नई दिल्ली : भारतीय और चीनी सेना के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में लगभग 17,000 फीट ऊंची गलवान घाटी में सोमवार की रात हुई हिंसक झड़प ने एक घातक मोड़ ले लिया है. दरअसल, सीमा पर भारत और चीनी सेनाओं के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने की सूचना है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीन के 43 सैनिकों के हताहत होने की खबर है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए सेना के सूत्रों ने बताया कि सोमवार को हुई घटना में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी संतोष बाबू सहित कम से कम 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने की पुष्टि की हुई है और अन्य 10 सैनिकों के लापता होने की सूचना है. कई सैनिकों के घायल होने की भी सूचना है.
सूत्र ने बताया कि सोमवार को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत की सीमा में कुछ अस्थाई संरचनांए बना दी थी. सीओ के नेतृत्व में भारतीय सेना ने उसे नष्ट कर दिया. शुरू में ऐसा लगा कि पीएलए पीछे हट जाएगी, लेकिन वह लगभग एक हजार सैनिकों के साथ वापस आ गई. भारतीय सेना के पास भी उस समय एक लगभग हजार जवान मौजूद थे. दोनों सेनाओं के बीच नदि के किनारे हिंसक झड़प हुई. इस दौरान कुछ सैनिक नदी में भी गिर गए.
गौरतलब है कि पिछले 45 वर्षों में यह दोनों सेनाओं के बीच हुआ सबसे बड़ा संघर्ष है.
कई स्रोतों के अनुसार, मरने वालों के संख्या में इजाफा होने की आशंका है. कर्नल बाबू उन प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा थे जो पिछले कुछ दिनों में डी-एस्केलेशन प्रक्रिया पर चीनी पक्ष से बात कर रहे थे.
झड़प के दौरान पीएलए के सैनिकों के हताहत होने की भी सूचना है, हालांकि पीएलए या चीन नियंत्रित मीडिया से देर रात तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी.
अपुष्ट रिपोर्टों के अनुसार घटना सोमवार शाम को गश्त केंद्र 14 (पीपी -14) पर हुई. यह वह जगह है जहां दोनों सेनाओं के प्रतिनिधिमंडल (लेफ्टिनेंट-जनरल रैंक) ने छह जून को मुलाकात की थी.
दोनों सेनाओं ने इस बात से इनकार किया है कि पीपी-14 पर सेनाओं के बीच गोलीबारी हुई थी. उन्होंने स्वीकार किया है कि सेनाओं के बीच हाथापाई हुई थी. इसके अलावा दोनों सेनाओं ने पथराव भी किया था और एक दूसरे पर हमला करने के लिए लोहे के रॉड और धारदार वस्तुओं का भी प्रयोग किया गया था. अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक कुछ सैनिकों के शव पर गोली के भी निशान थे.
बता दें कि पिछले एक महीने से अधिक समय से दुनिया की दो सबसे बड़ी सेनाएं कम से कम चार अलग-अलग जगहों, लद्दाख में पैंगॉन्ग झील, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में आपस भिड़ चुकी हैं. तनाव बढ़ता देख दोनों देशों ने सीमा पर बड़ी तादाद में सैन्य बलों की तैनाती कर दी थी.
दो परमाणु हथियारों से लैस पड़ोसी सेनाओं के बीच हिंसक झगड़े और आमने-सामने की तकरार में सबसे गंभीर टकराव पांच मई को पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर हुआ था, जिसमें लगभग 75 सैनिक घायल हो गए थे.
मंगलवार को गलवान घाटी पर चीन ने नया दावा किया है, जो आने वाले समय में संकट पैदा कर सकता है. हालांकि अब तक घाटी में सीमा को लेकर कोई विवाद नहीं था.
मंगलवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि यह आशा थी कि डी-एस्केलेशन बिना किसी बाधा के हो जाएगा. उन्होंने कहा कि 15 जून की देर शाम और रात को, चीनी पक्ष द्वारा एकतरफा रूप से वहां की स्थिति को बदलने के प्रयास किया गया. इस कारण वहां हिंसा हो गई थी. इसमें दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए हैं.
मंगलवार को चीनी के ग्लोबल टाइम्स ने पीएलए वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल झांग शुइली के हवाले से कहा कि गलवान घाटी क्षेत्र पर हमेशा से ही चीन का अधिकार था. यह भारत-चीन सीमा के मुद्दे पर एक नया आयाम होगा.
गलवान घाटी भारतीय सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह श्योक गांव को दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) से जोड़ती है, जो काराकोरम दर्रे के पास स्थित एक प्रमुख भारतीय सैन्य अड्डा है.