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IIT Kanpur के प्रोफेसर बाेले- भारत के जोन-5 के शहराें में भूकंप आने की ज्यादा संभावना

तुर्किये और सीरिया में आए भूकंप से लाेग सहमे हुए हैं. आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर ने देश के कई शहराें में भी भूकंप की संभावना जताई है. उन्हाेंने लाेगाें काे सचेत रहने की सलाह दी है.

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Published : Feb 11, 2023, 1:00 PM IST

कानपुर : हाल ही में तुर्किये और सीरिया में भीषण भूकंप ने काफी तबाही मचाई. इस आपदा में 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई. इसके अलावा कई लाेग घायल भी हाे गए. इस घटना के बाद भूकंप के पूर्वानुमान काे लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ गई है. आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद मलिक का दावा है कि अपने देश में भी भूकंप आने की संभावना है. ऐसे में इससे घबराने के बजाय सचेत रहने की जरूरत है.

आईआईटी के प्रोफेसर जावेद मलिक ने बताया कि जल्द ही भूंकप से देश की धरती डोलेगी, लेकिन इसे लेकर हमें घबराने की जरूरत नहीं है. कुछ दिनों पहले दिल्ली से लेकर लखनऊ तक भूकंप के हल्के झटके महसूस भी किए गए थे. यह झटके संकेत देते हैं कि आने वाले दिनों में भारत में भूकंप की आशंका है. आईआईटी कानपुर के अर्थ साइंस विभाग के प्रोफेसर ने शोध किया है. उनका दावा है कि भूकंप आने का केंद्र हिमालय अथवा अंडमान निकोबार या फिर कच्छ हो सकता है.

जानिए क्यों आते हैं भूकंप : प्रो. जावेद मलिक ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जमीन में बहुत अधिक गहराई पर टेक्टोनिक प्लेटें होती हैं. इनके हिलने, आपस में टकराने व चढ़ाव और ढलाव के चलते लगातार प्लेटों के बीच तनाव की स्थिति बन जाती है. फिर यह ऊर्जा में बदलती है और इसी वजह से आमजन को भूकंप के झटके लगते हैं. अगर ऊर्जा बहुत अधिक मात्रा में रिलीज होती है, तो भूकंप के तेज झटके होते हैं या कह सकते हैं, उनकी तीव्रता बहुत अधिक होती है. उन्होंने बताया कि तुर्किये में जो भूकंप आया उसकी तीव्रता 7.8 मैग्नीट्यूड रही. इसी तरह अंडमान निकोबार में वर्ष 2004 में 9.1 तीव्रता का, सेंट्रल हिमालय के कुमाऊं हिमांचल क्षेत्र में 7.5 से लेकर 8.7 मैग्नीट्यूड के भूकंप आ चुके हैं.

जानिए कौन सा शहर किस जोन में : जोन 2 में भोपाल, जयपुर, हैदराबाद समेत आसपास के अन्य शहर हैं. जोन 3 में कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, सोनभद्र, चंदौली समेत आसपास के अन्य शहर हैं. जोन-4 में बहराइच, लखीमपुर, पीलीभीत, गाजियाबाद, रुड़की, नैनीताल, लखीमपुर समेत अन्य तराई वाले क्षेत्र हैं. इसके अलावा जोन-5 में कच्छ, अंडमान निकोबार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत अन्य आसपास के राज्य व शहर हैं.

जोन-3 रहता है सुरक्षित : प्रो.जावेद ने बताया कि देश के अंदर जोन-5 के जो क्षेत्र हैं, वहां भूकंप आने की आशंका सबसे अधिक होती है. जबकि जोन-3 का एरिया उसके मुकाबले बहुत अधिक सुरक्षित है. इसके साथ ही जोन-2 व जोन-4 के क्षेत्रों में भूंकप आने की स्थिति बनी रहती है.

यह भी पढ़ें : फरवरी में में टूटा 5 दशक का रिकार्ड, कानपुर में तापमान 30.8 डिग्री पहुंचा

कानपुर : हाल ही में तुर्किये और सीरिया में भीषण भूकंप ने काफी तबाही मचाई. इस आपदा में 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई. इसके अलावा कई लाेग घायल भी हाे गए. इस घटना के बाद भूकंप के पूर्वानुमान काे लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ गई है. आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर जावेद मलिक का दावा है कि अपने देश में भी भूकंप आने की संभावना है. ऐसे में इससे घबराने के बजाय सचेत रहने की जरूरत है.

आईआईटी के प्रोफेसर जावेद मलिक ने बताया कि जल्द ही भूंकप से देश की धरती डोलेगी, लेकिन इसे लेकर हमें घबराने की जरूरत नहीं है. कुछ दिनों पहले दिल्ली से लेकर लखनऊ तक भूकंप के हल्के झटके महसूस भी किए गए थे. यह झटके संकेत देते हैं कि आने वाले दिनों में भारत में भूकंप की आशंका है. आईआईटी कानपुर के अर्थ साइंस विभाग के प्रोफेसर ने शोध किया है. उनका दावा है कि भूकंप आने का केंद्र हिमालय अथवा अंडमान निकोबार या फिर कच्छ हो सकता है.

जानिए क्यों आते हैं भूकंप : प्रो. जावेद मलिक ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जमीन में बहुत अधिक गहराई पर टेक्टोनिक प्लेटें होती हैं. इनके हिलने, आपस में टकराने व चढ़ाव और ढलाव के चलते लगातार प्लेटों के बीच तनाव की स्थिति बन जाती है. फिर यह ऊर्जा में बदलती है और इसी वजह से आमजन को भूकंप के झटके लगते हैं. अगर ऊर्जा बहुत अधिक मात्रा में रिलीज होती है, तो भूकंप के तेज झटके होते हैं या कह सकते हैं, उनकी तीव्रता बहुत अधिक होती है. उन्होंने बताया कि तुर्किये में जो भूकंप आया उसकी तीव्रता 7.8 मैग्नीट्यूड रही. इसी तरह अंडमान निकोबार में वर्ष 2004 में 9.1 तीव्रता का, सेंट्रल हिमालय के कुमाऊं हिमांचल क्षेत्र में 7.5 से लेकर 8.7 मैग्नीट्यूड के भूकंप आ चुके हैं.

जानिए कौन सा शहर किस जोन में : जोन 2 में भोपाल, जयपुर, हैदराबाद समेत आसपास के अन्य शहर हैं. जोन 3 में कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, सोनभद्र, चंदौली समेत आसपास के अन्य शहर हैं. जोन-4 में बहराइच, लखीमपुर, पीलीभीत, गाजियाबाद, रुड़की, नैनीताल, लखीमपुर समेत अन्य तराई वाले क्षेत्र हैं. इसके अलावा जोन-5 में कच्छ, अंडमान निकोबार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत अन्य आसपास के राज्य व शहर हैं.

जोन-3 रहता है सुरक्षित : प्रो.जावेद ने बताया कि देश के अंदर जोन-5 के जो क्षेत्र हैं, वहां भूकंप आने की आशंका सबसे अधिक होती है. जबकि जोन-3 का एरिया उसके मुकाबले बहुत अधिक सुरक्षित है. इसके साथ ही जोन-2 व जोन-4 के क्षेत्रों में भूंकप आने की स्थिति बनी रहती है.

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