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बिहार को 'विशेष' राज्य का दर्जा क्यों मिलना चाहिए, जानें

राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की पहचान पिछड़े राज्यों के रूप में है. सीमित संसाधन में बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाना एक बड़ी चुनौती है. बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मजबूत विकल्प माना जाता रहा है, लेकिन स्पेशल स्टेटस का मुद्दा राजनैतिक दांव पेच में उलझ कर रह गया है. आखिर बिहार के लिए स्पेशल स्टेटस क्यों जरूरी है. पढ़ें रिपोर्ट..

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स्पेशल स्टेटस
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Published : Dec 26, 2021, 10:43 PM IST

पटना: बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए विकास का कौन सा मॉडल बेहतर होगा, इसे लेकर लंबे समय से बहस चल रही है. बिहार के राजनीतिक दल स्पेशल स्टेटस (Special Status for Bihar) को मजबूत विकल्प मानते रहे हैं. बिहार विधानसभा से दो बार स्पेशल स्टेटस को लेकर प्रस्ताव भी पारित किए जा चुके हैं. प्रस्ताव को बाकायदा केंद्र के पास भी भेजा गया. केंद्र में बनी अब तक की सरकारें स्पेशल स्टेटस को लेकर असमर्थता जाहिर करती रही हैं.

नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार (NITI Aayog Report Bihar) एक बार फिर पिछले पायदान पर आया तो बिहार के विकास को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई. जेडीयू ने स्पेशल स्टेटस के मुद्दे को एक बार फिर जोर शोर से उठाना शुरू कर दिया.

बिहार के लिए स्पेशल स्टेटस की मांग

जेडीयू नेताओं ने कहा कि बिहार अगर सबसे निचले पायदान पर है तो केंद्र को स्पेशल स्टेटस देने पर विचार करना चाहिए. दरअसल, बिहार के तमाम राजनीतिक दल यह चाहते हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, लेकिन केंद्र की सरकार के लिए बिहार को स्पेशल स्टेटस देना चुनौतीपूर्ण एजेंडा है.

स्पेशल स्टेटस पर जेडीयू बीजेपी आमने सामने

बता दें कि विशेष राज्य का दर्जा अब तक पर्वतीय राज्य दुर्गम क्षेत्र, सीमावर्ती इलाके और गरीब राज्यों को मिलने का प्रावधान था. लेकिन, रघुराम राजन कमिटी की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि सिर्फ पर्वतीय राज्य को ही स्पेशल स्टेटस दिया जा सकता है.

बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित और तकरीबन 96% जोत सीमांत और छोटे किसानों की है. राज्य के लगभग 32% परिवारों के पास जमीन नहीं है. राज्य के 15 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, वहीं 18 से 20 जिले सूखे से प्रभावित हैं. बिहार के पिछड़ेपन को लेकर स्पेशल स्टेटस को प्रसांगिक बताया जा रहा है. ऐसी कई वजह हैं जिसके चलते बिहार स्पेशल स्टेटस का हकदार है.

बिहार विशेष राज्य के दर्जे का हकदार

''स्पेशल स्टेटस के बगैर बिहार जैसे पिछड़े राज्यों का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है. हमने जीडीपी के मामले में बेहतर परफॉर्म किया है और बिहार विधानमंडल की सर्व सम्मत मांग है. सरकार को स्पेशल स्टेटस के मसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.''- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड

bihar
ईटीवी भारत GFX

ये भी पढ़ें- देश के 'प्रधान' से बिहार के लिए 'विशेष दर्जे' की मांग, सोशल मीडिया पर JDU का बड़ा अभियान

''केंद्र ने बिहार के हितों की चिंता की है और बिहार को स्पेशल पैकेज से ज्यादा की राशि दी जा चुकी है. स्पेशल स्टेटस और स्पेशल पैकेज के विवाद में पड़ने के बजाय बेहतर यही होगा कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से बेहतर परफॉर्म करने की दिशा में आगे बढ़े.''- नंदकिशोर यादव, वरिष्ठ नेता, बीजेपी

''बिहार वाकई स्पेशल स्टेटस का हकदार है. अतीत में भी बिहार के साथ न्याय नहीं हुआ है. झारखंड बंटवारे के बाद संसाधन झारखंड में चले गए और बिहार के विकास के लिए केंद्र ने चिंता नहीं की.''- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

बता दें कि नीति आयोग की रिपोर्ट को शुरुआती दौर में जदयू के कई मंत्रियों ने खारिज किया था. नीतीश कुमार ने भी रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे. लेकिन अब उसी नीति आयोग को जेडीयू नेता पत्र लिख रहे हैं.

वहीं, स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर कैबिनेट के कई मंत्री पल्ला झाड़ चुके हैं. बीजेपी कोटे के मंत्री या नेताओं का कहना है कि केंद्र की सरकार ने बिहार को स्पेशल स्टेटस से ज्यादा दिया. स्पेशल पैकेज के जरिए ही बिहार का विकास हो सकता है. उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने भी कहा कि बिहार को स्पेशल स्टेटस के बजाय स्पेशल पैकेज की जरूरत है.

ये भी पढ़ें- स्पेशल स्टेटस पर बीजेपी से जेडीयू नाराज, क्या चुनावों से पहले चौंकाने वाले निर्णय लेंगे नीतीश कुमार?

पटना: बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए विकास का कौन सा मॉडल बेहतर होगा, इसे लेकर लंबे समय से बहस चल रही है. बिहार के राजनीतिक दल स्पेशल स्टेटस (Special Status for Bihar) को मजबूत विकल्प मानते रहे हैं. बिहार विधानसभा से दो बार स्पेशल स्टेटस को लेकर प्रस्ताव भी पारित किए जा चुके हैं. प्रस्ताव को बाकायदा केंद्र के पास भी भेजा गया. केंद्र में बनी अब तक की सरकारें स्पेशल स्टेटस को लेकर असमर्थता जाहिर करती रही हैं.

नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार (NITI Aayog Report Bihar) एक बार फिर पिछले पायदान पर आया तो बिहार के विकास को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई. जेडीयू ने स्पेशल स्टेटस के मुद्दे को एक बार फिर जोर शोर से उठाना शुरू कर दिया.

बिहार के लिए स्पेशल स्टेटस की मांग

जेडीयू नेताओं ने कहा कि बिहार अगर सबसे निचले पायदान पर है तो केंद्र को स्पेशल स्टेटस देने पर विचार करना चाहिए. दरअसल, बिहार के तमाम राजनीतिक दल यह चाहते हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, लेकिन केंद्र की सरकार के लिए बिहार को स्पेशल स्टेटस देना चुनौतीपूर्ण एजेंडा है.

स्पेशल स्टेटस पर जेडीयू बीजेपी आमने सामने

बता दें कि विशेष राज्य का दर्जा अब तक पर्वतीय राज्य दुर्गम क्षेत्र, सीमावर्ती इलाके और गरीब राज्यों को मिलने का प्रावधान था. लेकिन, रघुराम राजन कमिटी की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि सिर्फ पर्वतीय राज्य को ही स्पेशल स्टेटस दिया जा सकता है.

बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित और तकरीबन 96% जोत सीमांत और छोटे किसानों की है. राज्य के लगभग 32% परिवारों के पास जमीन नहीं है. राज्य के 15 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, वहीं 18 से 20 जिले सूखे से प्रभावित हैं. बिहार के पिछड़ेपन को लेकर स्पेशल स्टेटस को प्रसांगिक बताया जा रहा है. ऐसी कई वजह हैं जिसके चलते बिहार स्पेशल स्टेटस का हकदार है.

बिहार विशेष राज्य के दर्जे का हकदार

''स्पेशल स्टेटस के बगैर बिहार जैसे पिछड़े राज्यों का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है. हमने जीडीपी के मामले में बेहतर परफॉर्म किया है और बिहार विधानमंडल की सर्व सम्मत मांग है. सरकार को स्पेशल स्टेटस के मसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.''- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जनता दल यूनाइटेड

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''केंद्र ने बिहार के हितों की चिंता की है और बिहार को स्पेशल पैकेज से ज्यादा की राशि दी जा चुकी है. स्पेशल स्टेटस और स्पेशल पैकेज के विवाद में पड़ने के बजाय बेहतर यही होगा कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से बेहतर परफॉर्म करने की दिशा में आगे बढ़े.''- नंदकिशोर यादव, वरिष्ठ नेता, बीजेपी

''बिहार वाकई स्पेशल स्टेटस का हकदार है. अतीत में भी बिहार के साथ न्याय नहीं हुआ है. झारखंड बंटवारे के बाद संसाधन झारखंड में चले गए और बिहार के विकास के लिए केंद्र ने चिंता नहीं की.''- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

बता दें कि नीति आयोग की रिपोर्ट को शुरुआती दौर में जदयू के कई मंत्रियों ने खारिज किया था. नीतीश कुमार ने भी रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए थे. लेकिन अब उसी नीति आयोग को जेडीयू नेता पत्र लिख रहे हैं.

वहीं, स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर कैबिनेट के कई मंत्री पल्ला झाड़ चुके हैं. बीजेपी कोटे के मंत्री या नेताओं का कहना है कि केंद्र की सरकार ने बिहार को स्पेशल स्टेटस से ज्यादा दिया. स्पेशल पैकेज के जरिए ही बिहार का विकास हो सकता है. उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने भी कहा कि बिहार को स्पेशल स्टेटस के बजाय स्पेशल पैकेज की जरूरत है.

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