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जातिगत जनगणना बहुसंख्यक जनता की माँग है और यह हो कर रहेगा। BJP बहुसंख्यक पिछड़ों की गणना से डरती क्यों है?
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जो जातीय गणना का विरोधी है वह समता, मानवता, समानता का विरोधी एवं ऊँच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक व आर्थिक भेदभाव का समर्थक है।
देश की जनता जातिगत जनगणना पर…
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— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) May 5, 2023
जो जातीय गणना का विरोधी है वह समता, मानवता, समानता का विरोधी एवं ऊँच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक व आर्थिक भेदभाव का समर्थक है।
देश की जनता जातिगत जनगणना पर…जातिगत जनगणना बहुसंख्यक जनता की माँग है और यह हो कर रहेगा। BJP बहुसंख्यक पिछड़ों की गणना से डरती क्यों है?
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) May 5, 2023
जो जातीय गणना का विरोधी है वह समता, मानवता, समानता का विरोधी एवं ऊँच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक व आर्थिक भेदभाव का समर्थक है।
देश की जनता जातिगत जनगणना पर…
पटना: पटना हाईकोर्ट की ओर से बिहार की जातीय आधारित जनगणना पर रोक लगते ही प्रदेश में सियासत शुरू हो गई है. आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव समेत सत्ता पक्ष के सभी नेता बीजेपी पर हमलावर है. दूसरी ओर बीजेपी का तर्क है कि नीतीश सरकार ने पटना कोर्ट में अपना पक्ष जानबूझकर मजबूती से नहीं रखा. दोनों ओर से जारी बयानबाजियों के बीच लालू यादव ने भी इसपर मोर्चा संभालते हुए कहा है कि 'जातिगत जनगणना जनता की मांग है और ये होकर ही रहेगा.'
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''जातिगत जनगणना बहुसंख्यक जनता की मांग है और यह हो कर रहेगा. BJP बहुसंख्यक पिछड़ों की गणना से डरती क्यों है? जो जातीय गणना का विरोधी है वह समता, मानवता, समानता का विरोधी एवं ऊँच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक व आर्थिक भेदभाव का समर्थक है. देश की जनता जातिगत जनगणना पर BJP की कुटिल चाल और चालाकी को समझ चुकी है.''- लालू यादव, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आरजेडी
'जनता समझ चुकी है बीजेपी की कुटिल चाल': लालू यादव ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए पूछा कि आखिर बीजेपी बिहार के बहुसंख्यक पिछड़ों की गणना कराने से डर क्यों रही है? लालू यादव ने बीजेपी को सीधे-सीधे जातीय जनगणना का विरोधी ठहराते हुए उसे समता, मानवता, ऊंच नीच, बेरोजगारी और पिछड़ेपन और भेदभाव का समर्थक करार दिया. लालू यादव ने अपने जारी बयान में कहा है कि देश की जनता बीजेपी की इस कुटिल चाल को समझ चुकी है.
सर्वदलीय सहमति से शुरू हुई थी जातिगत जनगणना: गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच की दूरी जातीय जनगणना को लेकर ही कम हुई थी. एनडीए के साथ सरकार में रहते हुए ही नीतीश और तेजस्वी साथ-साथ दिल्ली गए थे. बिहार में जातीय जनगणना कराने का फैसला सर्वदलीय बैठक के बाद लिया गया था. इस फैसले में जेडीयू, बीजेपी, आरजेडी, हम, कांग्रेस समेत बिहार के सभी दलों का समर्थन मिला हुआ था. नीतीश सरकार ने वादे के मुताबिक जातीय जनगणना का काम भी शुरू करवाया, लेकिन हाईकोर्ट से रोक लगने के बाद इस मुद्दे पर घमासान मचा हुआ है.
15 मई को पूरी होनी थी जातीय गणना: बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना के दूसरे चरण को पूरा करने का समय 15 मई था. इसपर रोक लगाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को हाईकोर्ट में ले जाने का निर्देश दिया. पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार और बुधवार के दिन लगातार दो दिन सुनवाई करते हुए इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया. गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 3 जुलाई सुनवाई की नई तारीख दी साथ ही जातीय जनगणना पर रोक लगाने के निर्देश भी दे दिया. कोर्ट ने सरकार को साफ-साफ निर्देश दिया कि इस मामले में अब तक किए गए डाटा को संरक्षित किया जाए और लीक न होने दिया जाए.