नई दिल्ली : संसद में यूक्रेन संकट पर चर्चा का जवाब देते हुए विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच टकराव के संबंध में वे किसी भी प्रकार के राजनीतिकरण के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय रणनीति क्या होनी चाहिए, इस पर भारत चार बिंदुओं को स्पष्ट करना चाहता है. उन्होंने कहा, 'भारत का रुख राष्ट्रीय विश्वास एवं मूल्यों, राष्ट्रीय हितों और राष्ट्रीय रणनीति के तहत निर्देशित है. हम मानते हैं कि हिंसा एवं निर्दोष लोगों के जीवन की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकल सकता. संवाद और कूटनीति ही एकमात्र उपाय है.'
विदेश मंत्री ने बताया कि पीएम मोदी ने रूस के विदेश मंत्री लावारोव के भारत दौरे के दौरान भारत ने अपने रूख से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि भारत संघर्ष के पूरी तरह से खिलाफ है और तत्काल हिंसा समाप्त करने के पक्ष में हैं तथा इस मुद्दे पर उसने कोई पक्ष चुना है तो वह शांति का पक्ष है. उन्होंने कहा कि आज की वैश्विक परिस्थितियों में हमारा मानना है कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों तथा सभी की क्षेत्रीय अखंडता एवं सम्प्रभुता का सम्मान करना चाहिए.
तेल की कीमतें चिंताजनक, विकल्प तलाश रही सरकार : जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन के डिप्टी पीएम ने भारत से अतिरिक्त दवाओं की मदद मांगी है, भारत जल्द ही दवाओं को भेजेगा. उन्होंने कहा कि यूक्रेन रूस टकराव का भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम असर हो, इस दिशा में प्रयास जारी हैं. उन्होंने कहा कि बासमती चावल, चीनी और गेहूं के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है. दवाओं का निर्यात भी उत्साहजनक है. उन्होंने कहा कि खाद्यान्न और अन्य सामान की वैश्विक मांग के संबंध में भारत सक्रियता से काम कर रहा है. उहोंने बताया कि भारत खाने के तेल के विकल्प तलाश रहा है. वैश्विक बाजार में मौजूद विकल्पों पर सरकार लगातार विचार कर रही है. बकौल विदेश मंत्री, यूक्रेन की स्थिति का भारत के अलावा दुनिया के अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी असर पड़ रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने खुद संभाली कमान : विदेश मंत्री ने चर्चा में कुछ विपक्षी सदस्यों की टिप्पणियों के परोक्ष संदर्भ में यह भी कहा कि यूक्रेन की स्थिति के संबंध में भारत के कदमों को राजनीतिक रंग देने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण है. विदेश मंत्री ने कहा, 'हम ने रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति स्तर से लेकर हर स्तर पर संवाद किया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं बात की. उन्होंने कहा कि भारत की यात्रा पर आए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को हमारा यही संदेश था कि भारत शांति के लिए कोई भी मदद दे सकता है तो इसके लिये तैयार है.
लोक सभा में चर्चा के दौरान सरकार का जवाब- गौरतलब है कि इससे पहले मंगलवार को लोक सभा में यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध की गंभीरता के मद्देनजर नियम 193 के तहत विस्तार से चर्चा की गई थी. इस दौरान ऑपरेशन गंगा के लिए नियुक्त किए गए केंद्रीय मंत्रियों- ज्योतिरादित्य सिंधिया, जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह, किरेन रिजिजू और हरदीप सिंह पुरी ने भी हस्तक्षेप किया था. मंत्रियों ने यूक्रेन के पड़ोसी देशों में जमीनी हकीकत का जिक्र कर बताया था कि हालात की गंभीरता को भांपते हुए सरकार ने हरसंभव कदम भारत के नागरिकों के हित में उठाए.
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गुटनिरपेक्षता से जुड़े नेहरूवादी सिद्धांत का जिक्र : लोक सभा में चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने सरकार को यूक्रेन संकट के भू-राजनीतिक एवं आर्थिक प्रभाव को लेकर सचेत करते हुए कहा कि सरकार को इस युद्ध को खत्म कराने और शांति की बहाली में अपनी भूमिका निभानी चाहिए. निचले सदन में नियम 193 के तहत यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सरकार से यह आग्रह भी किया कि उसे मौजूदा समय में गुटनिरपेक्षता से जुड़े नेहरूवादी सिद्धांत का अनुसरण करना चाहिए जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है.
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गैरजरूरी काम पर विपक्ष का सवाल : तिवारी ने रूस के साथ भारत के संबंधों का हवाला देते हुए कहा कहा कि रूस भारत का विश्वसनीय मित्र रहा है और बहुत मुश्किल समय में उसने हमारी मदद की. कांग्रेस नेता ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय का उल्लेख करते हुए कहा कि उस वक्त भारत की सेना के पराक्रम और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दक्ष कूटनीति के चलते बांग्लादेश को आजादी मिली. उन्होंने कहा कि दूसरे देशों में फंसे होने के भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने का सफल अभियान चलाया गया, लेकिन इस तरह से कभी पीठ नहीं थपथपाई गई. इस तरह के बच्चों से नारे नहीं लगवाए गए है... यह सब गैरजरूरी था.