 प्रतिशत पर आ गया. अमेरिका और ब्रिटेन में हालिया कुछ वर्ष के दौरान कॉरपोरेट कर में उल्लेखनीय कटौती की गयी है."
रिपोर्ट में कहा गया, "सेवा कंपनियों को सर्वाधिक फायदा होने वाला है. रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं, पूंजीगत वस्तुओं तथा इस्पात क्षेत्र की विनिर्माण कंपनियों को भी फायदा होगा."