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सीधी की जांबाज : तेंदुए से भिड़ गई मां, मौत के जबड़े से निकाल लाई बेटे को

मध्य प्रदेश के सीधी जिले में एक मां बेटे को बचाने के लिए मौत से लड़ गई. इस मां के आठ साल के बेटे को तेंदुआ उठा ले गया था. मां ने तेंदुए का एक किलोमीटर दूर तक पीछा किया और उससे बच्चे को छीन लिया. इस घटना में मां और बेट दोनों घायल हो गए.

leopard attack in sidhi etv bharat
leopard attack in sidhi etv bharat
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Published : Nov 30, 2021, 4:06 PM IST

सीधी : कहते हैं भगवान हर जगह रक्षा नहीं कर सकता, इसलिए उसने मां को बनाकर भेजा है. यह बात बैगा समाज की आदिवासी महिला किरण पर बिलकुल सटीक बैठती है. दरअसल, किरण के आठ वर्षीय बेटे को तेंदुए (tiger attack in sidhi) मुंह में दबाकर ले गया. जब किरण ने यह देखा तो वह उसके पीछे अकेले ही दौड़ गई और तेंदुए के जबड़े से अपने बेटे को निकाल लायी (leopard attacks child in sidhi).

जानकारी के अनुसार घर के बाहर एक महिला अपने तीन बच्चों के साथ अलाव ताप रही थी. तभी एक तेंदुआ दबे पांव आया और बगल में बैठे आठ साल के बच्चे को उठा ले गया (leopard attacks child in sidhi). मासूम बच्चे की मां ने तेंदुए का एक किलोमीटर दूर तक पीछा किया और उससे भिड़ गई. हालांकि, महिला तेंदुए के हमले से घायल हो गई, लेकिन वो अपने बच्चे को मौत के मुंह से बचा लाई (leopard attacks child in sidhi).

बेटे को बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गई मां.

किरण की जुबानी...

रविवार शाम 7:00 बजे के आस-पास मैं तीनों बच्चों को ठंड से बचाने के लिए घर के पास ही अलाव जलाकर बैठी हुई थी. इस दौरान एक बच्चा गोद में बैठा था और बाकी के दोनों बच्चे अगल-बगल बैठे थे. तभी पीछे से अचानक जंगली तेंदुआ आ गया. चीता मेरे 8 साल के बेटे राहुल को मुंह में दबोचकर ले भागा. मैं उसी हालत में चीखती-चिल्लाती हुई अंधेरे में ही तेंदुए के पीछे भागी. मैंने कुछ नहीं सोचा, जान की परवाह किये बगैर मैं नंगे पैर जंगल की ओर दौड़ पड़ी. जंगल में एक किलोमीटर जाकर तेंदुआ रुक गया और मेरे बेटे को पंजों में दबोचकर बैठ गया. मैं हिम्मत दिखाते हुए तेंदुए की ओर बढ़ी. किसी तरह हल्ला मचाते हुए मैंने बच्चे को तो छुड़ा लिया, लेकिन तेंदुआ शांत नहीं हुआ. उसने फिर से हम मां-बेटे पर हमला किया. इस बार मैंने हिम्मत दिखाते हुए तेंदुए के पंजे को पीछे की ओर धकेल दिया. तब तक गांव के अन्य लोग आ गये और तेंदुआ वहां से भाग गया. इसके बाद मैं बेहोश हो गई. जब मेरी आंखें खुली तो मैं अस्पताल में थी.

क्या बोले पर्यटन अधिकारी
वहीं क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी वसीम भूरिया ने कहा कि छोटा तेंदुआ था, जिसने बच्चे को घायल (tiger injured child in sidhi) कर दिया था. बच्चे के पीठ, गाल और आंख में चोटें आई हैं. सूचना पर घायल बच्चे को कुसमी अस्पताल में भर्ती करा दिया. वहीं परिवार को तत्कालीन सहायता के रूप में एक हजार रुपये की राशि दे दी है. उपचार पर जो भी खर्चा होगा वहन मेरे द्वारा किया जाएगा.

पढ़ेंः Bihar Assembly Clash : आरजेडी और बीजेपी विधायक आपस में भिड़े, बात गाली गलौज तक पहुंची

सीधी : कहते हैं भगवान हर जगह रक्षा नहीं कर सकता, इसलिए उसने मां को बनाकर भेजा है. यह बात बैगा समाज की आदिवासी महिला किरण पर बिलकुल सटीक बैठती है. दरअसल, किरण के आठ वर्षीय बेटे को तेंदुए (tiger attack in sidhi) मुंह में दबाकर ले गया. जब किरण ने यह देखा तो वह उसके पीछे अकेले ही दौड़ गई और तेंदुए के जबड़े से अपने बेटे को निकाल लायी (leopard attacks child in sidhi).

जानकारी के अनुसार घर के बाहर एक महिला अपने तीन बच्चों के साथ अलाव ताप रही थी. तभी एक तेंदुआ दबे पांव आया और बगल में बैठे आठ साल के बच्चे को उठा ले गया (leopard attacks child in sidhi). मासूम बच्चे की मां ने तेंदुए का एक किलोमीटर दूर तक पीछा किया और उससे भिड़ गई. हालांकि, महिला तेंदुए के हमले से घायल हो गई, लेकिन वो अपने बच्चे को मौत के मुंह से बचा लाई (leopard attacks child in sidhi).

बेटे को बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गई मां.

किरण की जुबानी...

रविवार शाम 7:00 बजे के आस-पास मैं तीनों बच्चों को ठंड से बचाने के लिए घर के पास ही अलाव जलाकर बैठी हुई थी. इस दौरान एक बच्चा गोद में बैठा था और बाकी के दोनों बच्चे अगल-बगल बैठे थे. तभी पीछे से अचानक जंगली तेंदुआ आ गया. चीता मेरे 8 साल के बेटे राहुल को मुंह में दबोचकर ले भागा. मैं उसी हालत में चीखती-चिल्लाती हुई अंधेरे में ही तेंदुए के पीछे भागी. मैंने कुछ नहीं सोचा, जान की परवाह किये बगैर मैं नंगे पैर जंगल की ओर दौड़ पड़ी. जंगल में एक किलोमीटर जाकर तेंदुआ रुक गया और मेरे बेटे को पंजों में दबोचकर बैठ गया. मैं हिम्मत दिखाते हुए तेंदुए की ओर बढ़ी. किसी तरह हल्ला मचाते हुए मैंने बच्चे को तो छुड़ा लिया, लेकिन तेंदुआ शांत नहीं हुआ. उसने फिर से हम मां-बेटे पर हमला किया. इस बार मैंने हिम्मत दिखाते हुए तेंदुए के पंजे को पीछे की ओर धकेल दिया. तब तक गांव के अन्य लोग आ गये और तेंदुआ वहां से भाग गया. इसके बाद मैं बेहोश हो गई. जब मेरी आंखें खुली तो मैं अस्पताल में थी.

क्या बोले पर्यटन अधिकारी
वहीं क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी वसीम भूरिया ने कहा कि छोटा तेंदुआ था, जिसने बच्चे को घायल (tiger injured child in sidhi) कर दिया था. बच्चे के पीठ, गाल और आंख में चोटें आई हैं. सूचना पर घायल बच्चे को कुसमी अस्पताल में भर्ती करा दिया. वहीं परिवार को तत्कालीन सहायता के रूप में एक हजार रुपये की राशि दे दी है. उपचार पर जो भी खर्चा होगा वहन मेरे द्वारा किया जाएगा.

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