लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को 10 सितंबर तक गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे (survey of madrasas in UP ) करने के निर्देश जारी किए हैं. सर्वे टीम में एसडीएम, बीएसए और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी शामिल होंगे. बुधवार को जारी इस आदेश के बाद सियासी गलियारे में खलबली मच गई है. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया है कि यूपी सरकार सर्वे के बहाने प्रदेश में एनआरसी लागू कर रही है.
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Hyderabad, Telangana | Madrassas are as per Article 30 then why UP govt has ordered the survey? It's not a survey but a mini-NRC.Some madrassas are under UP madrassa board. Govt can't interfere with our rights under Art 30. They want to harass Muslims:AIMIM chief Asaduddin Owaisi https://t.co/EDn9pnZWT4 pic.twitter.com/xs6U6otKfG
— ANI (@ANI) September 1, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) September 1, 2022Hyderabad, Telangana | Madrassas are as per Article 30 then why UP govt has ordered the survey? It's not a survey but a mini-NRC.Some madrassas are under UP madrassa board. Govt can't interfere with our rights under Art 30. They want to harass Muslims:AIMIM chief Asaduddin Owaisi https://t.co/EDn9pnZWT4 pic.twitter.com/xs6U6otKfG
— ANI (@ANI) September 1, 2022
हैदराबाद के एमआईएआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM chief Asaduddin Owaisi) ने कहा कि उत्तरप्रदेश समेत पूरे देश में मदरसे अनुच्छेद 30 के अनुसार बनाए गए हैं. फिर यूपी सरकार ने सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया? उन्होंने कहा कि यह एक सर्वेक्षण नहीं है बल्कि एक मिनी-एनआरसी (mini NRC in uttarpradesh) है. उत्तरप्रदेश में कुछ मदरसे यूपी मदरसा बोर्ड (UP Madarsa Board) के अधीन हैं. सरकार अनुच्छेद 30 के तहत हमारे अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ की सरकार सर्वे के बहाने मुसलमानों को परेशान करना चाहती हैं.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल 16,461 मदरसे संचालित हैं, जिनमें से 560 को सरकार की तरफ से आर्थिक अनुदान दिया जाता है. सर्वे के तहत सर्वेक्षण में मदरसे का नाम, उसका संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसा की बिल्डिंग के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी. इसके अलावा रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, पेयजल, फर्नीचर, इलेक्ट्रिसिटी और टॉयलेट की व्यवस्था, टीचरों की संख्या, मदरसे में लागू पाठ्यक्रम और इनकम का स्रोत के बारे में जांच की जाएगी.
इस विवाद पर पहले ही प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी पहले ही सफाई दे चुके हैं. दानिश आजाद अंसारी ने अपने बयान में बताया था कि सरकार की मंशा मदरसों में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अपेक्षा के मुताबिक छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधा देने की है.