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बजट 2020: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के सामने हैं ये 10 बड़ी चुनौतियां

बजट में महिला सुरक्षा से लेकर बिजली, पानी और स्वास्थ्य तक से जुड़ी अहम घोषणाएं हो सकती हैं. यहां पढ़िए इस बजट में वित्त मंत्री के सामने क्या होंगी बड़ी चुनौतियां.

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Published : Feb 1, 2020, 5:51 AM IST

Updated : Feb 28, 2020, 5:54 PM IST

बजट 2020: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के सामने हैं ये 10 बड़ी चुनौतियां
बजट 2020: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के सामने हैं ये 10 बड़ी चुनौतियां

नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर नरमी और गिरती अर्थव्यवस्ता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी. बजट में राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि तथा रोजगार सृजन को गति देने पर सरकार का जोर रह सकता है.

बजट में महिला सुरक्षा से लेकर बिजली, पानी और स्वास्थ्य तक से जुड़ी अहम घोषणाएं हो सकती हैं. यहां पढ़िए इस बजट में वित्त मंत्री के सामने क्या होंगी बड़ी चुनौतियां.

रोजगार पैदा करना
लगातार इकोनॉमी में स्लोडाउन के चलते युवाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. मोदी सरकार से उम्मीद है कि रोजगार बढ़ाने के लिए वो ऐसी योजनाओं को लाएगी जिससे आने वाले सालों में देश के युवाओं को रोजगार मिलने में तेजी आ सके.

मांग को बढ़ाना
वित्तमंत्री के सामने सबसे महत्वपूर्ण चुनौती उपभोक्ताओं की मांगों को बढ़ाना. जिसके लिए आम आदमी के हाथ में अधिक धन देने की आवश्यकता है. टैक्स दर में कटौती और रोजगार सृजन से सरकार इस बढ़ा सकती है.

व्यापार युद्ध
चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध ने भी भारत को विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया है. यहां तक ​​कि भारत और अमेरिका के बीच मतभेद भी हैं क्योंकि उन्होंने अभी तक सीमित व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. व्यापार तनाव बढ़ने से कर संग्रह और देश के निर्यात और आयात प्रभावित हो सकते हैं.

आर्थिक मंदी से निपटना
वित्तवर्ष 2019-20 के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5 प्रतिशत. यह पिछले 11 साल में सबसे कम है. सरकार को ग्रोथ बढ़ाने के लिए छोटे-मोटे उपाय की नहीं, बल्कि बड़े संरचनागत सुधार की जरूरत. आर्थिक मंदी को टक्कर देने के लिए सरकार को लम्बे समय तक सक्रिय रहना होगा, कठोर आर्थिक नीतियों को लचीला बनाना होगा.

पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था को हासिल करना
इस लक्ष्य को पाने के लिये बड़े पैमाने पर निजी निवेश होना जरूरी है. सरकारी निवेश के दम पर इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है. बुनियादी संरचना क्षेत्र में भारी निवेश की जरूरत है ताकि इसके परिणामस्वरूप सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को गति मिल सके.

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना
सरकार ने देश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए पहले ही कॉर्पोरेट कर की दर घटा दी है. सरकार भी व्यापार रैंकिंग करने में आसानी को और बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है ताकि अधिक मल्टी नेशनल कंपनियां भारत में आ सकें और लोगों के लिए नौकरी के अवसर प्रदान कर सकें.

महंगाई पर काबू पाना
देश में बढ़ती महंगाई पर राजग सरकार के लिए एक नया संकट खड़ा होनेवाला है. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण दिसंबर 2019 में मुद्रास्फीति बढ़कर 7.35 प्रतिशत हो गई है. सरकार को जल्द से जल्द इस ओर कोई ठोस कदम उठाने होंगे.

राजकोषीय घाटे को साधना होगा
वर्ष 2019-20 का राजकोषीय घाटा बजट अनुमान जीडीपी के 3.4 प्रतिशत की बजाय 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सरकार ने अंदाजा लगाया है कि इस साल राजकोषीय घाटा लक्ष्य से चूक सकता है. राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.8 फीसदी पर पहुंच सकता है, जो बजट के 3.3 फीसदी के टारगेट से काफी अधिक है.

टैक्स व्यवस्था का सरलीकरण
पिछले साल सितंबर में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के बाद से सैलरीड क्लास की आयकर में राहत की आस और बढ़ गई है. मौजूदा टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगता, जबकि ढाई लाख से 5 लाख तक पर 5 फीसदी टैक्स लग रहा है. आम लोगों को उम्मीद है कि सरकार उन्हें टैक्स में छूट दें.

टैक्स कलेक्शन में गिरावट
भारत डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के मामले में 20 साल की सबसे खराब स्थिति में पहुंच सकता है. मौजूदा वर्ष में कारपोरेट और इनकम टैक्स कलेक्शन में भारी गिरावट दर्ज की गई है. यह पिछले 20 साल में पहला मौका है, जब टैक्स कलेक्शन गिर सकता है. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक टैक्स कलेक्शन में गिरावट की वजह आर्थिक सुस्ती और कारपोरेट टैक्स में कटौती रही है.

नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर नरमी और गिरती अर्थव्यवस्ता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी. बजट में राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि तथा रोजगार सृजन को गति देने पर सरकार का जोर रह सकता है.

बजट में महिला सुरक्षा से लेकर बिजली, पानी और स्वास्थ्य तक से जुड़ी अहम घोषणाएं हो सकती हैं. यहां पढ़िए इस बजट में वित्त मंत्री के सामने क्या होंगी बड़ी चुनौतियां.

रोजगार पैदा करना
लगातार इकोनॉमी में स्लोडाउन के चलते युवाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. मोदी सरकार से उम्मीद है कि रोजगार बढ़ाने के लिए वो ऐसी योजनाओं को लाएगी जिससे आने वाले सालों में देश के युवाओं को रोजगार मिलने में तेजी आ सके.

मांग को बढ़ाना
वित्तमंत्री के सामने सबसे महत्वपूर्ण चुनौती उपभोक्ताओं की मांगों को बढ़ाना. जिसके लिए आम आदमी के हाथ में अधिक धन देने की आवश्यकता है. टैक्स दर में कटौती और रोजगार सृजन से सरकार इस बढ़ा सकती है.

व्यापार युद्ध
चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध ने भी भारत को विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया है. यहां तक ​​कि भारत और अमेरिका के बीच मतभेद भी हैं क्योंकि उन्होंने अभी तक सीमित व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. व्यापार तनाव बढ़ने से कर संग्रह और देश के निर्यात और आयात प्रभावित हो सकते हैं.

आर्थिक मंदी से निपटना
वित्तवर्ष 2019-20 के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5 प्रतिशत. यह पिछले 11 साल में सबसे कम है. सरकार को ग्रोथ बढ़ाने के लिए छोटे-मोटे उपाय की नहीं, बल्कि बड़े संरचनागत सुधार की जरूरत. आर्थिक मंदी को टक्कर देने के लिए सरकार को लम्बे समय तक सक्रिय रहना होगा, कठोर आर्थिक नीतियों को लचीला बनाना होगा.

पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था को हासिल करना
इस लक्ष्य को पाने के लिये बड़े पैमाने पर निजी निवेश होना जरूरी है. सरकारी निवेश के दम पर इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है. बुनियादी संरचना क्षेत्र में भारी निवेश की जरूरत है ताकि इसके परिणामस्वरूप सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को गति मिल सके.

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना
सरकार ने देश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए पहले ही कॉर्पोरेट कर की दर घटा दी है. सरकार भी व्यापार रैंकिंग करने में आसानी को और बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है ताकि अधिक मल्टी नेशनल कंपनियां भारत में आ सकें और लोगों के लिए नौकरी के अवसर प्रदान कर सकें.

महंगाई पर काबू पाना
देश में बढ़ती महंगाई पर राजग सरकार के लिए एक नया संकट खड़ा होनेवाला है. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण दिसंबर 2019 में मुद्रास्फीति बढ़कर 7.35 प्रतिशत हो गई है. सरकार को जल्द से जल्द इस ओर कोई ठोस कदम उठाने होंगे.

राजकोषीय घाटे को साधना होगा
वर्ष 2019-20 का राजकोषीय घाटा बजट अनुमान जीडीपी के 3.4 प्रतिशत की बजाय 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सरकार ने अंदाजा लगाया है कि इस साल राजकोषीय घाटा लक्ष्य से चूक सकता है. राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.8 फीसदी पर पहुंच सकता है, जो बजट के 3.3 फीसदी के टारगेट से काफी अधिक है.

टैक्स व्यवस्था का सरलीकरण
पिछले साल सितंबर में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के बाद से सैलरीड क्लास की आयकर में राहत की आस और बढ़ गई है. मौजूदा टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगता, जबकि ढाई लाख से 5 लाख तक पर 5 फीसदी टैक्स लग रहा है. आम लोगों को उम्मीद है कि सरकार उन्हें टैक्स में छूट दें.

टैक्स कलेक्शन में गिरावट
भारत डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के मामले में 20 साल की सबसे खराब स्थिति में पहुंच सकता है. मौजूदा वर्ष में कारपोरेट और इनकम टैक्स कलेक्शन में भारी गिरावट दर्ज की गई है. यह पिछले 20 साल में पहला मौका है, जब टैक्स कलेक्शन गिर सकता है. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक टैक्स कलेक्शन में गिरावट की वजह आर्थिक सुस्ती और कारपोरेट टैक्स में कटौती रही है.

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बजट 2020: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के सामने है ये 10 बड़ी चुनौतियां 

नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर नरमी और गिरती अर्थव्यवस्ता के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी. बजट में राजकोषीय घाटे को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि तथा रोजगार सृजन को गति देने पर सरकार का जोर रह सकता है.

बजट में महिला सुरक्षा से लेकर बिजली, पानी और स्वास्थ्य तक से जुड़ी अहम घोषणाएं हो सकती हैं. इस बजट में वित्त मंत्री के सामने क्या होंगी बड़ी चुनौतियां.

रोजगार पैदा करना

लगातार इकोनॉमी में स्लोडाउन के चलते युवाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. मोदी सरकार से उम्मीद है कि रोजगार बढ़ाने के लिए वो ऐसी योजनाओं को लाएगी जिससे आने वाले सालों में देश के युवाओं को रोजगार मिलने में तेजी आ सके.



मांग को बढ़ाना

वित्तमंत्री के सामने सबसे महत्वपूर्ण चुनौती उपभोक्ताओं की मांगों को बढ़ाना. जिसके लिए आम आदमी के हाथ में अधिक धन देने की आवश्यकता है. टैक्स दर में कटौती और रोजगार सृजन से सरकार इस बढ़ा सकती है. 



व्यापार युद्ध 

चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध ने भी भारत को विभिन्न तरीकों से प्रभावित किया है. यहां तक ​​कि भारत और अमेरिका के बीच मतभेद भी हैं क्योंकि उन्होंने अभी तक सीमित व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. व्यापार तनाव बढ़ने से कर संग्रह और देश के निर्यात और आयात प्रभावित हो सकते हैं.



आर्थिक मंदी से निपटना

वित्तवर्ष 2019-20 के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5 प्रतिशत. यह पिछले 11 साल में सबसे कम है. सरकार को ग्रोथ बढ़ाने के लिए छोटे-मोटे उपाय की नहीं, बल्कि बड़े संरचनागत सुधार की जरूरत. आर्थिक मंदी को टक्कर देने के लिए सरकार को लम्बे समय तक सक्रिय रहना होगा, कठोर आर्थिक नीतियों को लचीला बनाना होगा.



पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था को हासिल करना

इस लक्ष्य को पाने के लिये बड़े पैमाने पर निजी निवेश होना जरूरी है. सरकारी निवेश के दम पर इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है. बुनियादी संरचना क्षेत्र में भारी निवेश की जरूरत है ताकि इसके परिणामस्वरूप सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को गति मिल सके.



प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना

सरकार ने देश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए पहले ही कॉर्पोरेट कर की दर घटा दी है. सरकार भी व्यापार रैंकिंग करने में आसानी को और बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है ताकि अधिक मल्टी नेशनल कंपनियां भारत में आ सकें और लोगों के लिए नौकरी के अवसर प्रदान कर सकें.



महंगाई पर काबू पाना

देश में बढ़ती महंगाई पर राजग सरकार के लिए एक नया संकट खड़ा होनेवाला है. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण दिसंबर 2019 में मुद्रास्फीति बढ़कर 7.35 प्रतिशत हो गई है. सरकार को जल्द से जल्द इस ओर कोई ठोस कदम उठाने होंगे. 



राजकोषीय घाटे को साधना होगा

वर्ष 2019-20 का राजकोषीय घाटा बजट अनुमान जीडीपी के 3.4 प्रतिशत की बजाय 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सरकार ने अंदाजा लगाया है कि इस साल राजकोषीय घाटा लक्ष्य से चूक सकता है. राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.8 फीसदी पर पहुंच सकता है, जो बजट के 3.3 फीसदी के टारगेट से काफी अधिक है.





टैक्स व्यवस्था का सरलीकरण

पिछले साल सितंबर में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के बाद से सैलरीड क्लास की आयकर में राहत की आस और बढ़ गई है. मौजूदा टैक्स स्लैब में 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगता, जबकि ढाई लाख से 5 लाख तक पर 5 फीसदी टैक्स लग रहा है. आम लोगों को उम्मीद है कि सरकार उन्हें टैक्स में छूट दें. 



टैक्स कलेक्शन में गिरावट

भारत डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के मामले में 20 साल की सबसे खराब स्थिति में पहुंच सकता है. मौजूदा वर्ष में कारपोरेट और इनकम टैक्स कलेक्शन में भारी गिरावट दर्ज की गई है. यह पिछले 20 साल में पहला मौका है, जब टैक्स कलेक्शन गिर सकता है. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक टैक्स कलेक्शन में गिरावट की वजह आर्थिक सुस्ती और कारपोरेट टैक्स में कटौती रही है.

 


Conclusion:
Last Updated : Feb 28, 2020, 5:54 PM IST

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