पटना: राजधानी दिल्ली में मंगलवार 19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन के घटक दलों की चौथी बैठक होने जा रही है. इंडिया गठबंधन की अब तक तीन बैठकें हुई हैं, लेकिन किसी में भी सीट शेयरिंग पर चर्चा नहीं हुई. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों में कांग्रेस का इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच ही मुकाबला है. ऐसे में सीट शेयरिंग पर सबकी नजर है.
कांग्रेस को अधिक सीट देने के लिए तैयार नहीं : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के कारण इंडिया गठबंधन की बैठक लंबे अर्से बात हो रही है. बैठक में विलंब को लेकर नीतीश कुमार कांग्रेस के खिलाफ अपनी नाराजगी भी जता चुके हैं. पांच राज्यों के चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन के कई दलों ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा था. अब 19 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की अहम बैठक होने जा रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही फार्मूला दे रखा है कि जिन राज्यों में क्षेत्रीय दल मजबूत है वहां उनकी हैसियत के हिसाब से कांग्रेस को उन दलों के हवाले छोड़ देना चाहिए. बीजेपी के खिलाफ साझा उम्मीदवार देने पर सहमति बनाना चाहिए.
"जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का भी कहना है कि राज्यों में जिसकी जितनी हैसियत उस हिसाब से ही सीटों पर समझौता होना चाहिए. बिहार ने महागठबंधन बनाकर एक मॉडल दिया है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता जदयू
सब कुछ कांग्रेस पर निर्भर करेगाः राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का कहना है इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पहली बार सीट शेयरिंग पर कांग्रेस चर्चा करने वाली है. सब कुछ कांग्रेस पर ही निर्भर करेगा कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के लिए कितना सीट छोड़ना चाहती है. अभी पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस ने अपने बूते चुनाव लड़ा था. उससे पहले कर्नाटक में कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन पांच राज्यों के चुनाव में से चार में कांग्रेस को हार मिली है. इसलिए क्षेत्रीय दलों का कांग्रेस पर दबाव होगा. लेकिन, कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के हवाले राज्यों को पूरी तरह से छोड़ देगा इसकी संभावना कम ही है.
"उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल जैसे राज्यों में ड्राइविंग सीट पर क्षेत्रीय दल ही बैठेंगे. अब बिहार में लालू जी जितनी सीट दे दें कांग्रेस को स्वीकार करना ही पड़ेगा. इसी तरह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बंगाल में ममता बनर्जी पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस को कितनी सीट दें."- अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक
लोकसभा में इंडिया गठबंधन की वर्तमान स्थितिः अभी लोकसभा में कांग्रेस के 51, टीएमसी के 23, शिवसेना उद्धव ठाकरे के 6, शरद गुट के 4, सीपीआई के 2, सीपीआईएम के तीन, जदयू के 16, डीएमके के 23, आप का एक, झामुमो का एक, समाजवादी पार्टी के तीन, नेशनल कांफ्रेंस के तीन, आईयूएमएल के 3, वीसीके का एक सांसद हैं. इंडिया गठबंधन के 28 घटक दलों में से 11 घटक दलों के पास फिलहाल एक भी सांसद नहीं है, उसमें आरजेडी भी है.
भाजपा का विजय अभियान: 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हिंदी पट्टी के 10 राज्यों में 225 लोकसभा सीटों में से 190 पर शानदार जीत दर्ज की थी. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी का 85 प्रतिशत स्ट्राइक रेट रहा था. इसके साथ क्षेत्रीय दलों की जहां मजबूत स्थिति है उसमें बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना पर भी बीजेपी की नजर रही है. इन राज्यों में कांग्रेस का इंडिया गठबंधन के घटक दलों से ही सीधा मुकाबला होता रहा है. जिसका लाभ भाजपा को कई सीटों पर मिलता रहा है.
इंडिया गठबंधन अबतकः विपक्षी दलों की पहली बैठक 23 जून को पटना में हुई थी, जिसमें 15 दल शामिल हुए थे. दूसरी बैठक बेंगलुरु में 17- 18 जुलाई को हुई, जिसमें 26 दल शामिल हुए थे. तीसरी बैठक 31 अगस्त से 1 सितंबर को हुई थी, इसमें 28 दल शामिल हुए थे. इंडिया गठबंधन के नाम पर फैसला हुआ था और पांच कमिटियां बनीं हैं. ये हैं कैंपेन कमिटी, कोऑर्डिनेशन या स्ट्रेटजी कमेटी, मीडिया कमिटी, सोशल मीडिया कमिटी और रिसर्च कमेटी. कैंपेन कमिटी में 21 सदस्य बनाए गए थे तो वही कोऑर्डिनेशन कमेटी में एक सीएम, एक डिप्टी सीएम, दो पूर्व मुख्यमंत्री सहित 14 सदस्यीय टीम तैयार की गई थी. कोऑर्डिनेशन कमेटी में पांच राज्यसभा और दो लोकसभा सांसद को भी जगह दी गई थी.
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