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ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सर्विसेस के लिए कानून लाए केंद्र सरकार: SC - App Based Taxi

न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा संबंधी एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बीआर गवई भी शामिल हैं.

ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सर्विसेस के लिए लाएं कानून: SC
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Published : Jul 31, 2019, 2:14 PM IST

Updated : Jul 31, 2019, 2:24 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को आदेश दिया कि वह देश में ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं के नियमन के लिए उचित कदम उठाए.

न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा संबंधी एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं.

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पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह महिला सुरक्षा के मुद्दे पर केन्द्र को अभ्यावेदन दे.

केंद्र की ओर से पेश वकील ने जब कहा कि इसके लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी तो अदालत ने कहा कि आपको यह करना होगा.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को आदेश दिया कि वह देश में ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं के नियमन के लिए उचित कदम उठाए.

न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा संबंधी एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं.

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पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह महिला सुरक्षा के मुद्दे पर केन्द्र को अभ्यावेदन दे.

केंद्र की ओर से पेश वकील ने जब कहा कि इसके लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी तो अदालत ने कहा कि आपको यह करना होगा.

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ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सर्विसेस के लिए लाएं कानून: SC

न्यायालय ने ऐप आधारित टैक्सी सेवा प्रदाताओं के नियमन के लिए कदम उठाने का दिया आदेश

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को आदेश दिया कि वह देश में ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं के नियमन के लिए उचित कदम उठाए.

न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा संबंधी एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं.

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पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह महिला सुरक्षा के मुद्दे पर केन्द्र को अभ्यावेदन दे.

केंद्र की ओर से पेश वकील ने जब कहा कि इसके लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी तो अदालत ने कहा कि आपको यह करना होगा.

 


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Last Updated : Jul 31, 2019, 2:24 PM IST
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