नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को आदेश दिया कि वह देश में ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं के नियमन के लिए उचित कदम उठाए.
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा संबंधी एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं.
ये भी पढ़ें- ट्रंप ने चीन को चेताया, अमेरिका के साथ व्यापार करार के लिए इंतजार नहीं करे
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह महिला सुरक्षा के मुद्दे पर केन्द्र को अभ्यावेदन दे.
केंद्र की ओर से पेश वकील ने जब कहा कि इसके लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी तो अदालत ने कहा कि आपको यह करना होगा.
ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सर्विसेस के लिए कानून लाए केंद्र सरकार: SC
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा संबंधी एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बीआर गवई भी शामिल हैं.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को आदेश दिया कि वह देश में ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं के नियमन के लिए उचित कदम उठाए.
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा संबंधी एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं.
ये भी पढ़ें- ट्रंप ने चीन को चेताया, अमेरिका के साथ व्यापार करार के लिए इंतजार नहीं करे
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह महिला सुरक्षा के मुद्दे पर केन्द्र को अभ्यावेदन दे.
केंद्र की ओर से पेश वकील ने जब कहा कि इसके लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी तो अदालत ने कहा कि आपको यह करना होगा.
ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सर्विसेस के लिए लाएं कानून: SC
न्यायालय ने ऐप आधारित टैक्सी सेवा प्रदाताओं के नियमन के लिए कदम उठाने का दिया आदेश
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को आदेश दिया कि वह देश में ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं के नियमन के लिए उचित कदम उठाए.
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने महिलाओं की सुरक्षा संबंधी एक मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया. इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं.
ये भी पढ़ें-
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह महिला सुरक्षा के मुद्दे पर केन्द्र को अभ्यावेदन दे.
केंद्र की ओर से पेश वकील ने जब कहा कि इसके लिए कानून में संशोधन की आवश्यकता होगी तो अदालत ने कहा कि आपको यह करना होगा.
Conclusion: