ETV Bharat / bharat

गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा को रुड़की के नसीम अहमद ने तराशा, कोच ने बताई पूरी कहानी

टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत के लिए सोना जीतने वाले नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) जैसे हीरे को रुड़की के नसीम अहमद ने तराशा था. नसीम अहमद 2011 से नीरज चोपड़ा के कोच है.

नीरज चोपड़ा
नीरज चोपड़ा
author img

By

Published : Aug 10, 2021, 12:36 AM IST

देहरादून : टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत को एक मात्र गोल्ड दिलाने वाले नीरज चोपड़ा को उत्तराखंड के नसीम अहमद ने तराशा है. नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) के कोच नसीम अहमद (Naseem Ahmad) रुड़की के कल्याणपुर टोडा गांव के रहने वाले हैं. नसीम अहमद ने कोच के तौर नीरज चोपड़ा को लंबे समय तक ट्रेनिंग दी थी.

नीरज चोपड़ा सोमवार को भारत पहुंचे चुके है. नीरज चोपड़ा की इस जीत से उनके कोच नसीम अहमद भी गदगद हो रहे हैं. बता दें नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में जेवलिन थ्रो (Javelin Throw/भाला फेंक) में गोल्ड मेडल जीता है.

रुड़की निवासी नसीम अहमद ने नीरज चोपड़ा को साल 2011 में अपनी पाठशाला में जेवलिन थ्रो की बारीकियां सिखाईं. नसीम अहमद ने बताया कि 14 साल पहले हरियाणा सरकार ने बतौर कोच उन्हें पंचकुला के रेजीडेंसियल हॉस्टल भेजा था. उसी दौरान उनके पास आए 14 खिलाड़ियों में से नीरज चोपड़ा भी एक थे. कोच नसीम अहमद के तराशे हुए छह इंटरनेशनल खिलाड़ी बने, जिसमें एक नीरज चोपड़ा है.

नसीम अहमद ने बताया कि नीरज ने सबसे पहले अंडर-18 में रिकॉर्ड बनाया था. इसके बाद 2016 में पोलैंड में अंडर-20 में नीरज ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर एशियन ट्रैक फील्ड में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. इसके तो नीरज ने एशियन चैंपियनशि और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था.

इसी बीच नीरज को चोट लग गई और इंजरी के चलते वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में कुछ खास नहीं कर सकें. हालांकि ऑपरेशन के बाद ट्रैक पर आने में उन्हें डेढ़ साल का वक्त लग गया. दोबारा तैयारी के साथ उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिया और 121 साल बाद एथलेटिक्स में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया.

नीरज को उनके शुरुआती दिनों में ट्रेनिंग देने वाले कोच नसीम अहमद (Naseem Ahmad) अपने शिष्य के ऐतिहासिक प्रदर्शन से बेहद खुश हैं. बता दें कि फाइनल से 15 दिन पहले नीरज ने अपने कोच नसीम अहमद से बात की थी. नसीम बताते हैं कि नीरज ने कहा था कि वह 90 के आसपास स्कोर करेंगे. इस बीच गोल्ड तो आ गया लेकिन बेस्ट स्कोर 87.58 मीटर रहा. वह नीरज के इस प्रदर्शन से कम संतुष्ट हैं, क्योंकि नीरज ने इससे पहले जितनी बार जिस स्कोर का वादा किया, उतना हासिल किया था.

पढ़ें - ओलंपिक नायकों का गर्मजोशी से स्वागत, सरकार ने भव्य समारोह में किया सम्मानित

वह बताते हैं कि नीरज दिमागी तौर पर बहुत मजबूत और स्वभाव में बहुत सीधे हैं, उनसे आज भी दो-चार बातें होती हैं. बस इतना ही बोलते हैं कि नमस्ते सर आप कैसे हो, मेरी ट्रेनिंग अच्छी चल रही है, आप अपना ध्यान रखना. एक-दूसरे का ध्यान रखने को कहने की ही बात होती है. नीरज के कोच नसीम अहमद उसके सोशल स्टाइल के कायल हैं. नसीम बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में पहला ऐसा खिलाड़ी देखा है, जो अपने साथियों की इतनी मदद करता है. वे बताते हैं कि नीरज दो तीन गरीब खिलाड़ियों की हर महीने मदद करते हैं.

उवे हॉन हैं नीरज चोपड़ा के वर्तमान कोच

टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा के सबसे प्रसिद्ध कोच जर्मन उवे हॉन हैं, जो इतिहास में 100 मीटर से अधिक की दूरी पर भाला फेंकने वाले एकमात्र एथलीट हैं. इसके साथ ही क्लाउस बार्टोनिट्ज़, गैरी कैल्वर्ट, वर्नर डेनियल, काशीनाथ नाइक, नसीम अहमद और जयवीर सिंह नीरज को ट्रेनिंग देते हैं.

1984 में, हॉन ने बर्लिन में 104.8 मीटर थ्रो रिकॉर्ड दर्ज कराया था. ईस्ट जर्मनी के नेरुप्पिन में जन्मे उवे हॉन ने 1982 की यूरोपीय चैंपियनशिप और 1985 के IAAF विश्व कप में भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था. ईस्ट जर्मनी ने लॉस एंजेलिस ग्रीष्मकालीन खेलों का बहिष्कार किया, जिसकी वजह से हॉन 1984 के ओलंपिक में भाग लेने से चूक गए थे. हॉन ने चीन के झाओ किंगगैंग (Zhao Qinggang) को भी कोचिंग दी है, जिन्होंने 2014 एशियन गेम्स में भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था.

देहरादून : टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत को एक मात्र गोल्ड दिलाने वाले नीरज चोपड़ा को उत्तराखंड के नसीम अहमद ने तराशा है. नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) के कोच नसीम अहमद (Naseem Ahmad) रुड़की के कल्याणपुर टोडा गांव के रहने वाले हैं. नसीम अहमद ने कोच के तौर नीरज चोपड़ा को लंबे समय तक ट्रेनिंग दी थी.

नीरज चोपड़ा सोमवार को भारत पहुंचे चुके है. नीरज चोपड़ा की इस जीत से उनके कोच नसीम अहमद भी गदगद हो रहे हैं. बता दें नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में जेवलिन थ्रो (Javelin Throw/भाला फेंक) में गोल्ड मेडल जीता है.

रुड़की निवासी नसीम अहमद ने नीरज चोपड़ा को साल 2011 में अपनी पाठशाला में जेवलिन थ्रो की बारीकियां सिखाईं. नसीम अहमद ने बताया कि 14 साल पहले हरियाणा सरकार ने बतौर कोच उन्हें पंचकुला के रेजीडेंसियल हॉस्टल भेजा था. उसी दौरान उनके पास आए 14 खिलाड़ियों में से नीरज चोपड़ा भी एक थे. कोच नसीम अहमद के तराशे हुए छह इंटरनेशनल खिलाड़ी बने, जिसमें एक नीरज चोपड़ा है.

नसीम अहमद ने बताया कि नीरज ने सबसे पहले अंडर-18 में रिकॉर्ड बनाया था. इसके बाद 2016 में पोलैंड में अंडर-20 में नीरज ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर एशियन ट्रैक फील्ड में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. इसके तो नीरज ने एशियन चैंपियनशि और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था.

इसी बीच नीरज को चोट लग गई और इंजरी के चलते वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में कुछ खास नहीं कर सकें. हालांकि ऑपरेशन के बाद ट्रैक पर आने में उन्हें डेढ़ साल का वक्त लग गया. दोबारा तैयारी के साथ उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिया और 121 साल बाद एथलेटिक्स में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया.

नीरज को उनके शुरुआती दिनों में ट्रेनिंग देने वाले कोच नसीम अहमद (Naseem Ahmad) अपने शिष्य के ऐतिहासिक प्रदर्शन से बेहद खुश हैं. बता दें कि फाइनल से 15 दिन पहले नीरज ने अपने कोच नसीम अहमद से बात की थी. नसीम बताते हैं कि नीरज ने कहा था कि वह 90 के आसपास स्कोर करेंगे. इस बीच गोल्ड तो आ गया लेकिन बेस्ट स्कोर 87.58 मीटर रहा. वह नीरज के इस प्रदर्शन से कम संतुष्ट हैं, क्योंकि नीरज ने इससे पहले जितनी बार जिस स्कोर का वादा किया, उतना हासिल किया था.

पढ़ें - ओलंपिक नायकों का गर्मजोशी से स्वागत, सरकार ने भव्य समारोह में किया सम्मानित

वह बताते हैं कि नीरज दिमागी तौर पर बहुत मजबूत और स्वभाव में बहुत सीधे हैं, उनसे आज भी दो-चार बातें होती हैं. बस इतना ही बोलते हैं कि नमस्ते सर आप कैसे हो, मेरी ट्रेनिंग अच्छी चल रही है, आप अपना ध्यान रखना. एक-दूसरे का ध्यान रखने को कहने की ही बात होती है. नीरज के कोच नसीम अहमद उसके सोशल स्टाइल के कायल हैं. नसीम बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में पहला ऐसा खिलाड़ी देखा है, जो अपने साथियों की इतनी मदद करता है. वे बताते हैं कि नीरज दो तीन गरीब खिलाड़ियों की हर महीने मदद करते हैं.

उवे हॉन हैं नीरज चोपड़ा के वर्तमान कोच

टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा के सबसे प्रसिद्ध कोच जर्मन उवे हॉन हैं, जो इतिहास में 100 मीटर से अधिक की दूरी पर भाला फेंकने वाले एकमात्र एथलीट हैं. इसके साथ ही क्लाउस बार्टोनिट्ज़, गैरी कैल्वर्ट, वर्नर डेनियल, काशीनाथ नाइक, नसीम अहमद और जयवीर सिंह नीरज को ट्रेनिंग देते हैं.

1984 में, हॉन ने बर्लिन में 104.8 मीटर थ्रो रिकॉर्ड दर्ज कराया था. ईस्ट जर्मनी के नेरुप्पिन में जन्मे उवे हॉन ने 1982 की यूरोपीय चैंपियनशिप और 1985 के IAAF विश्व कप में भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था. ईस्ट जर्मनी ने लॉस एंजेलिस ग्रीष्मकालीन खेलों का बहिष्कार किया, जिसकी वजह से हॉन 1984 के ओलंपिक में भाग लेने से चूक गए थे. हॉन ने चीन के झाओ किंगगैंग (Zhao Qinggang) को भी कोचिंग दी है, जिन्होंने 2014 एशियन गेम्स में भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.