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Sant Ravidas Jayanti 2022: आज मनाई जा रही है रविदास जयंती, पढ़ें उनके अमृत विचार - संत रविदास जयंती दोहे

Sant Ravidas Jayanti 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ मास की पूर्णिमा तिथि को संत रविदास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. उनका जन्म माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के दिन हुआ था.

Sant Ravidas Jayanti 2022
आज संत ​रविदास जयंती पर पढ़ें उनके अमृत विचार
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Published : Feb 16, 2022, 8:19 AM IST

नई दिल्ली: Sant Ravidas Jayanti 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ मास की पूर्णिमा तिथि को संत रविदास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. उनका जन्म माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के दिन हुआ था. इसलिए आज के दिन (16 फरवरी ) को संत रविदास जयंती के रूप में मनाते हैं. संत रविदास एक महान संत होने के साथ- साथ कवि, समाज सुधारक, दर्शनशास्त्र के ज्ञाता और ईश्वर के अनुयायी थे.

संत रविदास धार्मिक प्रवृति के दयालु एवं परोपकारी व्यक्ति थे. उनका जीवन दूसरों की भलाई करने में और समाज के कल्याण एवं मार्गदर्शन करने में व्यतीत हुआ. उन्होंने समाज को एक नई दिशा दी. वे भक्तिकालीन संत एवं महान समाज सुधारक थे. उनके दिये हुए अनमोल वचन आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितना उस समय में था. उनके उपदेश एवं शिक्षाओं से आज भी समाज को मार्गदर्शन मिलता है.

संत रविदास को रैदास, गुरु रविदास, रोहिदास जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है. संत रविदास ने अनेक दोहे और पदों की रचना की जो आज भी काफी प्रचलित हैं. उनके उपदेश से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है. तो आइए जानते हैं संत रविदास के कुछ प्रचलिच उपदेशों (Teachings) और दोहे के बारे में. इस खास अवसर पर आप अपने दोस्तों और करीबियों को इन संदेशों के जरिए शुभकामनाएं भी दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें- माघ पूर्णिमा : स्नान और दान से प्रसन्न होते हैं भगवान विष्णु, परिवार के कल्याण के लिए जरूर पढ़ें कथा

संत रविदास के महत्वपूर्ण उपदेश (Teachings)

1. रैदास जन्म के कारणै, होत न कोई नीच।

नर को नीच करि डारि हैं, औछे करम की कीच।।

व्यक्ति पद या जन्म से बड़ा या छोटा नहीं होता है, वह गुणों या कर्मों से बड़ा या छोटा होता है.

2. ‘जन्म जात मत पूछिए, का जात और पात।

रैदास पूत सम प्रभु के कोई नहिं जात-कुजात।।

वह समाज में जाति व्यवस्था के घोर विरोधी थे. उनका कहना था कि सभी ईश्वर के संतान हैं, किसी का कोई जात नहीं होता है.

3. गुरु जी मैं तेरी पतंग
हवा में उड़ जाऊंगी
अपने हाथों से न छोड़ना डोर
वरना मैं कट जाऊंगी.

4. कह रैदास तेरी भगति दूरि है
भाग बड़े सो पावै
तजि अभिमान मेटि आपा पर
पिपिलक हवै चुनि खावै.

5. मन चंगा तोह कठौती में गंगा.

का मथुरा का द्वारका, का काशी हरिद्वार।

रैदास खोजा दिल आपना, तउ मिलिया दिलदार।।

6. ऐसा चाहूं राज मैं
मिले सबन को अन्न
छोट-बड़ो सब सम बसे
रविदास रहे प्रसन्न.

7. करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास

8. मन ही पूजा मन ही धूप
मन ही सेऊँ सहज सरूप.

9. ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन।

पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।।

10.मोह-माया में फंसा जीव भटकता रहता है।

इस माया को बनाने वाला ही मुक्ती दाता है।।

नई दिल्ली: Sant Ravidas Jayanti 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ मास की पूर्णिमा तिथि को संत रविदास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. उनका जन्म माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के दिन हुआ था. इसलिए आज के दिन (16 फरवरी ) को संत रविदास जयंती के रूप में मनाते हैं. संत रविदास एक महान संत होने के साथ- साथ कवि, समाज सुधारक, दर्शनशास्त्र के ज्ञाता और ईश्वर के अनुयायी थे.

संत रविदास धार्मिक प्रवृति के दयालु एवं परोपकारी व्यक्ति थे. उनका जीवन दूसरों की भलाई करने में और समाज के कल्याण एवं मार्गदर्शन करने में व्यतीत हुआ. उन्होंने समाज को एक नई दिशा दी. वे भक्तिकालीन संत एवं महान समाज सुधारक थे. उनके दिये हुए अनमोल वचन आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितना उस समय में था. उनके उपदेश एवं शिक्षाओं से आज भी समाज को मार्गदर्शन मिलता है.

संत रविदास को रैदास, गुरु रविदास, रोहिदास जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है. संत रविदास ने अनेक दोहे और पदों की रचना की जो आज भी काफी प्रचलित हैं. उनके उपदेश से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है. तो आइए जानते हैं संत रविदास के कुछ प्रचलिच उपदेशों (Teachings) और दोहे के बारे में. इस खास अवसर पर आप अपने दोस्तों और करीबियों को इन संदेशों के जरिए शुभकामनाएं भी दे सकते हैं.

ये भी पढ़ें- माघ पूर्णिमा : स्नान और दान से प्रसन्न होते हैं भगवान विष्णु, परिवार के कल्याण के लिए जरूर पढ़ें कथा

संत रविदास के महत्वपूर्ण उपदेश (Teachings)

1. रैदास जन्म के कारणै, होत न कोई नीच।

नर को नीच करि डारि हैं, औछे करम की कीच।।

व्यक्ति पद या जन्म से बड़ा या छोटा नहीं होता है, वह गुणों या कर्मों से बड़ा या छोटा होता है.

2. ‘जन्म जात मत पूछिए, का जात और पात।

रैदास पूत सम प्रभु के कोई नहिं जात-कुजात।।

वह समाज में जाति व्यवस्था के घोर विरोधी थे. उनका कहना था कि सभी ईश्वर के संतान हैं, किसी का कोई जात नहीं होता है.

3. गुरु जी मैं तेरी पतंग
हवा में उड़ जाऊंगी
अपने हाथों से न छोड़ना डोर
वरना मैं कट जाऊंगी.

4. कह रैदास तेरी भगति दूरि है
भाग बड़े सो पावै
तजि अभिमान मेटि आपा पर
पिपिलक हवै चुनि खावै.

5. मन चंगा तोह कठौती में गंगा.

का मथुरा का द्वारका, का काशी हरिद्वार।

रैदास खोजा दिल आपना, तउ मिलिया दिलदार।।

6. ऐसा चाहूं राज मैं
मिले सबन को अन्न
छोट-बड़ो सब सम बसे
रविदास रहे प्रसन्न.

7. करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस
कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास

8. मन ही पूजा मन ही धूप
मन ही सेऊँ सहज सरूप.

9. ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन।

पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।।

10.मोह-माया में फंसा जीव भटकता रहता है।

इस माया को बनाने वाला ही मुक्ती दाता है।।

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