पटना : जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की पत्नी और पूर्व सांसद रंजीता रंजन ने गुरुवार को नीतीश सरकार और भाजपा पर जमकर हमला बोला और धमकी दी कि अगर पप्पू यादव को रिहा नहीं किया गया, तो वह अनशन पर बैठ जाएंगी. पूर्व सांसद ने कहा कि मुख्यमंत्री जी अब आपने छेड़ दिया है, तो हम भी छोड़ने वाले नहीं है.
पति की रिहाई की मांग
भाजपा और नीतीश कुमार सरकार से महामारी के समय निम्न-श्रेणी की राजनीति से बचने का आग्रह करते हुए, उन्होंने अपने पति की रिहाई की मांग की. उन्होंने कहा कि उनके पति ने बिहार में एक कोरोना योद्धा की तरह लड़ाई लड़ी और घातक वायरस से संक्रमित लोगों के हर वर्ग की मदद की है.
'अगर राज्य सरकार ने मेरे पति को रिहा नहीं किया, तो मैं भूख हड़ताल पर बैठ जाउंगी. मेरे पति को 32 साल पुराने मामले में जेल भेज दिया गया था. अगर वह कोरोना पॉजिटिव हो जाएंगे, तो बिहार के लोग बीजेपी सासंद राजीव प्रताप रूडी, भाजपा और नीतीश कुमार को माफ नहीं करेंगे.' :- रंजीता रंजन, पूर्व सांसद
राजीव प्रताप रूडी पर साधा निशाना
उन्होंने कहा 'मुझे राजीव प्रताप रूडी का नाम लेते हुए शर्म आ रही है. बिहार में उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि क्या है. वह कौशल विकास मंत्री कैसे बने और नरेंद्र मोदी सरकार से उन्हें क्यों बर्खास्त किया गया. वह केवल एक पैरवीकार के अलावा कुछ नहीं हैं. भाजपा सासंद ने बदला लेने के लिए पप्पू यादव को जेल भेजने के लिए अपनी लॉबी का इस्तेमाल किया.'
'मेरे पति ने बिहार के आम लोगों के हित में रूडी को बेनकाब किया . रूडी अपनी निजी संपत्ति की तरह सांसद निधि से तीन दर्जन से अधिक एंबुलेंस अपने पास रख रहे थे. राज्य सरकार ने रूडी के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय मेरे पति को गिरफ्तार किया.' :- रंजीता रंजन, पूर्व सांसद
पप्पू यादव दो लोगों के अपहरण के 32 साल पुराने मामले में जेल में बंद हैं. अब, राजकुमार यादव नाम के एक अपहृत व्यक्ति ने मीडिया के सामने आकर कहा कि यह एक भ्रम का मामला था.
1989 में दर्ज कराया गया था केस
साल 1989 में राजकुमार यादव और उमाकांत यादव पप्पू यादव के करीबी सहयोगी थे, लेकिन एक लड़की की शादी को लेकर उनके बीच विवाद पैदा हो गया. राजकुमार यादव के चचेरे भाई शैलेंद्र यादव ने मधेपुरा के मुरलीगंज थाने में 29 जनवरी 1989 को राजकुमार यादव और उमाकांत यादव के अपहरण के आरोप में पप्पू यादव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.
पीड़ित ने किया खुलासा
अब, राजकुमार यादव ने खुलासा किया, मैं और उमाकांत पप्पू यादव के वाहन में बैठे थे. कुछ घंटों के बाद, हम पप्पू यादव के घर से निकले और मधेपुरा पहुंचे. हमें शुरू में लगा कि हमारा अपहरण हो गया, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हुआ था. मामला भ्रम में दर्ज किया गया था और मधेपुरा पुलिस ने उस मामले में अब उन्हें गिरफ्तार किया है.
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