पटना/नई दिल्ली: गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका दायर की थी. इस याचिका में बिहार सरकार के नियमों में बदलाव के नोटिफिकेशन को खारिज करने की मांग की गई थी. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर आठ मई को सुनवाई की जाएगी. अब राज्य सरकार के साथ ही तमाम लोगों की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर है.
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Supreme Court agrees to list on May 8, IAS officer G Krishnaiah's wife Uma Krishnaiah's plea challenging the premature release of Bihar politician Anand Mohan from prison. pic.twitter.com/yQsuG4N50n
— ANI (@ANI) May 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) May 1, 2023
सुप्रीम कोर्ट में 8 मई को होगी आनंद मोहन मामले की सुनवाई: बता दें कि जेल मैनुअल में संशोधन करके बिहार सरकार ने आनंद मोहन समेत कुल 27 लोगों को जेल से रिहा कर दिया है. इसके बाद से आरोप प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है. जी कृष्णैया की पत्नी ने इस फैसले पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा था कि यह फैसल सही नहीं है. सिर्फ कास्ट पॉलिटिक्स के लिए आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया गया है. साथ ही उमा कृष्णैया ने कहा था कि इस फैसले को चुनौती देंगी. आनंद मोहन की रिहाई के दो दिन बाद उमा कृष्णैया दिल्ली पहुंची गईं और सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन की जेल से रिहाई के मामले को लेकर याचिका दायर की थी. अब इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में एक हफ्ते बाद सोमवार यानी कि 8 मई को सुनवाई होगी.
क्या आनंद मोहन की बढ़ सकती है मुश्किलें?: उमा कृष्णैया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या क्या बाहुबली आनंद मोहन को फिर से जेल की हवा खानी पड़ सकती है? दरअसल आनंद मोहन की जेल से रिहाई की प्रक्रिया साल 2021 में शुरू हो गई थी. इसको लेकर सहरसा के तत्कालीन एसपी से मंतव्य मांगा गया था. इसपर उन्होंने कहा था कि आनंद मोहन की रिहाई से समाज को कोई फर्क नहीं पड़ सकता है. इसके बाद सहरसा कोर्ट ने भी यही बात कही थी. इन मंतव्यों के बाद आनंद मोहन की रिहाई की प्रक्रिया में तेजी आई थी. लोक सेवक की हत्या मामले में साल 2012 का कानून रोड़ा अटका रहा था. सरकार ने इस कानून को भी हटा दिया. हालांकि कानून हटाने में दो साल का समय लग गया.