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जिम्बाब्वे में मुद्रास्फीति की दर 175 प्रतिशत पर - जिम्बाब्वे की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी

यहां ब्रेड, दवाओं और पेट्रोल की कमी हो रही है और कीमतों में 2009 के बाद से सबसे तेजी से इजाफा हो रहा है. उस समय सरकार को प्रचलित मुद्रा 'जिम्बाब्वे डॉलर' को छोड़ना पड़ा था.

जिम्बाब्वे में मुद्रास्फीति की दर 175 प्रतिशत पर
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Published : Jul 15, 2019, 11:19 PM IST

हरारे: जिम्बाब्वे की सालाना मुद्रास्फीति दर जून महीने में 175 प्रतिशत पर पहुंच गई है. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई. इससे जिम्बाब्वे में दस साल पहले की तरह अति मुद्रास्फीति की आशंका पैदा हो गई है. उस समय उसकी पूरी अर्थव्यवस्था ढह गई थी और बचत समाप्त हो गई थी.

यहां ब्रेड, दवाओं और पेट्रोल की कमी हो रही है और कीमतों में 2009 के बाद से सबसे तेजी से इजाफा हो रहा है. उस समय सरकार को प्रचलित मुद्रा 'जिम्बाब्वे डॉलर' को छोड़ना पड़ा था.

जिम्बाब्वे की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी ने बयान में कहा कि जून, 2019 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित सालाना मुद्रास्फीति दर 175.66 प्रतिशत रही है, जो मई में 97.85 प्रतिशत थी. पिछले 20 साल के दौरान जिम्बाब्वे के हजारों लोग देश में आर्थिक संकट की वजह से रोजी रोटी की तलाश में विदेश जा चुके हैं.

ये भी पढ़ें: ब्रिटेन के नये बैंक नोट पर नजर आएंगे महान गणितज्ञ ट्यूरिंग

राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा के कार्यकाल में स्थिति और खराब हो गई है जिससे और लोग देश छोड़कर जाने की तैयारी कर रहे हैं. मनांगाग्वा 2017 में रॉबर्ट मुगाबे के स्थान पर राष्ट्रपति बने थे. मनांगाग्वा ने अपने देश के लोगों से वायदा किया था कि वह जिम्बाब्वे के अंतरराष्ट्रीय अलगाव को समाप्त करेंगे और निवेशकों को आकर्षित करेंगे.

साथ ही उन्होंने वृद्धि बढ़ाने का भी भरोसा दिलाया था जिससे देश की अस्त व्यस्त सार्वजनिक सेवाओं का वित्तपोषण किया जा सके. लेकिन जिम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था की स्थिति उसके बाद से और खराब हुई है. शनिवार को जिम्बाब्वे में ईंधन कीमतो में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई. मुद्रास्फीति के आंकड़े उसके बाद आए हैं.

हरारे: जिम्बाब्वे की सालाना मुद्रास्फीति दर जून महीने में 175 प्रतिशत पर पहुंच गई है. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई. इससे जिम्बाब्वे में दस साल पहले की तरह अति मुद्रास्फीति की आशंका पैदा हो गई है. उस समय उसकी पूरी अर्थव्यवस्था ढह गई थी और बचत समाप्त हो गई थी.

यहां ब्रेड, दवाओं और पेट्रोल की कमी हो रही है और कीमतों में 2009 के बाद से सबसे तेजी से इजाफा हो रहा है. उस समय सरकार को प्रचलित मुद्रा 'जिम्बाब्वे डॉलर' को छोड़ना पड़ा था.

जिम्बाब्वे की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी ने बयान में कहा कि जून, 2019 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित सालाना मुद्रास्फीति दर 175.66 प्रतिशत रही है, जो मई में 97.85 प्रतिशत थी. पिछले 20 साल के दौरान जिम्बाब्वे के हजारों लोग देश में आर्थिक संकट की वजह से रोजी रोटी की तलाश में विदेश जा चुके हैं.

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राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा के कार्यकाल में स्थिति और खराब हो गई है जिससे और लोग देश छोड़कर जाने की तैयारी कर रहे हैं. मनांगाग्वा 2017 में रॉबर्ट मुगाबे के स्थान पर राष्ट्रपति बने थे. मनांगाग्वा ने अपने देश के लोगों से वायदा किया था कि वह जिम्बाब्वे के अंतरराष्ट्रीय अलगाव को समाप्त करेंगे और निवेशकों को आकर्षित करेंगे.

साथ ही उन्होंने वृद्धि बढ़ाने का भी भरोसा दिलाया था जिससे देश की अस्त व्यस्त सार्वजनिक सेवाओं का वित्तपोषण किया जा सके. लेकिन जिम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था की स्थिति उसके बाद से और खराब हुई है. शनिवार को जिम्बाब्वे में ईंधन कीमतो में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई. मुद्रास्फीति के आंकड़े उसके बाद आए हैं.

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हरारे: जिम्बाब्वे की सालाना मुद्रास्फीति दर जून महीने में 175 प्रतिशत पर पहुंच गई है. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई. इससे जिम्बाब्वे में दस साल पहले की तरह अति मुद्रास्फीति की आशंका पैदा हो गई है. उस समय उसकी पूरी अर्थव्यवस्था ढह गई थी और बचत समाप्त हो गई थी.

यहां ब्रेड, दवाओं और पेट्रोल की कमी हो रही है और कीमतों में 2009 के बाद से सबसे तेजी से इजाफा हो रहा है. उस समय सरकार को प्रचलित मुद्रा 'जिम्बाब्वे डॉलर' को छोड़ना पड़ा था.

जिम्बाब्वे की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी ने बयान में कहा कि जून, 2019 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित सालाना मुद्रास्फीति दर 175.66 प्रतिशत रही है, जो मई में 97.85 प्रतिशत थी. पिछले 20 साल के दौरान जिम्बाब्वे के हजारों लोग देश में आर्थिक संकट की वजह से रोजी रोटी की तलाश में विदेश जा चुके हैं.

राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा के कार्यकाल में स्थिति और खराब हो गई है जिससे और लोग देश छोड़कर जाने की तैयारी कर रहे हैं. मनांगाग्वा 2017 में रॉबर्ट मुगाबे के स्थान पर राष्ट्रपति बने थे. मनांगाग्वा ने अपने देश के लोगों से वायदा किया था कि वह जिम्बाब्वे के अंतरराष्ट्रीय अलगाव को समाप्त करेंगे और निवेशकों को आकर्षित करेंगे.

साथ ही उन्होंने वृद्धि बढ़ाने का भी भरोसा दिलाया था जिससे देश की अस्त व्यस्त सार्वजनिक सेवाओं का वित्तपोषण किया जा सके. लेकिन जिम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था की स्थिति उसके बाद से और खराब हुई है. शनिवार को जिम्बाब्वे में ईंधन कीमतो में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई. मुद्रास्फीति के आंकड़े उसके बाद आए हैं.

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