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'पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई के लिये कदम नहीं उठा रहे कई देश'

कोविड-19 के चलते जिन देशों में स्कूल बंद थे या हैं, उनमें कुछ देशाें ने पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई के लिये उपचारात्मक कार्यक्रम लागू नहीं किए हैं. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.

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Published : Jul 13, 2021, 9:02 PM IST

नई दिल्ली : यूनेस्को, यूनिसेफ, विश्व बैंक और ओईसीडी ने 'कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने से राष्ट्रीय शिक्षा पर प्रभाव सर्वेक्षण' किया था. इसके अलावा सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल एक-तिहाई देश प्राथमिक और दूसरे निचले स्तरों पर पढ़ाई को हुए नुकसान के आकलन के लिए कदम उठा रहे हैं. इनमें ज्यादातर उच्च आय वाले देश हैं.

इसके अनुसार, एक तिहाई से भी कम निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने बताया कि सभी छात्र व्यक्तिगत रूप से स्कूली शिक्षा में नहीं लौटे थे, जो पढ़ाई को हुए नुकसान और स्कूल छोड़ने का जोखिम बढ़ने की ओर से इशारा करता है.

हालांकि, अधिकांश देशों ने छात्रों को स्कूल लौटने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते कम से कम एक प्रकार के संपर्क का उपयोग करने की जानकारी दी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें सामुदायिक संबंध, स्कूल-आधारित ट्रैकिंग, स्वच्छता सेवाएं, वित्तीय प्रोत्साहन और संपर्क नीतियों की समीक्षा शामिल हैं.

विश्व बैंक में शिक्षा के वैश्विक निदेशक, जैमे सावेद्रा ने कहा, 'उन बच्चों की मदद करने के लिए उपचारात्मक निर्देश महत्वपूर्ण हैं, जो स्कूल छोड़ चुके हैं, ताकि वे पटरी पर लौट सकें और पढ़ाई को हुए दीर्घकालिक नुकसान को कम कर सकें

इसे भी पढ़ें : अब भारत में होगा स्पूतनिक वैक्सीन का उत्पादन, सीरम ने किया समझौता

सर्वेक्षण में बताया गया है कि कैसे देश पढ़ाई को हुए नुकसान की निगरानी और उसकी भरपाई कर रहे हैं. इसके अलावा, स्कूलों को फिर से खोलने और दूरस्थ शिक्षा रणनीतियों को लागू करने की चुनौती से कैसे निपट रहे हैं. कुल मिलाकर, फरवरी से मई के बीच हुए इस सर्वेक्षण में 142 देशों ने जवाब दिया था. यह सर्वेक्षण प्राथमिक-पूर्व, प्राथमिक, निम्न माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तरों पर किया गया.
(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : यूनेस्को, यूनिसेफ, विश्व बैंक और ओईसीडी ने 'कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने से राष्ट्रीय शिक्षा पर प्रभाव सर्वेक्षण' किया था. इसके अलावा सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल एक-तिहाई देश प्राथमिक और दूसरे निचले स्तरों पर पढ़ाई को हुए नुकसान के आकलन के लिए कदम उठा रहे हैं. इनमें ज्यादातर उच्च आय वाले देश हैं.

इसके अनुसार, एक तिहाई से भी कम निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने बताया कि सभी छात्र व्यक्तिगत रूप से स्कूली शिक्षा में नहीं लौटे थे, जो पढ़ाई को हुए नुकसान और स्कूल छोड़ने का जोखिम बढ़ने की ओर से इशारा करता है.

हालांकि, अधिकांश देशों ने छात्रों को स्कूल लौटने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते कम से कम एक प्रकार के संपर्क का उपयोग करने की जानकारी दी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें सामुदायिक संबंध, स्कूल-आधारित ट्रैकिंग, स्वच्छता सेवाएं, वित्तीय प्रोत्साहन और संपर्क नीतियों की समीक्षा शामिल हैं.

विश्व बैंक में शिक्षा के वैश्विक निदेशक, जैमे सावेद्रा ने कहा, 'उन बच्चों की मदद करने के लिए उपचारात्मक निर्देश महत्वपूर्ण हैं, जो स्कूल छोड़ चुके हैं, ताकि वे पटरी पर लौट सकें और पढ़ाई को हुए दीर्घकालिक नुकसान को कम कर सकें

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सर्वेक्षण में बताया गया है कि कैसे देश पढ़ाई को हुए नुकसान की निगरानी और उसकी भरपाई कर रहे हैं. इसके अलावा, स्कूलों को फिर से खोलने और दूरस्थ शिक्षा रणनीतियों को लागू करने की चुनौती से कैसे निपट रहे हैं. कुल मिलाकर, फरवरी से मई के बीच हुए इस सर्वेक्षण में 142 देशों ने जवाब दिया था. यह सर्वेक्षण प्राथमिक-पूर्व, प्राथमिक, निम्न माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तरों पर किया गया.
(पीटीआई-भाषा)

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