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इंडिया गठबंधन की बैठक में नीतीश के नाम पर कोई चर्चा नहीं, बड़ा सवाल- 'सब्र का फल मीठा होगा' या फिर 'अंगूर खट्टे'

दिल्ली में मंगलवार 19 दिसंबर को हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में ना तो संयोजक का नाम फाइनल हो सका ना ही पीएम पद के उम्मीदवार का नाम. हालांकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पीएम पद के लिए बढ़ाया गया था, लेकिन मुहर नहीं लगी. इसके बाद राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी कि नीतीश कुमार नाराज हैं. इसको लेकर बिहार में सियासत शुरू हो गयी है. सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इंडिया गठबंधन में नीतीश का भविष्य क्या होगा. पढ़िये विस्तार से.

इंडिया गठबंधन की बैठक
इंडिया गठबंधन की बैठक
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 20, 2023, 8:02 PM IST

इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद सियासी पारा चढ़ा.

पटना: इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (I.N.D.I.A.) की चौथी बैठक दिल्ली के एक होटल में मंगलवार 19 दिसंबर को हुई. इस मीटिंग में भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक बनाने पर कोई चर्चा नहीं हुई. दिल्ली में हुई बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में आगे किया गया था. हालांकि, इस पर मुहर नहीं लग सकी. लेकिन, बिहार का सियासी माहौल गरमा गया है.

नीतीश के पास ऑप्शन नहीं बचा हैः राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि नीतीश कुमार अब इंडिया गठबंधन में बड़ी भूमिका में रहेंगे, इसकी संभावना कम ही है. राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाये जा रहे हैं कि नीतीश कुमार अब इंडिया गठबंधन के साथ लंबे समय तक रहेंगे भी या नहीं. बीजेपी तो कह रही है कि 'ना माया मिली ना राम'. नीतीश कुमार के लिए अब आश्रम ही बचा है. नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन में तवज्जो नहीं दिए जाने पर जदयू खेमे में निराशा है, लेकिन जदयू नेताओं को अपने नेता पर भरोसा है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश कुमार के लिए इंडिया गठबंधन के अलावे फिलहाल कोई ऑप्शन नहीं बचा है.

पटना से दिल्ली तक नीतीश के नाम पर चर्चा नहीं: बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन बनाया. उसी तर्ज पर 2024 चुनाव को लेकर देश भर में विपक्ष को एकजुट करने का अभियान चलाया. पटना में पहली बैठक की. इसके बाद बेंगलुरु, फिर मुंबई और अभी हाल में दिल्ली में बैठक हुई. इंडिया गठबंधन की हर बैठक से पहले नीतीश कुमार के संयोजक बनने के कयास लगाए जाते रहे. जदयू नेताओं की तरफ से नीतीश कुमार को पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट भी किया गया. दिल्ली बैठक से पहले नीतीश कुमार ने कई राज्यों में रैली का भी ऐलान कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद इंडिया गठबंधन की पटना से लेकर दिल्ली तक हुई बैठक में नीतीश कुमार को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई.

क्या 'एकला चलो रे' के रास्ते पर चलेंगे नीतीशः इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार को ना तो संयोजक बनाया गया और ना ही पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया है. लेकिन नीतीश कुमार आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित देश के कई राज्यों में अपनी सभा करेंगे. बनारस में तो 24 दिसंबर को ही सभा होनी थी लेकिन अब यह जनवरी में होगी. जनवरी में ही झारखंड में भी सभा होनी है. कुल मिलाकर देखें तो नीतीश कुमार जब तक कुछ चौंकाने वाला फैसला नहीं ले लेते हैं, तो फिलहाल इंडिया गठबंधन में रहेंगे. लेकिन, एकला चलो के रास्ते पर काम करेंगे.

"नीतीश कुमार को अब आश्रम में चले जाना चाहिए. लालू यादव ने भी नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया है. लालू यादव ने तो नीतीश कुमार के सपनों की ही चोरी कर ली."- अरविंद सिंह, भाजपा प्रवक्ता



"नीतीश कुमार के लिए इंडिया गठबंधन के अलावा फिलहाल कोई ऑप्शन नहीं है. यह चर्चा जरूर हुई थी कि नीतीश कुमार को बड़ी जिम्मेवारी दी जाएगी हालांकि अभी भी कोई बड़ा फैसला इंडिया गठबंधन में नहीं हुआ है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

नीतीश के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहींः राजनीतिक विश्लेषक प्रिय रंजन भारती का कहना है कि नीतीश कुमार का पुराना ट्रैक रिकार्ड देखें तो, जब उनके मन के लायक काम नहीं होता है उनकी बात सुनी नहीं जाती है तो पाला बदलते रहे हैं. लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है. बीजेपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी है. नीतीश कुमार की बीजेपी में एंट्री भी होगी तो उनकी शर्तों पर नहीं होगी. इसलिए नीतीश कुमार के लिए स्थितियां अब बहुत अनुकूल नहीं है. एक तरह से नीतीश बैक फुट पर हैं. ऐसे में इंडिया गठबंधन से अलग जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे.

क्या पक रही है खिचड़ीः बिहार में महागठबंधन के प्रमुख सहयोगी लालू प्रसाद यादव हैं. इंडिया गठबंधन की बैठक में भी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ उनकी अच्छी दोस्ती है. ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, स्टालिन के साथ नीतीश कुमार की नजदीकी किसी से छिपी नहीं है. लेकिन, इसके बावजूद लालू प्रसाद यादव कभी भी नीतीश कुमार का नाम ना तो संयोजक के तौर पर और ना ही पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाया है. लालू प्रसाद यादव बैठक में राहुल गांधी की तारीफ जरूर करते रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार का नाम तक नहीं लिया है. ऐसे में चर्चा यह भी है कि मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे बढ़ाने में लालू प्रसाद यादव की भी अहम भूमिका है.

इसे भी पढ़ेंः '2024 में जीत चाहिए तो निश्चय ही नीतीश चाहिए', I.N.D.I.A. की बैठक से पहले PM उम्मीदवारी को लेकर JDU का पोस्टर

इसे भी पढ़ेंः I.N.D.I.A. गठबंधन में सीट शेयरिंग पर माथापच्ची, सवाल- क्या नीतीश के फार्मूले पर बन पाएगी सहमति?

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इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद सियासी पारा चढ़ा.

पटना: इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (I.N.D.I.A.) की चौथी बैठक दिल्ली के एक होटल में मंगलवार 19 दिसंबर को हुई. इस मीटिंग में भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक बनाने पर कोई चर्चा नहीं हुई. दिल्ली में हुई बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में आगे किया गया था. हालांकि, इस पर मुहर नहीं लग सकी. लेकिन, बिहार का सियासी माहौल गरमा गया है.

नीतीश के पास ऑप्शन नहीं बचा हैः राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि नीतीश कुमार अब इंडिया गठबंधन में बड़ी भूमिका में रहेंगे, इसकी संभावना कम ही है. राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाये जा रहे हैं कि नीतीश कुमार अब इंडिया गठबंधन के साथ लंबे समय तक रहेंगे भी या नहीं. बीजेपी तो कह रही है कि 'ना माया मिली ना राम'. नीतीश कुमार के लिए अब आश्रम ही बचा है. नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन में तवज्जो नहीं दिए जाने पर जदयू खेमे में निराशा है, लेकिन जदयू नेताओं को अपने नेता पर भरोसा है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश कुमार के लिए इंडिया गठबंधन के अलावे फिलहाल कोई ऑप्शन नहीं बचा है.

पटना से दिल्ली तक नीतीश के नाम पर चर्चा नहीं: बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन बनाया. उसी तर्ज पर 2024 चुनाव को लेकर देश भर में विपक्ष को एकजुट करने का अभियान चलाया. पटना में पहली बैठक की. इसके बाद बेंगलुरु, फिर मुंबई और अभी हाल में दिल्ली में बैठक हुई. इंडिया गठबंधन की हर बैठक से पहले नीतीश कुमार के संयोजक बनने के कयास लगाए जाते रहे. जदयू नेताओं की तरफ से नीतीश कुमार को पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट भी किया गया. दिल्ली बैठक से पहले नीतीश कुमार ने कई राज्यों में रैली का भी ऐलान कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद इंडिया गठबंधन की पटना से लेकर दिल्ली तक हुई बैठक में नीतीश कुमार को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई.

क्या 'एकला चलो रे' के रास्ते पर चलेंगे नीतीशः इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार को ना तो संयोजक बनाया गया और ना ही पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया है. लेकिन नीतीश कुमार आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित देश के कई राज्यों में अपनी सभा करेंगे. बनारस में तो 24 दिसंबर को ही सभा होनी थी लेकिन अब यह जनवरी में होगी. जनवरी में ही झारखंड में भी सभा होनी है. कुल मिलाकर देखें तो नीतीश कुमार जब तक कुछ चौंकाने वाला फैसला नहीं ले लेते हैं, तो फिलहाल इंडिया गठबंधन में रहेंगे. लेकिन, एकला चलो के रास्ते पर काम करेंगे.

"नीतीश कुमार को अब आश्रम में चले जाना चाहिए. लालू यादव ने भी नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया है. लालू यादव ने तो नीतीश कुमार के सपनों की ही चोरी कर ली."- अरविंद सिंह, भाजपा प्रवक्ता



"नीतीश कुमार के लिए इंडिया गठबंधन के अलावा फिलहाल कोई ऑप्शन नहीं है. यह चर्चा जरूर हुई थी कि नीतीश कुमार को बड़ी जिम्मेवारी दी जाएगी हालांकि अभी भी कोई बड़ा फैसला इंडिया गठबंधन में नहीं हुआ है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

नीतीश के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहींः राजनीतिक विश्लेषक प्रिय रंजन भारती का कहना है कि नीतीश कुमार का पुराना ट्रैक रिकार्ड देखें तो, जब उनके मन के लायक काम नहीं होता है उनकी बात सुनी नहीं जाती है तो पाला बदलते रहे हैं. लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है. बीजेपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी है. नीतीश कुमार की बीजेपी में एंट्री भी होगी तो उनकी शर्तों पर नहीं होगी. इसलिए नीतीश कुमार के लिए स्थितियां अब बहुत अनुकूल नहीं है. एक तरह से नीतीश बैक फुट पर हैं. ऐसे में इंडिया गठबंधन से अलग जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे.

क्या पक रही है खिचड़ीः बिहार में महागठबंधन के प्रमुख सहयोगी लालू प्रसाद यादव हैं. इंडिया गठबंधन की बैठक में भी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ उनकी अच्छी दोस्ती है. ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, स्टालिन के साथ नीतीश कुमार की नजदीकी किसी से छिपी नहीं है. लेकिन, इसके बावजूद लालू प्रसाद यादव कभी भी नीतीश कुमार का नाम ना तो संयोजक के तौर पर और ना ही पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाया है. लालू प्रसाद यादव बैठक में राहुल गांधी की तारीफ जरूर करते रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार का नाम तक नहीं लिया है. ऐसे में चर्चा यह भी है कि मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे बढ़ाने में लालू प्रसाद यादव की भी अहम भूमिका है.

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