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एसोचैम की पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग

पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखने की दो साल की अवधि पूरी हो चुकी है. इन पदार्थों के जीएसटी के बाहर होने से कारोबार की लागत में भी वृद्धि हो रही है. इसलिए इन पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाना चाहिए.

एसोचैम की पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग
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Published : Jul 25, 2019, 8:42 PM IST

नई दिल्ली: उद्योग मंडल एसोचैम ने पेट्रोलियम पदार्थों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में शामिल करने एवं स्टांप शुल्क जैसे कुछ स्थानीय एवं स्टाम्प शुल्क जैसे राज्य करों को भी इसमें मिलाने की गुरुवार को मांग की.

एसोचैम की ओर से जीएसटी परिषद को दिये गए ज्ञापन में कहा गया है, "पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखने की दो साल की अवधि पूरी हो चुकी है. इन पदार्थों के जीएसटी के बाहर होने से कारोबार की लागत में भी वृद्धि हो रही है. इसलिए इन पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाना चाहिए."

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इसके अलावा एसोचैम ने कहा कि मंडी कर, सड़क कर और वाहन कर को भी जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिये. इससे कारोबार से जुड़ी बाधाओं को दूर करने एवं इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को सुचारू तरीके से उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. इससे करों के व्यापक प्रभाव को कम करने में भी मदद मिलेगी.

उद्योग मंडल ने जीएसटी परिषद को यह भी सुझाव दिया है कि विभिन्न शुल्कों की वापसी के लिये दिये जाने वाले चालान की बिक्री और बाजार संवर्धन कार्यों पर जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिये.

नई दिल्ली: उद्योग मंडल एसोचैम ने पेट्रोलियम पदार्थों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में शामिल करने एवं स्टांप शुल्क जैसे कुछ स्थानीय एवं स्टाम्प शुल्क जैसे राज्य करों को भी इसमें मिलाने की गुरुवार को मांग की.

एसोचैम की ओर से जीएसटी परिषद को दिये गए ज्ञापन में कहा गया है, "पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखने की दो साल की अवधि पूरी हो चुकी है. इन पदार्थों के जीएसटी के बाहर होने से कारोबार की लागत में भी वृद्धि हो रही है. इसलिए इन पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाना चाहिए."

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इसके अलावा एसोचैम ने कहा कि मंडी कर, सड़क कर और वाहन कर को भी जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिये. इससे कारोबार से जुड़ी बाधाओं को दूर करने एवं इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को सुचारू तरीके से उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. इससे करों के व्यापक प्रभाव को कम करने में भी मदद मिलेगी.

उद्योग मंडल ने जीएसटी परिषद को यह भी सुझाव दिया है कि विभिन्न शुल्कों की वापसी के लिये दिये जाने वाले चालान की बिक्री और बाजार संवर्धन कार्यों पर जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिये.

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नई दिल्ली: उद्योग मंडल एसोचैम ने पेट्रोलियम पदार्थों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में शामिल करने एवं स्टांप शुल्क जैसे कुछ स्थानीय एवं स्टाम्प शुल्क जैसे राज्य करों को भी इसमें मिलाने की गुरुवार को मांग की.

एसोचैम की ओर से जीएसटी परिषद को दिये गए ज्ञापन में कहा गया है, "पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखने की दो साल की अवधि पूरी हो चुकी है. इन पदार्थों के जीएसटी के बाहर होने से कारोबार की लागत में भी वृद्धि हो रही है. इसलिए इन पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाना चाहिए."

इसके अलावा एसोचैम ने कहा कि मंडी कर, सड़क कर और वाहन कर को भी जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिये. इससे कारोबार से जुड़ी बाधाओं को दूर करने एवं इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को सुचारू तरीके से उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. इससे करों के व्यापक प्रभाव को कम करने में भी मदद मिलेगी.

उद्योग मंडल ने जीएसटी परिषद को यह भी सुझाव दिया है कि विभिन्न शुल्कों की वापसी के लिये दिये जाने वाले चालान की बिक्री और बाजार संवर्धन कार्यों पर जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिये.

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