गोरखपुर: स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में 102 और 108 नंबर की एंबुलेंस, लोगों को हर विषम और जरूरत की परिस्थितियों में उपलब्ध रहती हैं. लेकिन इन दोनों सेवाओं में भी प्रतिस्पर्धा और जरूरतमंदों की पसंद को देखें तो, 102 नंबर पर लोगों का भरोसा ज्यादा है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े और एंबुलेंस का रेस्पॉन्स टाइम इस बात की पुष्टि करते हैं.
बात उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की करें तो यहां 102 नंबर के लिए एक साल में कुल 20,000 कॉल आईं और इनको 50 एंबुलेंस ने पूरा किया. वहीं 108 के लिए करीब 9 हजार 500 कॉल आईं. इन्हें 46 एंबुलेंस ने पूरा किया. रेस्पॉन्स टाइम को देखें तो 102 एंबुलेंस 10-12 मिनट में सूचना देने वाले के पास पहुंच जाती है और अस्पताल तक सिर्फ 7 मिनट में ही पहुंचा देती है. जिससे लोगों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी सुविधा प्राप्त होती है. जबकि, तय समय 15-20 मिनट का रखा गया है. इस हिसाब से 102 एंबुलेंस अपने निर्धारित रेस्पॉन्स टाइम से पहले मरीज तक पहुंच जाती है.
किस प्रकार की सेवाएं देती हैं 102 और 108 एंबुलेंसः सेवाओं की बात करें तो प्रसूता को डिलीवरी कराने के लिए 102 नंबर की एंबुलेंस अपनी सेवाएं दे रही हैं, तो वहीं प्रसूता और 5 वर्ष तक के बच्चों के इलाज में एंबुलेंस के सारे कॉल अटेंड कर, जरूरतमंद को हॉस्पिटल तक पहुंचाने में मददगार भी साबित हो रही है. यही वजह है कि 108 से तेज 102 एंबुलेंस की सेवाएं रही हैं. 102 नेशनल एंबुलेंस सेवा है. जिले में इसकी 50 गाड़ियां मौजूद हैं. दिन हो या रात यह कॉल करने के 20 मिनट में जरूरतमंद तक पहुंच जाती हैं.
क्या है एंबुलेंस सेवा का रेस्पॉन्स टाइमः 102 और 108 के रेस्पॉन्स टाइम में भी बहुत अंतर नहीं है, फिर भी 102 ने 108 से बेहतर उपस्थिति दर्ज कराई है. उदाहरण के लिए खोराबार की गर्भवती सुनीता का केस लेते हैं. सात अगस्त को उनके पेट में दर्द उठा तो उन्होंने 102 नंबर पर कॉल की. 20 मिनट में एंबुलेंस दरवाजे पर आ गई और वह 7 मिनट में जिला अस्पताल पहुंच गई. जहां उन्होंने सकुशल बच्चे को जन्म दिया. इसी तरह 108 नंबर एंबुलेंस की सेवा रमेश राय ने चार अगस्त को लिया और वह 20 मिनट में अस्पताल तक पहुंच कर अपने पिता का इलाज कराने में सफल हो पाए.
102 एंबुलेंस सेवा की डिमांड बढ़ीः एंबुलेंस के प्रभारी, जिले के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एके चौधरी बताते हैं कि, बेहतर सेवा के कारण ही जिले में एंबुलेंस की डिमांड बढ़ गई है. इसका रेस्पॉन्स टाइम बहुत ही बेहतर है, जो इसका उपयोग करता है वह इसे अपनों को भी उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है. यही वजह है कि 102 नंबर और 108 नंबर की एंबुलेंस में होड़ मची रहती है. लेकिन, 102 नंबर का रेस्पॉन्स 108 से बेहतर रहा है.
कैसे काम करती है एंबुलेंस सेवाः जिले में एंबुलेंस के लिए कोआर्डिनेशन का काम देखने वाले अनुराग श्रीवास्तव बताते हैं कि, जरूरतमंद एंबुलेंस के लिए जब कॉल करता है वह पहले लखनऊ पहुंचती है. फिर वहां से ट्रांसफर होकर उनके पास आती है. क्योंकि सभी सेंट्रलाइज नंबर हैं. ऐसे में जिले स्तर से कितनी कॉल आईं और कितने मरीजों को अटेंड किया गया यह सारा रिकॉर्ड रखना होता है. यह रिकॉर्ड ही बताता है कि 102 नंबर 108 से बेहतर सेवा दे रही है.
इलाज के बाद घर भी पहुंचाती है एंबुलेंसः अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि 102 से जहां गर्भवती महिलाओं को इलाज और 5 साल के बच्चों को इलाज मिलता है, तो वहीं 108 का उपयोग कोई भी किसी भी परिस्थिति में बेहतर इलाज के लिए कर सकता है. आंकड़ों की बात करें तो जिले में 102 नंबर एंबुलेंस की संख्या 50 है, जिस पर बीते वर्ष में कुल 19053 कॉल आईं, जिनमें 11483 को एंबुलेंस की आवश्यकता रही और कुल 7002 मामले एंबुलेंस द्वारा कवर किए गए. 568 जरूरतमंदों को इलाज के बाद घर भी छोड़ा गया. एंबुलेंस को रोगी तक पहुंचने में औसतन समय 7 मिनट लगा और जहां शिकायत मिली वहां अधिकारियों के स्तर से 50 मामलों में निरीक्षण भी हुआ.
इमरजेंसी मेडिकल ट्रांसपोर्ट सर्विस है 108 एंबुलेंसः वहीं 108 नंबर इमरजेंसी मेडिकल ट्रांसपोर्ट एंबुलेंस की बात करें तो जिले में इसकी कुल संख्या 46 है. जिस पर बीते वर्ष में 9453 कॉल आईं और इसमें 9074 मामले में एंबुलेंस की आवश्यकता पड़ी. एंबुलेंस को रोगी तक पहुंचने में लगने वाला कुल समय लगभग 7 मिनट का था. इसमें भी अधिकारियों ने आवश्यकता के अनुरूप 46 मामलों में निरीक्षण किया. जरूरतमंद इस सेवा का बेहतर लाभ ले रहे हैं, इसलिए एंबुलेंस लगातार बिजी रहती हैं.