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Anand Mohan: आनंद मोहन की बढ़ेंगी मुश्किलें?, रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को नोटिस

बिहार में बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई शुरू कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार, आनंद मोहन और केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी करके तय समय में जवाब मांगा है. क्या है पूरा मामला और क्यों लगाई गई है सर्वोच्च अदालत में याचिका? एक क्लिक में समझें-

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Published : May 8, 2023, 9:15 PM IST

Updated : May 8, 2023, 10:59 PM IST

आनंद मोहन की रिहाई...फंस गए नीतीश ?

नई दिल्ली/पटना: दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार और आनंद मोहन दोनों को नोटिस भेजा और दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है. साथ ही कोर्ट ने सहरसा एसपी को यह भी निर्देश दिया कि यह देखें कि आनंद मोहन को नोटिस मिल जाए.

ये भी पढ़ें- Manipur violence: जानमाल का नुकसान होने से SC चिंतित, पुनर्वास के लिए कदम उठाने के दिए निर्देश

''बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव किया है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी आनंद मोहन को लाभ दिया जाए. इस फैसले को दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने चैलेंज किया है. कोर्ट ने बिहार सरकार से इस केस में दो हफ्ते में जवाब मांगा है.''- केजे अल्फान्जो, एडवोकेट, उमा कृष्णैया

आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार सरकार को नोटिस: बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस देकर दो हफ्ते में जवाब मांगा है. नोटिस में केंद्रीय गृह मंत्रालय, बिहार सरकार के सेंटेंस रिमेशन बोर्ड को भी नोटिस जारी किया गया है. हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से रिहाई से जुड़े सारे रिकॉर्ड को भी मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ये देखना चाहता है कि आनंद मोहन को नियमों में संशोधन करके जो रिहाई दी गई है वो क्या किसी कानून सम्मत है या किसी कानून का वायलेशन है?

'सुप्रीम कोर्ट से न्याय जरूर मिलेगा' : सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के बाद जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने कहा कि हमें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुये बिहार सरकार और अन्य संबंधित लोगों को नोटिस भेजा है. इस मामले में दो हफ्ते के अंदर सभी को जवाब देने को भी कहा है. हम लोगों को सुप्रीम कोर्ट में न्याय जरूर मिलेगा.

ईटीवी भारत, GFX
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बिहार सरकार ने बदला जेल मैनुअल: बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव करके 27 अप्रैल को आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा किया गया था. नियम में बदलाव के बाद रिहाई की प्रक्रिया इतनी तेज हुई कि मर चुके कैदी का नाम भी रिहाई की लिस्ट में डाल दिया गया. इस लिस्ट को बिहार सरकार के रवैये पर सवाल भी खड़े हुए.

क्या था नियम, क्या बदलाव हुआ: दरअसल, बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर बिहार जेल नियमावली 2012 के 481(i)(a) में संशोधन किया गया. इसी नियम के तहत उस प्रावधान को हटाया गया जिससे आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया. नए नियम के मुताबिक ड्यूटी के दौरान किसी लोकसेवक की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले दोषी को 20 साल कैद की जगह 14 साल कर दिया गया.

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SC में उमा कृष्णैया की याचिका : गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्याकांड के दोषी बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई को उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. उन्होंने अपनी याचिका में बिहार सरकार के उस नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की जिसके तहत उन्हें रिहा किया गया. जी कृष्णैया की हत्या 5 दिसंबर 1994 को हुई.

बाहुबली की रिहाई के खिलाफ पटना HC में PIL : पटना हाईकोर्ट में भी सामाजिक कार्यकर्ता अमर ज्योति ने एक जनहित याचिका दायर करके बिहार सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी कर किए गए बदलाव को चुनौती दी है. याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा है कि ये संशोधन गैरकानूनी है. बदलाव वाली अधिसूचना के चलते कानून व्यवस्था का गलत असर पड़ेगा. इस संशोधन से मौजूद लोक सेवकों का मनोबल गिरने वाला है. इस मामले की सुनवाई कब होनी है इसपर अभी तक तारीख नहीं मिली है.

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1994 में हुई थी जी कृष्णैया की हत्या : 5 दिसंबर 1994 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या कर दी थी. उन्हें गोली भी मारी गई थी. दरअसल, 4 दिसंबर 1994, आनंद मोहन की बिहार पीपुल्स पार्टी के नेता छोटन शुक्ला की हत्या से समर्थक उग्र हो गए थे. समर्थक छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान मुजफ्फरपुर के खबरा गांव के पास से गुजर रहे जी कृष्णैया की को भीड़ ने घेर लिया और उनकी पीट पीटकर हत्या कर दी. इसी मामले में आनंद मोहन पर हत्या का आरोप लगा था.

आनंद मोहन की 'ताकत' समझिए : बिहार में अगड़ी जातियों का कुल 12 फीसदी वोट बैंक है, जिनमें तकरीबन 4 से 5 फीसदी राजपूत हैं. बिहार में 30 से 35 सीटों पर राजपूत मतदाता हार जीत तय करते हैं. इस वोट बैंक का किसी खास पार्टी की पकड़ नहीं है. लेकिन अपनी बिरादरी में आज भी आनंद मोहन की तूती बोलती है.

आनंद मोहन की रिहाई...फंस गए नीतीश ?

नई दिल्ली/पटना: दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार और आनंद मोहन दोनों को नोटिस भेजा और दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है. साथ ही कोर्ट ने सहरसा एसपी को यह भी निर्देश दिया कि यह देखें कि आनंद मोहन को नोटिस मिल जाए.

ये भी पढ़ें- Manipur violence: जानमाल का नुकसान होने से SC चिंतित, पुनर्वास के लिए कदम उठाने के दिए निर्देश

''बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव किया है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी आनंद मोहन को लाभ दिया जाए. इस फैसले को दिवंगत डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने चैलेंज किया है. कोर्ट ने बिहार सरकार से इस केस में दो हफ्ते में जवाब मांगा है.''- केजे अल्फान्जो, एडवोकेट, उमा कृष्णैया

आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार सरकार को नोटिस: बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस देकर दो हफ्ते में जवाब मांगा है. नोटिस में केंद्रीय गृह मंत्रालय, बिहार सरकार के सेंटेंस रिमेशन बोर्ड को भी नोटिस जारी किया गया है. हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से रिहाई से जुड़े सारे रिकॉर्ड को भी मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ये देखना चाहता है कि आनंद मोहन को नियमों में संशोधन करके जो रिहाई दी गई है वो क्या किसी कानून सम्मत है या किसी कानून का वायलेशन है?

'सुप्रीम कोर्ट से न्याय जरूर मिलेगा' : सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के बाद जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने कहा कि हमें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुये बिहार सरकार और अन्य संबंधित लोगों को नोटिस भेजा है. इस मामले में दो हफ्ते के अंदर सभी को जवाब देने को भी कहा है. हम लोगों को सुप्रीम कोर्ट में न्याय जरूर मिलेगा.

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बिहार सरकार ने बदला जेल मैनुअल: बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव करके 27 अप्रैल को आनंद मोहन समेत 26 कैदियों को रिहा किया गया था. नियम में बदलाव के बाद रिहाई की प्रक्रिया इतनी तेज हुई कि मर चुके कैदी का नाम भी रिहाई की लिस्ट में डाल दिया गया. इस लिस्ट को बिहार सरकार के रवैये पर सवाल भी खड़े हुए.

क्या था नियम, क्या बदलाव हुआ: दरअसल, बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को अधिसूचना जारी कर बिहार जेल नियमावली 2012 के 481(i)(a) में संशोधन किया गया. इसी नियम के तहत उस प्रावधान को हटाया गया जिससे आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया. नए नियम के मुताबिक ड्यूटी के दौरान किसी लोकसेवक की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले दोषी को 20 साल कैद की जगह 14 साल कर दिया गया.

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SC में उमा कृष्णैया की याचिका : गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया हत्याकांड के दोषी बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई को उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. उन्होंने अपनी याचिका में बिहार सरकार के उस नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की जिसके तहत उन्हें रिहा किया गया. जी कृष्णैया की हत्या 5 दिसंबर 1994 को हुई.

बाहुबली की रिहाई के खिलाफ पटना HC में PIL : पटना हाईकोर्ट में भी सामाजिक कार्यकर्ता अमर ज्योति ने एक जनहित याचिका दायर करके बिहार सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी कर किए गए बदलाव को चुनौती दी है. याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा है कि ये संशोधन गैरकानूनी है. बदलाव वाली अधिसूचना के चलते कानून व्यवस्था का गलत असर पड़ेगा. इस संशोधन से मौजूद लोक सेवकों का मनोबल गिरने वाला है. इस मामले की सुनवाई कब होनी है इसपर अभी तक तारीख नहीं मिली है.

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1994 में हुई थी जी कृष्णैया की हत्या : 5 दिसंबर 1994 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में भीड़ ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या कर दी थी. उन्हें गोली भी मारी गई थी. दरअसल, 4 दिसंबर 1994, आनंद मोहन की बिहार पीपुल्स पार्टी के नेता छोटन शुक्ला की हत्या से समर्थक उग्र हो गए थे. समर्थक छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान मुजफ्फरपुर के खबरा गांव के पास से गुजर रहे जी कृष्णैया की को भीड़ ने घेर लिया और उनकी पीट पीटकर हत्या कर दी. इसी मामले में आनंद मोहन पर हत्या का आरोप लगा था.

आनंद मोहन की 'ताकत' समझिए : बिहार में अगड़ी जातियों का कुल 12 फीसदी वोट बैंक है, जिनमें तकरीबन 4 से 5 फीसदी राजपूत हैं. बिहार में 30 से 35 सीटों पर राजपूत मतदाता हार जीत तय करते हैं. इस वोट बैंक का किसी खास पार्टी की पकड़ नहीं है. लेकिन अपनी बिरादरी में आज भी आनंद मोहन की तूती बोलती है.

Last Updated : May 8, 2023, 10:59 PM IST
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