नई दिल्ली : केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय मानक ब्यूरो की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में उत्पादों के मानक पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि मानक के जरिये हम विदेश से जो कचरा माल आता उसको रोक सकते हैं इससे भारत की इंडस्ट्री की मार्केट बढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि 'मुझे लगता है जो भी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन स्टैंडर्ड्स लगाने से रोकती हैं उनसे बातचीत करने की जरुरत है और यह पता करने की जरुरत है कि उनकी दिक्कतें क्या है? उनकी समस्याओं को दूर करना चाहिए.'
पीयूष गोयल ने कहा कि कई ऐसी एसोसिएशन हैं जिनमें इंपोर्ट करने वाले घुस गए हैं जो चाहते हैं कि स्टैंडर्ड्स लागू नहीं हो क्योंकि वह भारत में कचरा इंपोर्ट करना चाहते हैं. इन लोगों से हमें सावधान रहने की जरुरत है.
पीयूष गोयल ने भारतीय मानक ब्यूरो को निर्देश दिया है कि टेस्टिंग फीस को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई), स्टार्टअप्स, महिला उद्यमियों के लिए कम किया जाए. इसको घटाया जाए ताकि ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के लिए उनको प्रोत्साहित किया जा सके.
उन्होंने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को देश के औद्योगिक क्षेत्रों का नक्शा बनाने व विश्व स्तर के प्रयोगशाला निर्माण करने का निर्देश दिया जिसका बुनियादी ढांचा मजबूत हो.
उन्होंने कहा कि पूरे देश में भारतीय मानक ब्यूरो को परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करना चाहिये ताकि मानकों को परीक्षण और प्रमाणन प्राप्त करने के लिए उद्यमियों को दूर की यात्रा न करनी पड़े.
बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि 'वन नेशन वन स्टैंडर्ड' होना चाहिए और वैश्विक मानक के अनुसार भारतीय मानक निर्धारित होना चाहिए.
'रिश्वत मांगने वालों की शिकायत करें'
उन्होंने कहा कि मानकों से जुड़ा हुआ कोई व्यक्ति अगर रिश्वत मांगे चाहे वह भारतीय मानक ब्यूरो, प्राइवेट लैब या कहीं का भी हो, उसकी शिकायत बड़े स्तर पर होनी चाहिए. मुझसे या डीजी से भी शिकायत की जा सकती है.
उन्होंने कहा कि स्टैंडर्ड्स के काम में हमें स्पीड, स्किल और स्केल को जोड़ना चाहिए. देश के कल्चर में मानक आ जाना चाहिए चाहिए. अगर कोई सामान बनता है तो ऐसा नहीं होना चाहिए कि डोमेस्टिक मार्केट के लिए है तो हल्का फुल्का बन जाए व कोई सामान अमेरिका के लिए जा रहा है को उसका स्टैंडर्ड अच्छा हो. हर समान में स्टैंडर्ड एक जैसा होना चाहिए.
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बता दें भारतीय मानक ब्यूरो देश के राष्ट्रीय मानक निकाय है. इसकी स्थापना वस्तुओं के मानकीकरण, गुणवत्ता प्रमाणन गतिविधियों के सुमेलित विकास के लिए की गई थी.