नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि आरसीईपी वार्ता में भारत अपनी दलील पर डटा रहा और राष्ट्रहित में यह फैसला किया कि राष्ट्र हित को देखते हुए चीन की अगुवाई वाले इस वृहत व्यापार समझौते से नहीं जुड़ना है.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पहले किए गये कुछ मुक्त व्यापार समझौतों की भी समीक्षा कर रही है. बैंकाक में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) शिखर सम्मेलन के समापन के एक दिन बाद गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डेयरी क्षेत्र, किसानों और घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा के लिये कड़ा रुख अपनाया.
-
भारत द्वारा RCEP में शामिल ना होने के निर्णय को लेकर आज एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया।
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) November 5, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
PM @NarendraModi जी के नेतृत्व में सरकार ने एक दृढ़ निर्णय लेकर देशहित और जनहित में इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया। #NationFirsthttps://t.co/FSp89pXYEL pic.twitter.com/IOHP5leExQ
">भारत द्वारा RCEP में शामिल ना होने के निर्णय को लेकर आज एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया।
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) November 5, 2019
PM @NarendraModi जी के नेतृत्व में सरकार ने एक दृढ़ निर्णय लेकर देशहित और जनहित में इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया। #NationFirsthttps://t.co/FSp89pXYEL pic.twitter.com/IOHP5leExQभारत द्वारा RCEP में शामिल ना होने के निर्णय को लेकर आज एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया।
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) November 5, 2019
PM @NarendraModi जी के नेतृत्व में सरकार ने एक दृढ़ निर्णय लेकर देशहित और जनहित में इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया। #NationFirsthttps://t.co/FSp89pXYEL pic.twitter.com/IOHP5leExQ
ये भी पढ़ें- रियल्टी सेक्टर को मिल सकता बूस्टर डोज, वित्तमंत्री ने दिए संकेत
कांग्रेस ने व्यापार घाटा को किया था नजरअंदाज
मंत्री ने कहा कि वह मनमोहन सिंह सरकार थी जिसने भारत को आरसीईपी समूह में शामिल होने को लेकर चर्चा की शुरूआत की थी और इस बात की अनदेखी की थी कि सदस्य देशों के साथ उसका बड़ा व्यापार घाटा है.
सात से सत्तर हो गया व्यापार घाटा
आरसीईपी समूह के साथ व्यापार घाटा 2004 में 7 अरब डॉलर था जो 2014 में बढ़कर 78 अरब डॉलर पहुंच गया. मंत्री ने आगे कहा कि मोदी सरकार देश के हितों की रक्षा करने तथा भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का रास्ता साफ करने के लिये पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार द्वारा दक्षिण कोरिया तथा आसियान के साथ किये गये मुक्त व्यापार समझौतों की भी समीक्षा कर रही है.
आरसीईपी से नहीं जुड़ने का निर्णय राष्ट्रहित देख कर लिया गया
भारत ने विभिन्न घरेलू हितों से जुड़ी चिंताओं के दूर नहीं होने के कारण सोमवार को आरसीईपी से नहीं जुड़ने का निर्णय किया. मोदी ने बैंकाक में 16 देशों के समूह की शिखर बैठक में भारत के आरसीईपी से नहीं जुड़ने के निर्णय की घोषणा की.