पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया को उद्योग के क्षेत्र में बड़ी सौगात मिली है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने 105 करोड़ की लागत से देश के पहले ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट (Grain Based Ethanol Plant in Purnea) का फीता काटकर उद्घाटन किया. इस दौरान उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह भी मौजूद रहीं. इस दौरान सीएम नीतीश ने औद्योगिक परिसर का निरीक्षण भी किया, साथ ही वृक्षारोपण भी किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इथेनॉल का उत्पादन पूर्णिया से शुरू हो गया है, जिसमें कच्चे माल के तौर पर मक्का और चावल का प्रयोग किया जाएगा.
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''पहली बार इथेनॉल का उत्पादन यहां शुरू हुआ है. इसे हम 2007 से ही चाह रहे थे. उस समय हम लोगों ने कुछ कानून बनाकर संशोधन करके भेजा तोउस समय की सरकार ने उसे माना नहीं. 2019 में एक कार्क्रम के सिलसिले में मालूम हुआ कि जब केंद्र सरकार ने कर दिया हैय तय किया है तो ये बहुत खुशी की बात है. अब जो कुछ भी होने वाला है ये बहुत अच्छी बात है. हम तो ये देखने आए हैं कि इथेनॉल अगर बन रहा है तो किस तरह से ये बन रहा है और ये कैसा होता है, आज ये सब दिखा दिया. कैसे पेट्रोल डीजल के साथ वो काम करेगा, अब तो तय हो गया कि 20% ये पेट्रोल डीजल में लगेगा. इससे देश को बहुत लाभ होने वाला है. आप देख लीजिए बिहार में कितना ज्यादा उद्योग का विस्तार हो रहा है.''- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
वहीं, इस मौके पर उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बिहार उद्योग के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य के औद्योगिकीकरण का सपना सच होने की राह पर आगे बढ़ रहा है. इथेनॉल उद्योग बिहार के युवाओं के लिए रोजगार की उम्मीद पूरी करेगा. इससे बिहार के किसानों की आमदनी में भी जबरदस्त वृद्धि होगी. जब से केंद्र सरकार और बिहार सरकार ने इथेनॉल की नीति बनाई है. तब से पूरे देश के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन इथेनॉल का बिहार बना है. बिहार ने जितनी छूट दी. उस इथेनॉल पॉलिसी को देखकर पूरे देश ने बनाया.
''जब से केंद्र सरकार और बिहार सरकार ने इथेनॉल की नीति बनाई है. तब से पूरे देश के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन इथेनॉल का बिहार बना है. बिहार ने जितनी छूट दी. उस इथेनॉल पॉलिसी को देखकर पूरे देश ने बनाया. हमने 172 करोड़ लीटर का बिड किया. हमें कोटा 18 करोड़ लीटर का मिला. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के केंद्र में बात करने के बाद वो कोटा डबल होकर 36 करोड़ लीटर हुआ. ये पहला यूनिट है जो ग्रेन बेस्ड है. इस इलाके में मक्का बहुत होता है, यहां टूटे हुए चावल से यहां कि भूसी भी बिजली बनाने में मदद करेगी. ऐसे ही कई प्लांट हमारे बन रहे हैं. ये पूरे सीमांचल के लिए और किसानों के लिए सौगात है कि यहां पर ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट का उद्घाटन हुआ है.''- शाहनवाज हुसैन, उद्योग मंत्री, बिहार
पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता होगी कम: पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र और बिहार सरकार ने इथेनॉल पॉलिसी को मंजूरी दी है. इथेनॉल पॉलिसी को लागू करने के लिए बिहार अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है. बिहार के पूर्णिया में इथेनॉल प्लांट की नींव रखी गई है. केंद्र और राज्य की इथेनॉल पॉलिसी 2021 के बाद ये देश का पहला ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट है. पूर्णिया के कृत्यानंद नगर के परोरा में ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्रा. लि. (EIBPL) द्वारा 105 करोड़ की लागत से स्थापित ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट का शुभारंभ हुआ है. बिहार इथेनॉल पॉलिसी 2021 के बाद बिहार में स्थापित हो रही 17 इथेनॉल इकाइयों में से पहले ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल इकाई ने उत्पादन शुरू कर दिया है और बहुत जल्द तीन और इथेनॉल इकाइयों का शुभारंभ होना है.
इथेनॉल प्लांट की क्षमता: पूर्णियां के परोरा में ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्रा. लि. (EIBPL) द्वारा स्थापित ग्रीनफील्ड ग्रेन बेस्ड इथेनॉल प्लांट की उत्पादन क्षमता 65 हजार लीटर प्रतिदिन है. इसके साथ ही इस प्लांट से प्रतिदिन 27 टन DDGS (Distiller Dried Grains with Solubles) यानी एनिमल फीड बनाने के लिए जो पोषक तत्व से पूर्ण कच्चे माल की जरुरत होती है, उसका उत्पादन बायोप्रोडक्ट के रुप में होगा. अत्याधुनिक तकनीक की मशीनों से लैस पूर्णियां में बना ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्रा. लि. (EIBPL) का इथेनॉल प्लांट पर्यावरण अनुकूल है. प्लांट की डिजाइनिंग ऐसी है कि पर्यावरण की अनुकूलता को देखते हुए जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) सुनिश्चित होगा.
कितने मक्के या चावल की जरूरत?: पूर्णिया में एथेनॉल फैक्ट्री के खुलने से इस इलाके का कायाकल्प हो जाएगा. इथेनॉल प्लांट की जरुरत को पूरा करने के लिए प्रतिदिन करीब 145 से 150 टन चावल या मक्के की जरूरत होगी. ये खरीद आसपास के किसानों से होगी. खराब क्वालिटी की फसल तो कौड़ी के दाम में कोई नहीं खरीदता है, लेकिन इथेनॉल प्लांट खुल जाने से खराब क्वालिटी के मक्का और धान की भी अच्छी कीमत मिल जाएगी. जो यहां के किसानों के लिए फायदेमंद होगा, क्योंकि इतनी बड़ी खपत के लिए किसानों को बिक्री करने के लिए स्थाई स्थान मिलेगा. साथ ही स्थानीय लोगों को इस फैक्ट्री के शुरू होने से रोजगार भी मिलेगा.
इथेनॉल की कहां होगी खपत: इस प्लांट में भारी मात्रा में इथेनॉल बनेगा. इसे पेट्रोल में मिलाया जाएगा. अभी पेट्रोल बाहर से मंगाया जाता है, इससे पेट्रोल भी सस्ता होगा. पूर्णिया प्लांट में तैयार इथेनॉल को ऑयल मार्केटिंग कम्पनीज जिनमें इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम शामिल हैं, उन्हें बेचा जाएगा. इसके लिए तेल मार्केटिंग कंपनियों से 10 साल का करार किया गया है.
बता दें कि 2021 में लाई गई बिहार की इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति काफी सफल रही. इसके तहत बिहार में 151 इथेनॉल इकाईयों की स्थापना के लिए कुल 30,382 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए, लेकिन कोटा कम मिलने से फिलहाल 17 इथेनॉल इकाईयों की स्थापना पहले चरण में हो रही है. फिलहाल, बिहार को 36 करोड़ लीटर सालाना इथेनॉल आपूर्ति का कोटा मिला है, लेकिन इथेनॉल उत्पादन के लिए कच्चे माल और पानी की उपलब्धता, इसमें निवेश के लिए आए प्रस्ताव व अन्य अनुकूलता को देखते हुए बिहार के इथेनॉल उत्पादन की क्षमता 172 करोड़ लीटर सालाना है. बिहार को इसकी इथेनॉल उत्पादन क्षमता के हिसाब से कोटा मिला तो ना सिर्फ बिहार देश का सबसे बड़ा इथेनॉल हब बनकर उभरेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के विकास में अत्यंत अहम भागीदारी निभाएगा.
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