ETV Bharat / bharat

अनुच्छेद 370 हटने के बाद J-K में कितने लोगों ने खरीदी जमीन, सरकार ने दिया ये जवाब

सरकार ने लोकसभा में बताया है कि अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद से जम्मू कश्मीर में यहां से बाहर के केवल दो लोगों ने दो संपत्तियां खरीदी हैं. बता दें कि पांच अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था.

नित्यानंद राय जम्मू कश्मीर संपत्ति खरीद
नित्यानंद राय जम्मू कश्मीर संपत्ति खरीद
author img

By

Published : Aug 10, 2021, 4:20 PM IST

Updated : Aug 10, 2021, 4:45 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि पांच अगस्त, 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर के बाहर रहने वाले केवल दो लोगों ने संपत्तियां खरीदी हैं. प्रश्न पूछा गया था कि क्या देश के दूसरे राज्यों के अनेक लोगों ने अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में संपत्तियां खरीदी हैं या खरीदना चाहते हैं.

गृह राज्य मंत्री राय ने अपने जवाब में कहा, 'जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा प्रदान की गयी सूचना के अनुसार अगस्त, 2019 के बाद से केंद्रशासित प्रदेश से बाहर के दो लोगों ने यहां दो संपत्तियां खरीदी हैं.'

क्या दूसरे राज्य की सरकार और लोगों को जम्मू कश्मीर में संपत्तियां खरीदने में कठिनाई आईं, इस प्रश्न के जवाब में राय ने कहा, 'सरकार के सामने ऐसी कोई घटना नहीं आई है.'

यह भी पढ़ें- आतंकवाद, उग्रवाद से देश को बचाने में पुलिस की भूमिका अहम : नित्यानंद राय

पांच अगस्त, 2019 से पहले जब जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त था तो राज्य विधानसभा को किसी नागरिक को परिभाषित करने का संवैधानिक अधिकार था. केवल वे परिभाषित नागरिक ही राज्य में नौकरियों के लिए आवेदन करने या अचल संपत्ति खरीदने के हकदार होते थे.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तृतीय आदेश, 2020 के तहत, सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में किसी भी भारतीय नागरिक के लिए भूमि खरीदने का मार्ग प्रशस्त किया था. यह अनुच्छेद 370 के हटने से पहले संभव नहीं था.

नए जम्मू-कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट के अनुसार भूमि बेचने वाले को राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए. नए आदेश के अनुसार राज्य भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1990 की धारा 30 और भाग VII को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था. केंद्र ने पहले से मौजूद11 भूमि कानूनों को निरस्त कर दिया.

इनमें जम्मू-कश्मीर प्रिवेंशन ऑफ फ्रैग्मेंटेशन ऑफ एग्रीकल्चरल होल्डिंग्स एक्ट, 1960, जम्मू-कश्मीर भूमि रूपांतरण और बागान उन्मूलन निषेध अधिनियम, 1975, जम्मू-कश्मीर पूर्व खरीद अधिकार अधिनियम, 1936 जम्मू-कश्मीर टेनेंसी (निष्कासन कार्यवाही का ठहराव) अधिनियम 1966 की धारा 3, जम्मू-कश्मीर यूटिलाइजेशन ऑफ लैंड एक्ट, 2010 और जम्मू-कश्मीर अंडरग्राउंड यूटिलिटीज (भूमि में उपयोगकर्ता के अधिकारों का अधिग्रहण) एक्ट शामिल हैं. केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर एलीनेशन ऑफ लैंड एक्ट, 1995 और जम्मू-कश्मीर बिग लैंड एस्टेट्स एक्ट और जम्मू-कश्मीर कॉमन लैंड्स (रेग्यूलेशन) एक्ट, 1956 और जम्मू-कश्मीर चकबंदी अधिनियम, 1962 को पूरी तरह से निरस्त कर चुकी है. नए कानूनों के अनुसार कृषि भूमि केवल एक कृषक को बेची जा सकती है.

(एक्स्ट्रा इनपुट- पीटीआई)

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि पांच अगस्त, 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर के बाहर रहने वाले केवल दो लोगों ने संपत्तियां खरीदी हैं. प्रश्न पूछा गया था कि क्या देश के दूसरे राज्यों के अनेक लोगों ने अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में संपत्तियां खरीदी हैं या खरीदना चाहते हैं.

गृह राज्य मंत्री राय ने अपने जवाब में कहा, 'जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा प्रदान की गयी सूचना के अनुसार अगस्त, 2019 के बाद से केंद्रशासित प्रदेश से बाहर के दो लोगों ने यहां दो संपत्तियां खरीदी हैं.'

क्या दूसरे राज्य की सरकार और लोगों को जम्मू कश्मीर में संपत्तियां खरीदने में कठिनाई आईं, इस प्रश्न के जवाब में राय ने कहा, 'सरकार के सामने ऐसी कोई घटना नहीं आई है.'

यह भी पढ़ें- आतंकवाद, उग्रवाद से देश को बचाने में पुलिस की भूमिका अहम : नित्यानंद राय

पांच अगस्त, 2019 से पहले जब जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा प्राप्त था तो राज्य विधानसभा को किसी नागरिक को परिभाषित करने का संवैधानिक अधिकार था. केवल वे परिभाषित नागरिक ही राज्य में नौकरियों के लिए आवेदन करने या अचल संपत्ति खरीदने के हकदार होते थे.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तृतीय आदेश, 2020 के तहत, सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में किसी भी भारतीय नागरिक के लिए भूमि खरीदने का मार्ग प्रशस्त किया था. यह अनुच्छेद 370 के हटने से पहले संभव नहीं था.

नए जम्मू-कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट के अनुसार भूमि बेचने वाले को राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए. नए आदेश के अनुसार राज्य भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1990 की धारा 30 और भाग VII को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था. केंद्र ने पहले से मौजूद11 भूमि कानूनों को निरस्त कर दिया.

इनमें जम्मू-कश्मीर प्रिवेंशन ऑफ फ्रैग्मेंटेशन ऑफ एग्रीकल्चरल होल्डिंग्स एक्ट, 1960, जम्मू-कश्मीर भूमि रूपांतरण और बागान उन्मूलन निषेध अधिनियम, 1975, जम्मू-कश्मीर पूर्व खरीद अधिकार अधिनियम, 1936 जम्मू-कश्मीर टेनेंसी (निष्कासन कार्यवाही का ठहराव) अधिनियम 1966 की धारा 3, जम्मू-कश्मीर यूटिलाइजेशन ऑफ लैंड एक्ट, 2010 और जम्मू-कश्मीर अंडरग्राउंड यूटिलिटीज (भूमि में उपयोगकर्ता के अधिकारों का अधिग्रहण) एक्ट शामिल हैं. केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर एलीनेशन ऑफ लैंड एक्ट, 1995 और जम्मू-कश्मीर बिग लैंड एस्टेट्स एक्ट और जम्मू-कश्मीर कॉमन लैंड्स (रेग्यूलेशन) एक्ट, 1956 और जम्मू-कश्मीर चकबंदी अधिनियम, 1962 को पूरी तरह से निरस्त कर चुकी है. नए कानूनों के अनुसार कृषि भूमि केवल एक कृषक को बेची जा सकती है.

(एक्स्ट्रा इनपुट- पीटीआई)

Last Updated : Aug 10, 2021, 4:45 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.