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भारत का कॉफी किंग लापता, जानिए वीजी सिद्धार्थ की कहानी - एस एम कृष्णा

कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के संस्थापक वी.जी. सिद्धार्थ ने न केवल शहरी भारत को एक पसंदीदा हैंगआउट स्थान दिया है, बल्कि देश में कॉफी खपत के अनुभव को भी बदल दिया है. वास्तव में सीसीडी के स्लोगन, 'एक कॉफी पर बहुत कुछ हो सकता है' से प्रभावित होकर सिद्धार्थ यह साबित करने में लग गए कि कॉफी के इर्द गिर्द काफी व्यापार हो सकता है.

भारत का कॉफी किंग लापता, जानिए वीजी सिद्धार्थ की कहानी
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Published : Jul 30, 2019, 4:44 PM IST

Updated : Jul 30, 2019, 5:05 PM IST

बेंगलुरु: कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के संस्थापक वी.जी. सिद्धार्थ ने न केवल शहरी भारत को एक पसंदीदा हैंगआउट स्थान दिया है, बल्कि देश में कॉफी खपत के अनुभव को भी बदल दिया है. वास्तव में सीसीडी के स्लोगन, 'एक कॉफी पर बहुत कुछ हो सकता है' से प्रभावित होकर सिद्धार्थ यह साबित करने में लग गए कि कॉफी के इर्द गिर्द काफी व्यापार हो सकता है.

एक कॉफी बगान के मालिक के बेटे होने से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री की बेटी से शादी करने तक और देश के सबसे बड़े कॉफी कैफे की श्रृंखला बनाने के लिए वीजी सिद्धार्थ ने बड़ी कंपनियों के निर्माण में भाग लिया है. यह ध्यान देने योग्य है कि सिद्धार्थ ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस एम कृष्णा की बेटी से शादी की है. कृष्णा ने देश के विदेश मंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भी काम किया है.

ये भी पढ़ें: 'कैफे कॉफी डे' के मालिक वीजी सिद्धार्थ लापता, सामने आई आखिरी चिट्ठी, तलाश में जुटी पुलिस

वीजी सिद्धार्थ के लापता होने के साथ ही मंगलुरु के पास नेत्रावती नदी स्थल पर खोज अभियान चल रहा है. आइए हम एक नजर उनकी कहानी पर डालते हैं.

  • सिद्धार्थ कर्नाटक से ताल्लुक रखने के वाले एक भारतीय व्यापारी हैं. उनका परिवार 130 से अधिक वर्षों से कॉफी के व्यवसाय में है. वर्ष 1996 में बेंगलुरु में एक आउटलेट के साथ सीसीडी शुरु करने से पहले, सिद्धार्थ ने स्टॉक ट्रेडिंग में भी कार्य किया है.
  • उन्होंने 1983 में मुंबई में जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड में भारतीय स्टॉक मार्केट में एक प्रबंधन इंटर्न ट्रेडिंग के रूप में अपना कैरियर शुरू किया.
  • सिद्धार्थ दो साल बाद बेंगलुरु वापस लौट आए और 30,000 रुपये में सिवान सिक्योरिटीज नाम की कंपनी का शेयर बाजार कार्ड खरीदा, जिसका वर्ष 2000 में नाम बदलकर वेटूवेल्थ सिक्योरिटीज लिमिटेड कर दिया गया.

कॉफी का कारोबार

सिद्धार्थ ने एक जर्मन कॉफी श्रृंखला टचीबो के मालिकों के साथ एक चैट से प्रेरित होकर भारत में अपना स्वयं का कैफे श्रृंखला खोलने का फैसला किया. उन्होंने 11 जुलाई, 1994 को बेंगलुरु में अपना कैफे कॉफी डे आउटलेट स्थापित किया, जिसता टैगलाइन था, "एक कॉफी पर पर बहुत कुछ हो सकता है."

अन्य व्यवसाय

उन्होंने 1993 में अपनी कॉफी ट्रेडिंग कंपनी अमलगमेट बीन कंपनी (एबीसी) शुरू की, जो भारत की ग्रीन कॉफी का सबसे बड़ा निर्यातक है. सिद्धार्थ ने 2000 में ग्लोबल टेक्नोलॉजी वेंचर्स लिमिटेड की भी स्थापना की. इसके अलावा उनके पास जीटीवी, माइंडट्री, लिक्विड क्रिस्टल, वेटूवेल्थ और इट्टियम में भी बोर्ड सीटें हैं.

जीते हुए पुरस्कार

सिद्धार्थ को कमोडिटी बिजनेस से एक सफल पैन-इंडियन ब्रांड को तैयार करने के लिए, इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा 2002-03 के लिए 'एंटरप्रेन्योर ऑफ दी इयर' से सम्मानित किया गया था. 2011 में, उन्हें फोर्ब्स इंडिया द्वारा नेक्स्टजेन एंटरप्रेन्योर से सम्मानित किया गया.

विवाद

सिद्धार्थ ने वर्ष 2017 में खुद को मुसीबत में पाया, जब आयकर विभाग ने उनसे जुड़े 20 से अधिक स्थानों पर छापे मारे. सिद्धार्थ सोमवार रात मंगलुरु के पास उल्लाल में लापता हो गया. सिद्धार्थ ने कथित तौर पर सीसीडी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और कर्मचारियों को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि वह एक उद्यमी के रूप में विफल रहे हैं.

पत्र में, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि माइंडट्री सौदे को रोकने के लिए एक वरिष्ठ आई-टी अधिकारी द्वारा उत्पीड़न और सीसीडी के शेयरों को वापस खरीदने के लिए निजी इक्विटी भागीदारों में से एक से दबाव ने कंपनी को गंभीर तरलता की कमी से गुजरने के लिए मजबूर किया.

बेंगलुरु: कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के संस्थापक वी.जी. सिद्धार्थ ने न केवल शहरी भारत को एक पसंदीदा हैंगआउट स्थान दिया है, बल्कि देश में कॉफी खपत के अनुभव को भी बदल दिया है. वास्तव में सीसीडी के स्लोगन, 'एक कॉफी पर बहुत कुछ हो सकता है' से प्रभावित होकर सिद्धार्थ यह साबित करने में लग गए कि कॉफी के इर्द गिर्द काफी व्यापार हो सकता है.

एक कॉफी बगान के मालिक के बेटे होने से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री की बेटी से शादी करने तक और देश के सबसे बड़े कॉफी कैफे की श्रृंखला बनाने के लिए वीजी सिद्धार्थ ने बड़ी कंपनियों के निर्माण में भाग लिया है. यह ध्यान देने योग्य है कि सिद्धार्थ ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस एम कृष्णा की बेटी से शादी की है. कृष्णा ने देश के विदेश मंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भी काम किया है.

ये भी पढ़ें: 'कैफे कॉफी डे' के मालिक वीजी सिद्धार्थ लापता, सामने आई आखिरी चिट्ठी, तलाश में जुटी पुलिस

वीजी सिद्धार्थ के लापता होने के साथ ही मंगलुरु के पास नेत्रावती नदी स्थल पर खोज अभियान चल रहा है. आइए हम एक नजर उनकी कहानी पर डालते हैं.

  • सिद्धार्थ कर्नाटक से ताल्लुक रखने के वाले एक भारतीय व्यापारी हैं. उनका परिवार 130 से अधिक वर्षों से कॉफी के व्यवसाय में है. वर्ष 1996 में बेंगलुरु में एक आउटलेट के साथ सीसीडी शुरु करने से पहले, सिद्धार्थ ने स्टॉक ट्रेडिंग में भी कार्य किया है.
  • उन्होंने 1983 में मुंबई में जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड में भारतीय स्टॉक मार्केट में एक प्रबंधन इंटर्न ट्रेडिंग के रूप में अपना कैरियर शुरू किया.
  • सिद्धार्थ दो साल बाद बेंगलुरु वापस लौट आए और 30,000 रुपये में सिवान सिक्योरिटीज नाम की कंपनी का शेयर बाजार कार्ड खरीदा, जिसका वर्ष 2000 में नाम बदलकर वेटूवेल्थ सिक्योरिटीज लिमिटेड कर दिया गया.

कॉफी का कारोबार

सिद्धार्थ ने एक जर्मन कॉफी श्रृंखला टचीबो के मालिकों के साथ एक चैट से प्रेरित होकर भारत में अपना स्वयं का कैफे श्रृंखला खोलने का फैसला किया. उन्होंने 11 जुलाई, 1994 को बेंगलुरु में अपना कैफे कॉफी डे आउटलेट स्थापित किया, जिसता टैगलाइन था, "एक कॉफी पर पर बहुत कुछ हो सकता है."

अन्य व्यवसाय

उन्होंने 1993 में अपनी कॉफी ट्रेडिंग कंपनी अमलगमेट बीन कंपनी (एबीसी) शुरू की, जो भारत की ग्रीन कॉफी का सबसे बड़ा निर्यातक है. सिद्धार्थ ने 2000 में ग्लोबल टेक्नोलॉजी वेंचर्स लिमिटेड की भी स्थापना की. इसके अलावा उनके पास जीटीवी, माइंडट्री, लिक्विड क्रिस्टल, वेटूवेल्थ और इट्टियम में भी बोर्ड सीटें हैं.

जीते हुए पुरस्कार

सिद्धार्थ को कमोडिटी बिजनेस से एक सफल पैन-इंडियन ब्रांड को तैयार करने के लिए, इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा 2002-03 के लिए 'एंटरप्रेन्योर ऑफ दी इयर' से सम्मानित किया गया था. 2011 में, उन्हें फोर्ब्स इंडिया द्वारा नेक्स्टजेन एंटरप्रेन्योर से सम्मानित किया गया.

विवाद

सिद्धार्थ ने वर्ष 2017 में खुद को मुसीबत में पाया, जब आयकर विभाग ने उनसे जुड़े 20 से अधिक स्थानों पर छापे मारे. सिद्धार्थ सोमवार रात मंगलुरु के पास उल्लाल में लापता हो गया. सिद्धार्थ ने कथित तौर पर सीसीडी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और कर्मचारियों को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि वह एक उद्यमी के रूप में विफल रहे हैं.

पत्र में, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि माइंडट्री सौदे को रोकने के लिए एक वरिष्ठ आई-टी अधिकारी द्वारा उत्पीड़न और सीसीडी के शेयरों को वापस खरीदने के लिए निजी इक्विटी भागीदारों में से एक से दबाव ने कंपनी को गंभीर तरलता की कमी से गुजरने के लिए मजबूर किया.

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बेंगलुरु: कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के संस्थापक वी.जी. सिद्धार्थ ने न केवल शहरी भारत को एक पसंदीदा हैंगआउट स्थान दिया है, बल्कि देश में कॉफी खपत के अनुभव को भी बदल दिया है. वास्तव में सीसीडी के स्लोगन, 'एक कॉफी पर बहुत कुछ हो सकता है' से प्रभावित होकर सिद्धार्थ यह साबित करने में लग गए कि कॉफी के इर्द गिर्द काफी व्यापार हो सकता है.

एक कॉफी बगान के मालिक के बेटे होने से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री की बेटी से शादी करने तक और देश के सबसे बड़े कॉफी कैफे की श्रृंखला बनाने के लिए वीजी सिद्धार्थ ने बड़ी कंपनियों के निर्माण में भाग लिया है.

यह ध्यान देने योग्य है कि सिद्धार्थ ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस एम कृष्णा की बेटी से शादी की है. कृष्णा ने देश के विदेश मंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भी काम किया है.

वीजी सिद्धार्थ के लापता होने के साथ ही मंगलुरु के पास नेत्रावती नदी स्थल पर खोज अभियान चल रहा है. आइए हम एक नजर उनकी कहानी पर डालते हैं.

सिद्धार्थ कर्नाटक से ताल्लुक रखने के वाले एक भारतीय व्यापारी हैं. उनका परिवार 130 से अधिक वर्षों से कॉफी के व्यवसाय में है. वर्ष 1996 में बेंगलुरु में एक आउटलेट के साथ सीसीडी शुरु करने से पहले, सिद्धार्थ ने स्टॉक ट्रेडिंग में भी कार्य किया है.

उन्होंने 1983 में मुंबई में जेएम फाइनेंशियल लिमिटेड में भारतीय स्टॉक मार्केट में एक प्रबंधन इंटर्न ट्रेडिंग के रूप में अपना कैरियर शुरू किया.

सिद्धार्थ दो साल बाद बेंगलुरु वापस लौट आए और 30,000 रुपये में सिवान सिक्योरिटीज नाम की कंपनी का शेयर बाजार कार्ड खरीदा, जिसका वर्ष 2000 में नाम बदलकर वेटूवेल्थ सिक्योरिटीज लिमिटेड कर दिया गया

कॉफी का कारोबार

सिद्धार्थ ने एक जर्मन कॉफी श्रृंखला टचीबो के मालिकों के साथ एक चैट से प्रेरित होकर भारत में अपना स्वयं का कैफे श्रृंखला खोलने का फैसला किया.

उन्होंने 11 जुलाई, 1994 को बेंगलुरु में अपना कैफे कॉफी डे आउटलेट स्थापित किया, जिसता टैगलाइन था, "एक कॉफी पर पर बहुत कुछ हो सकता है."

अन्य व्यवसाय

उन्होंने 1993 में अपनी कॉफी ट्रेडिंग कंपनी अमलगमेट बीन कंपनी (एबीसी) शुरू की, जो भारत की ग्रीन कॉफी का सबसे बड़ा निर्यातक है. सिद्धार्थ ने 2000 में ग्लोबल टेक्नोलॉजी वेंचर्स लिमिटेड की भी स्थापना की.

इसके अलावा उनके पास जीटीवी, माइंडट्री, लिक्विड क्रिस्टल, वेटूवेल्थ और इट्टियम में भी बोर्ड सीटें हैं.

जीते हुए पुरस्कार

सिद्धार्थ को कमोडिटी बिजनेस से एक सफल पैन-इंडियन ब्रांड को तैयार करने के लिए, इकोनॉमिक टाइम्स द्वारा 2002-03 के लिए 'एंटरप्रेन्योर ऑफ दी इयर' से सम्मानित किया गया था.

2011 में, उन्हें फोर्ब्स इंडिया द्वारा नेक्स्टजेन एंटरप्रेन्योर से सम्मानित किया गया.

विवाद

सिद्धार्थ ने वर्ष 2017 में खुद को मुसीबत में पाया, जब आयकर विभाग ने उनसे जुड़े 20 से अधिक स्थानों पर छापे मारे.

सिद्धार्थ सोमवार रात मंगलुरु के पास उल्लाल में लापता हो गया. सिद्धार्थ ने कथित तौर पर सीसीडी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और कर्मचारियों को एक पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि वह एक उद्यमी के रूप में विफल रहे हैं.

पत्र में, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि माइंडट्री सौदे को रोकने के लिए एक वरिष्ठ आई-टी अधिकारी द्वारा उत्पीड़न और सीसीडी के शेयरों को वापस खरीदने के लिए निजी इक्विटी भागीदारों में से एक से दबाव ने कंपनी को गंभीर तरलता की कमी से गुजरने के लिए मजबूर किया.


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Last Updated : Jul 30, 2019, 5:05 PM IST
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