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RRB/NTPC बवाल: रिजल्ट में धांधली से धधक रहा बिहार या कोई साजिश? जानें सबकुछ

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Published : Jan 27, 2022, 6:41 PM IST

आरआरबी एनटीपीसी रिजल्ट में धांधली (RRB- NTPC Result 2021) के आरोप में भड़का छात्रों का गुस्सा अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि इस मामले में राजनीति शुरू हो गई. छात्रों के बवाल के बाद सामने आए कुछ कोचिंग संस्थानों के संचालकों पर प्राथमिकी दर्ज हुई है. बताया गया है कि कई शिक्षकों ने बवाल में भड़की चिंगारी को हवा देने का काम किया था. पढ़ें पूरी खबर....

reason of ruckus in railway candidates
रेलवे उम्मीदवारों में बवाल का कारण

पटनाः आरआरबी (Railway Recruitment Board) एनटीपीसी (Non-Technical Popular Categories) के रिजल्ट में धांधली के आरोप के बाद पिछले तीन दिनों से बवाल की आग में जल रहे बिहार में अब हंगामे की हकीकत खुलने लगी है. रेलवे ने कमेटी गठन कर जांच के आश्वासन का पानी जैसे ही पड़ा आग धीरे-धीरे बुझने लगी. लेकिन चिंगारी को हवा देकर शोले में बदलने की कोशिशें भी खूब की गईं. बिहार के कई शहरों में रेलवे की संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया. रेलवे अभ्यर्थियों के हंगामे ने देश के अलग-अलग हिस्सों में भी आवागमन पर प्रभाव डाला. खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnaw) ने छात्रों से कानून अपने हाथ में ना लेने की अपील की.

बवाल की वजह? दरअसल, रेलवे भर्ती बोर्ड की गैर तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों की परीक्षा-2021 परिणाम 14-15 जनवरी को जारी किये गए थे. इन परीक्षाओं में 1 करोड़ 40 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे और नतीजे आने के बाद से ही छात्रों के बीच असंतोष का मुद्दा छाया हुआ है. इसके विरोध में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. ये विरोध बिहार और देश के कई अन्य हिस्सों में छात्रों द्वारा किया जा रहा है. मंगलवार को प्रदर्शनकारी छात्रों ने कई स्थानों पर रेल पटरियों पर धरना दिया, कई घण्टे तक रेलों को बाधित किया. हालांकि इस बीच रेल मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर प्रदर्शनकारी उम्मीदवारों को रेलवे की नौकरी पाने से जीवन भर के लिए बैन करने की चेतावनी भी दी.

छात्रों के हंगामे से हालात बेकाबू हुए तो पुलिस एक्शन में आई और हंगामा करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई. आंदोलन के लिए छात्रों को उकसाने और उन्हें हिंसा के प्रेरित करने के मामले में गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों के बयान पर पटना वाले खान सर (Khan Sir) , एस के झा सर, नवीन सर, अमरनाथ सर, गगन प्रताप सर, गोपाल वर्मा सर तथा बाजार समिति के विभिन्न कोचिंग संस्थानों के संचालकों के खिलाफ पटना के पत्रकारनागर थाना में मामला दर्ज किया गया. पत्रकार नगर थाना के थानेदार की शिकायत पर दर्ज इस FIR में चार गिरफ्तार छात्रों के अलावा पटना विभिन्न कोचिंग संचालकों और अज्ञात तीन-चार सौ लोगों के खिलाफ षड्यंत्र के तहत मजमा लगाकर सड़क मार्ग को बाधित करने, दंडाधिकारियों और पुलिसकर्मियों को अपमानित करने तोड़फोड़ करने और यातायात और लोकमार्ग को बाधित करने आदि के आरोप आईपीसी की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया.

पटना वाले खान सर पर भड़काने का आरोप लगा तो खान सर ने इन आरोपों अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है. उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को दिए गए बयान में कहा कि जो भी हुआ है गलत हुआ है, वो खुद छात्रों को समझाने में लगे थे. पूरा आंदोलन लीडरलेस था. इसमें कोई भी शिक्षक शामिल नहीं थे. छात्रों ने आक्रोश में आकर खुद ऐसा कदम उठाया. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि परीक्षा को लेकर रेलवे की तरफ से एकाएक जो बदलाव किए गए, वो सही नहीं हैं. प्रेस कांफ्रेंस करके पहले छात्रों को समझाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे छात्र भड़क गए और उनको रोक पाना मुश्किल हो गया.

ये भी पढ़ें - बिहार के गया रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शनकारियों ने दोबारा फूंकी ट्रेन की बोगियां, देखें वीडियो

कोचिंग संचालकों की गिरफ्तारी को लेकर राजनीतिक पार्टियां भी आगे आ गईं हैं. हम प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि, छात्र आंदोलन को लेकर कई कोचिंग संचालकों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. ये उचित नहीं है. ऐसे समय में ये सब नहीं होना चाहिए खासकर खान सर पर जो मुकदमा दायर किया गया है वो ऐसे समय ठीक नहीं है. इससे आंदोलन को और हवा मिलेगी और आग में घी का काम करेगी. उन्होंने राज्य सरकार से कोचिंग संस्थान के शिक्षकों पर दर्ज मुकदमा को अविलंब वापस लेने का आग्रह किया है.

इस पर जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि रेल मंत्री ने सारी चीजों को स्पष्ट किया है. कमेटी का भी गठन हुआ है और छात्रों की तरफ से भी तार्किक ढंग से बातों को रखा गया है. ऐसे में अब छात्रों से हम लोगों की अपील है कि वह संयम बरतें. छात्रों की मांग पर जो राजनीतिक दल अपनी रोटी सेंकना चाहते हैं. ऐसे दलों से बचने की जरूरत है. उन्होंने विपक्ष पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए सलाह भी दी है कि, छात्रों की रोजगार से संबंधित मांगों को लेकर सरकार को गंभीरता से पहल करनी चाहिए.

पांच सदस्यी हाई पावर कमेटी गठित कर रेलवे ने इस मामले में शांति बरतने की अपील की है. पूर्व मध्य रेलवे ने आरआरबी एनटीपीसी परीक्षा (RRB NTPC Exam) को लेकर अभ्यर्थियों द्वारा बिहार और देश के अन्य हिस्सों में किए जा रहे उग्र प्रदर्शन को लेकर छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की. पूर्व मध्य रेलवे ने छात्रों की समस्या का निपटारा किए जाने का भी आश्वासन दिया. मध्य रेलवे के सीपीआरओ राजेश कुमार ने बताया कि मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय हाई पावर कमेटी (Five Member High Power Committee) का गठन किया है. इसके माध्यम से छात्रों की मांगों को हाई कमेटी तक पहुंचाया जाएगा. सीपीआरओ ने रेलवे का पक्ष रखते हुए कहा कि पूरी परीक्षा निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से ली गई थी. लेकिन रिजल्ट के शॉर्टलिस्टिंग प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थियों के मन में कुछ भ्रातियां है, जिसके निराकरण के लिए रेलवे पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

2019 में निकाली गई वैकेंसी के दौरान जहां लोग 'कोरोना संकटकाल' में लोग रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, वहीं अब आरआरबी और एनटीपीसी के तहत निकाली गई वैकेंसी पर हंगामे के चलते ग्रहण लगता दिख रहा है. अभ्यर्थियों के हंगामे की वजह से सरकार को करोड़ों रुपये की क्षति हुई है. वहीं छात्रों के विरोध के मद्देनजर रेल मंत्रालय ने गैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों और रेलवे भर्ती बोर्ड के स्तर 1 की परीक्षाओं पर रोक लगा दी है. अभ्यर्थियों की सुनवाई के लिए एक समिति (Committee For Railway NTPC Exam) का गठन किया गया है. ये समिति जांच के बाद मंत्रालय को रिपोर्ट देगी.

35 हजार पद के लिए आरआरबी और एनटीपीसी ने वैकेंसी कंडक्ट किया था. जिसमें मैट्रिक और इंटर पास छात्रों के लिए नौकरी के आवेदन ऑफर किए गए थे. साल 2021 में परीक्षा हुई और जब परीक्षाफल प्रकाशित हुए तो एक ही रोल नंबर के चार या पांच लड़के उत्तीर्ण दिखाए जा रहे थे. कुल मिलाकर 384000 रिजल्ट प्रकाशित किया गया. जिसमें कि 735000 रोल नंबर अंकित था. दूसरी तरफ ग्रुप डी की परीक्षा में ऑब्जेक्टिव प्रश्न पत्र के एग्जाम लिए जाते थे, उसके बाद फिजिकल और मेडिकल के जरिए नियुक्ति का प्रावधान था. लेकिन इसमें एक और लिखित परीक्षा जोड़ दिया गया और छात्रों को 15 दिन का समय दिया गया.

ये भी पढ़ें - रेलवे ने प्रदर्शनकारी परीक्षार्थियों की शिकायतों की जांच के लिए एक समिति बनाई

छात्र आरआरबी और एनटीपीसी की कार्यप्रणाली से नाराज हुए और आंदोलन पर उतर गए. एक ही छात्र को कई पदों पर उत्तीर्ण दिखाए जाने से छात्रों में असंतोष भड़क गया. हालांकि आरआरबी का कहना है कि साइंटिफिक नॉर्मलाईजेशन मेथड से रिजल्ट निकाला गया था. पूरे मामले पर रेलवे द्वारा बताया गया कि रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की केंद्रीयकृत रोजगार सूचना (सीईएन) संख्या 01/2019 (गैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों- स्नातक और पूर्वस्नातक)के तहत चल रही भर्ती परीक्षा के दूसरे चरण के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने की प्रक्रिया पर कुछ उम्मीदवारों द्वारा उठाई गई चिंताओं की ओर रेलवे का ध्यान आकर्षित किया गया है. इसके परिणाम 14.01.2022 को घोषित किए गए.

वहीं, दूसरे चरण की कंप्यूटर आधारित परीक्षा (सीबीटी) के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने की प्रक्रिया मूल अधिसूचना यानी 28.02.2019 को प्रकाशित सीईएन 01/2019 के पैराग्राफ 13 में विस्तार से बताई जा चुकी है. इस रोजगार अधिसूचना में 13 श्रेणियों के बारे में विज्ञापन दिया गया था, जो स्नातकों के लिए थीं और इनमें से छह पूर्व-स्नातकों के लिए थीं. इन तेरह श्रेणियों को 7वें केंद्रीय वेतन आयोग के वेतनमान स्तरों (यानी स्तर 2, 3, 4, 5 और 6) के आधार पर पांच समूहों में बांटा गया था और प्रत्येक श्रेणी के लिए भर्ती की चरणवार प्रक्रिया पहले ही सीईएन के पैराग्राफ 13.6 में स्पष्ट रूप से बताई जा चुकी है. हर उम्मीदवार पात्रता की शर्तों के तहत इन सभी या 13 श्रेणियों में से किसी एक को चुनने के लिए स्वतंत्र था.

ये भी पढ़ें - RRB NTPC result row: बिहार में छात्रों के प्रदर्शन से रेल सेवा बाधित, इंजन में लगाई आग

पहले चरण की सीबीटी सभी उम्मीदवारों के लिए एक सामान्य परीक्षा बताई गई थी, जबकि अधिसूचना के पैराग्राफ 13.2 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दूसरे चरण की सीबीटी में कठिनाई के विभिन्न श्रेणीबद्ध स्तरों के साथ प्रत्येक समूह (यानी स्तर 2, 3, 4, 5 और 6) के लिए अलग परीक्षा होगी. इसके अनुसार, समान स्तर में आने वाले सभी पदों के लिए एकसमान द्वितीय चरण का सीबीटी होगा. इस प्रकार से, अगर कोई उम्मीदवार पात्र है और उसने एक से अधिक स्तरों (शैक्षिक योग्यता के अनुसार) का विकल्प चुना है, तो उसे पैराग्राफ 13.6 में दिए गए नियमों के तहत प्रत्येक स्तर के लिए संबंधित दूसरे चरण की सीबीटी में उपस्थित होना होगा, क्योंकि पदों के प्रत्येक समूह (यानी स्नातक या पूर्वस्नातक स्तर) के लिए मानक (कठिनाई स्तर) अलग होगा.

रेलवे ने बताया कि प्रावधानों के तहत एनटीपीसी द्वितीय चरण की परीक्षा के लिए बुलाए जाने वाले उम्मीदवारों की संख्या स्वीकृत पदों की संख्या का केवल 10 गुना होती है. उम्मीदवारों के हितों की रक्षा के लिए पदों की संख्या का 10 गुना बुलाने के नियम को सीईएन 1/2019 में रिक्तियों की संख्या का 20 गुना बढ़ा दिया गया, जब सभी स्तरों पर शॉर्टलिस्टिंग की जाती है, यह सुनिश्चित किया गया है कि मेधावी उम्मीदवार अवसर से वंचित न हों.

इस प्रकार, दूसरे चरण की सीबीटी के लिए उचित संख्या में उम्मीदवारों को कवर करने के लिए, शॉर्टलिस्ट किए जाने वाले उम्मीदवारों की संख्या को पहले चरण की सीबीटी सहित पदों की वरीयता में उनकी योग्यता के आधार पर अधिसूचित पदों की समुदाय-वार रिक्तियों का 20 गुना रखा गया है. जबकि एक पात्र उम्मीदवार को अपनी योग्यता और विकल्प के अनुसार संबंधित अलग-अलग दूसरे चरण की सीबीटी में शामिल होना होगा. उसका चयन किया जाएगा, लेकिन अंतिम नियुक्ति केवल एक पद के लिए होगी. इस प्रकार, किसी योग्य अभ्यर्थी को चयन से वंचित करने का प्रश्न ही नहीं उठता है.

ये भी पढ़ें - छात्रों को भड़काने का आरोप: फंस गए पटना वाले खान सर, FIR दर्ज

रेलवे की ओर से जारी इस नोटिस में उल्लेख किया गया है कि रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) सत्यनिष्ठा के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हुए निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया संचालित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. रेलवे नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे गुमराह न हों या ऐसे तत्वों के प्रभाव में न आएं जो अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए उनका इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं.

पटनाः आरआरबी (Railway Recruitment Board) एनटीपीसी (Non-Technical Popular Categories) के रिजल्ट में धांधली के आरोप के बाद पिछले तीन दिनों से बवाल की आग में जल रहे बिहार में अब हंगामे की हकीकत खुलने लगी है. रेलवे ने कमेटी गठन कर जांच के आश्वासन का पानी जैसे ही पड़ा आग धीरे-धीरे बुझने लगी. लेकिन चिंगारी को हवा देकर शोले में बदलने की कोशिशें भी खूब की गईं. बिहार के कई शहरों में रेलवे की संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया. रेलवे अभ्यर्थियों के हंगामे ने देश के अलग-अलग हिस्सों में भी आवागमन पर प्रभाव डाला. खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishnaw) ने छात्रों से कानून अपने हाथ में ना लेने की अपील की.

बवाल की वजह? दरअसल, रेलवे भर्ती बोर्ड की गैर तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों की परीक्षा-2021 परिणाम 14-15 जनवरी को जारी किये गए थे. इन परीक्षाओं में 1 करोड़ 40 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे और नतीजे आने के बाद से ही छात्रों के बीच असंतोष का मुद्दा छाया हुआ है. इसके विरोध में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. ये विरोध बिहार और देश के कई अन्य हिस्सों में छात्रों द्वारा किया जा रहा है. मंगलवार को प्रदर्शनकारी छात्रों ने कई स्थानों पर रेल पटरियों पर धरना दिया, कई घण्टे तक रेलों को बाधित किया. हालांकि इस बीच रेल मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर प्रदर्शनकारी उम्मीदवारों को रेलवे की नौकरी पाने से जीवन भर के लिए बैन करने की चेतावनी भी दी.

छात्रों के हंगामे से हालात बेकाबू हुए तो पुलिस एक्शन में आई और हंगामा करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई. आंदोलन के लिए छात्रों को उकसाने और उन्हें हिंसा के प्रेरित करने के मामले में गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों के बयान पर पटना वाले खान सर (Khan Sir) , एस के झा सर, नवीन सर, अमरनाथ सर, गगन प्रताप सर, गोपाल वर्मा सर तथा बाजार समिति के विभिन्न कोचिंग संस्थानों के संचालकों के खिलाफ पटना के पत्रकारनागर थाना में मामला दर्ज किया गया. पत्रकार नगर थाना के थानेदार की शिकायत पर दर्ज इस FIR में चार गिरफ्तार छात्रों के अलावा पटना विभिन्न कोचिंग संचालकों और अज्ञात तीन-चार सौ लोगों के खिलाफ षड्यंत्र के तहत मजमा लगाकर सड़क मार्ग को बाधित करने, दंडाधिकारियों और पुलिसकर्मियों को अपमानित करने तोड़फोड़ करने और यातायात और लोकमार्ग को बाधित करने आदि के आरोप आईपीसी की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया.

पटना वाले खान सर पर भड़काने का आरोप लगा तो खान सर ने इन आरोपों अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है. उन्होंने एक न्यूज एजेंसी को दिए गए बयान में कहा कि जो भी हुआ है गलत हुआ है, वो खुद छात्रों को समझाने में लगे थे. पूरा आंदोलन लीडरलेस था. इसमें कोई भी शिक्षक शामिल नहीं थे. छात्रों ने आक्रोश में आकर खुद ऐसा कदम उठाया. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि परीक्षा को लेकर रेलवे की तरफ से एकाएक जो बदलाव किए गए, वो सही नहीं हैं. प्रेस कांफ्रेंस करके पहले छात्रों को समझाना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे छात्र भड़क गए और उनको रोक पाना मुश्किल हो गया.

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कोचिंग संचालकों की गिरफ्तारी को लेकर राजनीतिक पार्टियां भी आगे आ गईं हैं. हम प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि, छात्र आंदोलन को लेकर कई कोचिंग संचालकों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. ये उचित नहीं है. ऐसे समय में ये सब नहीं होना चाहिए खासकर खान सर पर जो मुकदमा दायर किया गया है वो ऐसे समय ठीक नहीं है. इससे आंदोलन को और हवा मिलेगी और आग में घी का काम करेगी. उन्होंने राज्य सरकार से कोचिंग संस्थान के शिक्षकों पर दर्ज मुकदमा को अविलंब वापस लेने का आग्रह किया है.

इस पर जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि रेल मंत्री ने सारी चीजों को स्पष्ट किया है. कमेटी का भी गठन हुआ है और छात्रों की तरफ से भी तार्किक ढंग से बातों को रखा गया है. ऐसे में अब छात्रों से हम लोगों की अपील है कि वह संयम बरतें. छात्रों की मांग पर जो राजनीतिक दल अपनी रोटी सेंकना चाहते हैं. ऐसे दलों से बचने की जरूरत है. उन्होंने विपक्ष पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए सलाह भी दी है कि, छात्रों की रोजगार से संबंधित मांगों को लेकर सरकार को गंभीरता से पहल करनी चाहिए.

पांच सदस्यी हाई पावर कमेटी गठित कर रेलवे ने इस मामले में शांति बरतने की अपील की है. पूर्व मध्य रेलवे ने आरआरबी एनटीपीसी परीक्षा (RRB NTPC Exam) को लेकर अभ्यर्थियों द्वारा बिहार और देश के अन्य हिस्सों में किए जा रहे उग्र प्रदर्शन को लेकर छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की. पूर्व मध्य रेलवे ने छात्रों की समस्या का निपटारा किए जाने का भी आश्वासन दिया. मध्य रेलवे के सीपीआरओ राजेश कुमार ने बताया कि मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय हाई पावर कमेटी (Five Member High Power Committee) का गठन किया है. इसके माध्यम से छात्रों की मांगों को हाई कमेटी तक पहुंचाया जाएगा. सीपीआरओ ने रेलवे का पक्ष रखते हुए कहा कि पूरी परीक्षा निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से ली गई थी. लेकिन रिजल्ट के शॉर्टलिस्टिंग प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थियों के मन में कुछ भ्रातियां है, जिसके निराकरण के लिए रेलवे पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

2019 में निकाली गई वैकेंसी के दौरान जहां लोग 'कोरोना संकटकाल' में लोग रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, वहीं अब आरआरबी और एनटीपीसी के तहत निकाली गई वैकेंसी पर हंगामे के चलते ग्रहण लगता दिख रहा है. अभ्यर्थियों के हंगामे की वजह से सरकार को करोड़ों रुपये की क्षति हुई है. वहीं छात्रों के विरोध के मद्देनजर रेल मंत्रालय ने गैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों और रेलवे भर्ती बोर्ड के स्तर 1 की परीक्षाओं पर रोक लगा दी है. अभ्यर्थियों की सुनवाई के लिए एक समिति (Committee For Railway NTPC Exam) का गठन किया गया है. ये समिति जांच के बाद मंत्रालय को रिपोर्ट देगी.

35 हजार पद के लिए आरआरबी और एनटीपीसी ने वैकेंसी कंडक्ट किया था. जिसमें मैट्रिक और इंटर पास छात्रों के लिए नौकरी के आवेदन ऑफर किए गए थे. साल 2021 में परीक्षा हुई और जब परीक्षाफल प्रकाशित हुए तो एक ही रोल नंबर के चार या पांच लड़के उत्तीर्ण दिखाए जा रहे थे. कुल मिलाकर 384000 रिजल्ट प्रकाशित किया गया. जिसमें कि 735000 रोल नंबर अंकित था. दूसरी तरफ ग्रुप डी की परीक्षा में ऑब्जेक्टिव प्रश्न पत्र के एग्जाम लिए जाते थे, उसके बाद फिजिकल और मेडिकल के जरिए नियुक्ति का प्रावधान था. लेकिन इसमें एक और लिखित परीक्षा जोड़ दिया गया और छात्रों को 15 दिन का समय दिया गया.

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छात्र आरआरबी और एनटीपीसी की कार्यप्रणाली से नाराज हुए और आंदोलन पर उतर गए. एक ही छात्र को कई पदों पर उत्तीर्ण दिखाए जाने से छात्रों में असंतोष भड़क गया. हालांकि आरआरबी का कहना है कि साइंटिफिक नॉर्मलाईजेशन मेथड से रिजल्ट निकाला गया था. पूरे मामले पर रेलवे द्वारा बताया गया कि रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) की केंद्रीयकृत रोजगार सूचना (सीईएन) संख्या 01/2019 (गैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों- स्नातक और पूर्वस्नातक)के तहत चल रही भर्ती परीक्षा के दूसरे चरण के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने की प्रक्रिया पर कुछ उम्मीदवारों द्वारा उठाई गई चिंताओं की ओर रेलवे का ध्यान आकर्षित किया गया है. इसके परिणाम 14.01.2022 को घोषित किए गए.

वहीं, दूसरे चरण की कंप्यूटर आधारित परीक्षा (सीबीटी) के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने की प्रक्रिया मूल अधिसूचना यानी 28.02.2019 को प्रकाशित सीईएन 01/2019 के पैराग्राफ 13 में विस्तार से बताई जा चुकी है. इस रोजगार अधिसूचना में 13 श्रेणियों के बारे में विज्ञापन दिया गया था, जो स्नातकों के लिए थीं और इनमें से छह पूर्व-स्नातकों के लिए थीं. इन तेरह श्रेणियों को 7वें केंद्रीय वेतन आयोग के वेतनमान स्तरों (यानी स्तर 2, 3, 4, 5 और 6) के आधार पर पांच समूहों में बांटा गया था और प्रत्येक श्रेणी के लिए भर्ती की चरणवार प्रक्रिया पहले ही सीईएन के पैराग्राफ 13.6 में स्पष्ट रूप से बताई जा चुकी है. हर उम्मीदवार पात्रता की शर्तों के तहत इन सभी या 13 श्रेणियों में से किसी एक को चुनने के लिए स्वतंत्र था.

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पहले चरण की सीबीटी सभी उम्मीदवारों के लिए एक सामान्य परीक्षा बताई गई थी, जबकि अधिसूचना के पैराग्राफ 13.2 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दूसरे चरण की सीबीटी में कठिनाई के विभिन्न श्रेणीबद्ध स्तरों के साथ प्रत्येक समूह (यानी स्तर 2, 3, 4, 5 और 6) के लिए अलग परीक्षा होगी. इसके अनुसार, समान स्तर में आने वाले सभी पदों के लिए एकसमान द्वितीय चरण का सीबीटी होगा. इस प्रकार से, अगर कोई उम्मीदवार पात्र है और उसने एक से अधिक स्तरों (शैक्षिक योग्यता के अनुसार) का विकल्प चुना है, तो उसे पैराग्राफ 13.6 में दिए गए नियमों के तहत प्रत्येक स्तर के लिए संबंधित दूसरे चरण की सीबीटी में उपस्थित होना होगा, क्योंकि पदों के प्रत्येक समूह (यानी स्नातक या पूर्वस्नातक स्तर) के लिए मानक (कठिनाई स्तर) अलग होगा.

रेलवे ने बताया कि प्रावधानों के तहत एनटीपीसी द्वितीय चरण की परीक्षा के लिए बुलाए जाने वाले उम्मीदवारों की संख्या स्वीकृत पदों की संख्या का केवल 10 गुना होती है. उम्मीदवारों के हितों की रक्षा के लिए पदों की संख्या का 10 गुना बुलाने के नियम को सीईएन 1/2019 में रिक्तियों की संख्या का 20 गुना बढ़ा दिया गया, जब सभी स्तरों पर शॉर्टलिस्टिंग की जाती है, यह सुनिश्चित किया गया है कि मेधावी उम्मीदवार अवसर से वंचित न हों.

इस प्रकार, दूसरे चरण की सीबीटी के लिए उचित संख्या में उम्मीदवारों को कवर करने के लिए, शॉर्टलिस्ट किए जाने वाले उम्मीदवारों की संख्या को पहले चरण की सीबीटी सहित पदों की वरीयता में उनकी योग्यता के आधार पर अधिसूचित पदों की समुदाय-वार रिक्तियों का 20 गुना रखा गया है. जबकि एक पात्र उम्मीदवार को अपनी योग्यता और विकल्प के अनुसार संबंधित अलग-अलग दूसरे चरण की सीबीटी में शामिल होना होगा. उसका चयन किया जाएगा, लेकिन अंतिम नियुक्ति केवल एक पद के लिए होगी. इस प्रकार, किसी योग्य अभ्यर्थी को चयन से वंचित करने का प्रश्न ही नहीं उठता है.

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रेलवे की ओर से जारी इस नोटिस में उल्लेख किया गया है कि रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) सत्यनिष्ठा के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हुए निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया संचालित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. रेलवे नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे गुमराह न हों या ऐसे तत्वों के प्रभाव में न आएं जो अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए उनका इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं.

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