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Muharram 2023 :आज दिखा मुहर्रम का चांद, 29 जुलाई को मनाया जाएगा 'मुहर्रम' - मुहर्रम की रस्में

आज से इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना शुरु हो गया है. जानें इस महीने की क्या है खासियत. पढ़ें पूरी खबर..

Muharram 2023
मुहर्रम
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Published : Jul 19, 2023, 10:24 PM IST

हैदराबाद : दुनिया भर में अलग-अलग धर्म के लोग अलग-अलग कैलेंडर के हिसाब से व्रत-त्योहार मनाते हैं. ईसाई धर्म मानने वाले अंग्रेजी कैलेंडर को मानते हैं. हिंदू धर्म मानने वाले हिंदू पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार पर्व-त्योहार मनाते हैं. इसके अलावा शादी-विवाह सहित अन्य शुभ कार्यों के लिए कैलेंडर के हिसाब से समय तय करते हैं. इसी तरह इस्लाम धर्म को मानने वाले इस्लामिक कैलेंडर को मानते हैं. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार आज से यानि 19 जुलाई से मुहर्रम का महीना शुरू हो गया है. इस्लाम धर्म में इस महीने को काफी पवित्र माना गया है. हालांकि इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार मुहर्रम का महीने गम का माह माना जाता है. इस माह में मुस्लिम समुदाय के लोग खुशी या उत्सव मनाने से परहेज करते हैं.

महीने की 10वीं तारीख को मनेगा मुहर्रम का त्योहार
मुहर्रम के महीने की 10वीं तारीख को मुहर्रम का त्योहार मनाया जाता है. इस्लामिक धर्म को मानने वालों के लिए 10वीं तारीख यानि रोज-ए-आशुरा का दिन काफी खास होता है. बताया जाता है कि तत्कालीन क्रूर शासक यजीद ने कर्बला में हुए जंग में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत हो गई थी. इस शहादत की याद में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरा दिन मातम मनाते हैं. बताया जाता है कि मुहर्रम के महीने की 10वीं तारीख को ही यजीद के फौजों ने हुसैन के काफिले को घेर कर कत्ले आम को दिया था. इस जंग में हुसैन के 18 वर्षीय पुत्र अली अकबर, महज 6 माह के बेटे अली असगर और उसके भतीजे का भी क्रूरता से कत्ल कर दिया गया था.

क्यों मनाया जाता है मुहर्रम
मुहर्रम के महीने की शुरूआत होते ही लगातार 8 दिनों तक शोक मनाते हैं. पूरा समुदाय गम में रहता है. इस दौरान मुस्लिम समुदाय के चमकदार कपड़ों से परहेज करते हैं. ज्यादातर लोग काला कपड़ा पहनते हैं. मुस्लिम समुदाय से जुड़े कई लोग 2 महीने 8 दिन तक अपने घरों में शादी-ब्याह सहित अन्य खुशियों वाला कोई आयोजन नहीं करते हैं. यही नहीं वे लोग किसी अन्य समुदाय की खुशियों में शरीक होने से बचते हैं. इसके अलावा मुस्लिम समुदाय की महिलाएं व युवतियां श्रृंगार से परहेज करती हैं.

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हैदराबाद : दुनिया भर में अलग-अलग धर्म के लोग अलग-अलग कैलेंडर के हिसाब से व्रत-त्योहार मनाते हैं. ईसाई धर्म मानने वाले अंग्रेजी कैलेंडर को मानते हैं. हिंदू धर्म मानने वाले हिंदू पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार पर्व-त्योहार मनाते हैं. इसके अलावा शादी-विवाह सहित अन्य शुभ कार्यों के लिए कैलेंडर के हिसाब से समय तय करते हैं. इसी तरह इस्लाम धर्म को मानने वाले इस्लामिक कैलेंडर को मानते हैं. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार आज से यानि 19 जुलाई से मुहर्रम का महीना शुरू हो गया है. इस्लाम धर्म में इस महीने को काफी पवित्र माना गया है. हालांकि इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार मुहर्रम का महीने गम का माह माना जाता है. इस माह में मुस्लिम समुदाय के लोग खुशी या उत्सव मनाने से परहेज करते हैं.

महीने की 10वीं तारीख को मनेगा मुहर्रम का त्योहार
मुहर्रम के महीने की 10वीं तारीख को मुहर्रम का त्योहार मनाया जाता है. इस्लामिक धर्म को मानने वालों के लिए 10वीं तारीख यानि रोज-ए-आशुरा का दिन काफी खास होता है. बताया जाता है कि तत्कालीन क्रूर शासक यजीद ने कर्बला में हुए जंग में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत हो गई थी. इस शहादत की याद में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरा दिन मातम मनाते हैं. बताया जाता है कि मुहर्रम के महीने की 10वीं तारीख को ही यजीद के फौजों ने हुसैन के काफिले को घेर कर कत्ले आम को दिया था. इस जंग में हुसैन के 18 वर्षीय पुत्र अली अकबर, महज 6 माह के बेटे अली असगर और उसके भतीजे का भी क्रूरता से कत्ल कर दिया गया था.

क्यों मनाया जाता है मुहर्रम
मुहर्रम के महीने की शुरूआत होते ही लगातार 8 दिनों तक शोक मनाते हैं. पूरा समुदाय गम में रहता है. इस दौरान मुस्लिम समुदाय के चमकदार कपड़ों से परहेज करते हैं. ज्यादातर लोग काला कपड़ा पहनते हैं. मुस्लिम समुदाय से जुड़े कई लोग 2 महीने 8 दिन तक अपने घरों में शादी-ब्याह सहित अन्य खुशियों वाला कोई आयोजन नहीं करते हैं. यही नहीं वे लोग किसी अन्य समुदाय की खुशियों में शरीक होने से बचते हैं. इसके अलावा मुस्लिम समुदाय की महिलाएं व युवतियां श्रृंगार से परहेज करती हैं.

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