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भीषण गर्मी के बीच बिजली आपूर्ति संकट से जूझ रहे देश के कई राज्य - भारत में गर्मी की लहर

भीषण गर्मी के बीच भारत के कई हिस्से बिजली आपूर्ति संकट से जूझ रहे हैं. राज्यों में इसकी मांग में तेज वृद्धि दर्ज जा रही है. भारत के बिजली क्षेत्र के संकट और भी बदतर होने की संभावना है. क्योंकि रिकॉर्ड उच्च बिजली की मांग के बीच ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी की समस्या बनी हुई है.

power cut situation across the country
भीषण गर्मी के बीच बिजली आपूर्ति संकट से जूझ रहे देश के कई राज्य
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Published : Apr 28, 2022, 11:46 AM IST

Updated : Apr 28, 2022, 1:51 PM IST

हैदराबाद : भीषण गर्मी के बीच भारत के कई हिस्से बिजली आपूर्ति संकट से जूझ रहे हैं. राज्यों में बिजली की मांग में तेज वृद्धि देखी जा रही है. भारत के बिजली क्षेत्र के संकट और भी बदतर होने की संभावना है. क्योंकि रिकॉर्ड उच्च बिजली की मांग के बीच ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी की समस्या बनी हुई है. पिछले एक हफ्ते में, भारत में कुल बिजली की कमी 623 मिलियन यूनिट (एमयू) तक पहुंच गई. जो मार्च की कुल कमी से भी ज्यादा है. थर्मल पावर प्लांटों में कोयले के कम स्टॉक के कारण इस महीने झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सहित राज्यों में बिजली कटौती हुई है.

महामारी के बाद आर्थिक सुधार के कारण बढ़ती मांग और आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से कम बिजली आपूर्ति के कारण घरेलू कोयले का उपयोग करने वाले ताप विद्युत संयंत्रों पर दबाव बढ़ गया है. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, कुछ राज्यों द्वारा कोयला कंपनियों को भुगतान में देरी भी थर्मल पावर प्लांटों में कम इन्वेंट्री का एक प्रमुख कारण है. देश के बड़े हिस्से में भीषण गर्मी के कारण मंगलवार को पूरे देश में बिजली की अधिकतम मांग 201 गीगावॉट के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गई. इस दौरान आपूर्ति में 8.2 गीगावॉट की कमी दर्ज की गई. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की कमी के बीच बढ़ती मांग के कारण मई और जून में बिजली आपूर्ति में और कमी आ सकती है. जबकि मांग 215-220 गीगावॉट के स्तर को छू सकती है.

झारखंड को मांग से 17 प्रतिशत कम बिजली आपूर्ति : पिछले एक सप्ताह में, झारखंड को राज्य की कुल बिजली मांग के लगभग 17.3 प्रतिशत के बराबर की कमी का सामना करना पड़ा. जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों को एक साथ 11.6 प्रतिशत की कमी का सामना करना पड़ा. जबकि राजस्थान में 9.6 प्रतिशत बिजली की कमी थी. पिछले सप्ताह में हरियाणा में 7.7 प्रतिशत, उत्तराखंड में 7.6 प्रतिशत, बिहार में 3.7 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 2.8 प्रतिशत की कटौती दर्ज की गई. मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में 16 घंटे से अधिक समय तक बिजली गुल रही. खबरों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की अपनी बिजली परियोजनाएं इस समय क्षमता से कम उत्पादन कर रही हैं. राज्य की कुल क्षमता 1,211 मेगावाट बिजली उत्पादन की है. लेकिन फिलहाल 450 मेगावाट से थोड़ा ही अधिक उत्पादन हो रहा है. अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में लगभग 2300 मेगावाट की कमी है. जिसे उसे उत्तरी ग्रिड से खरीदने की जरूरत है, लेकिन उच्च बिजली शुल्क और अनुपलब्धता के कारण, यह केवल 800 मेगावाट के आसपास ही खरीद रहा है.

राजस्थान के कोयले की किल्लत : राजस्थान में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और डिस्कॉम के अध्यक्ष भास्कर ए सावंत ने कहा कि बिजली की मांग पिछले वर्ष की तुलना में 31 प्रतिशत बढ़ी है. इधर, कोयला संकट ने राज्य में बिजली उत्पादन को प्रभावित किया है. राजस्थान की क्षमता है कि वह 10,110 मेगावाट तक बिजली पैदा कर सकता है लेकिन कोयले की कमी के कारण 6,600 मेगावाट बिजली ही पैदा कर रहा है. सावंत ने कहा कि ऐसी स्थिति में जिला मुख्यालय और संभाग मुख्यालय को छोड़कर अन्य आवश्यक सेवाओं जैसे अस्पतालों, ऑक्सीजन केंद्रों, पेयजल सुविधाओं, सैन्य प्रतिष्ठानों आदि को निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली कटौती का विकल्प चुनना 'अत्यंत आवश्यक' हो गया है.

पढ़ें : मुंबई और आसपास के उपनगरों के कई इलाकों में करीब एक घंटे तक बिजली सेवाएं रहीं ठप

पंजाब में गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लांट को अस्थायी रूप से बंद : पंजाब में प्रमुख ताप विद्युत संयंत्र कोयले की कमी का सामना कर रहे हैं, जिससे कुछ संयंत्रों में परिचालन कम हो गया है. 19 अप्रैल को, 540 मेगावाट बिजली पैदा करने वाले गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लांट को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा क्योंकि यहां केवल आधे दिन का कोयला बचा था. राज्य में केवल 7,000 मेगावाट उपलब्ध उत्पादन क्षमता है, जबकि मांग 7800 मेगावाट तक पहुंच गई है. इस वजह से यहां भी 2-5 घंटे तक बिजली कटौती दर्ज की गई. महाराष्ट्र में कोयले की आपूर्ति में सुधार हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख सचिव दिनेश वाघमारे ने कहा कि राज्य की पीक डिमांड 25000 मेगावाट से अधिक हो गई है. जो पिछले साल की तुलना में लगभग 2500 मेगावाट अधिक है. महाराष्ट्र कोयला कंपनियों के बड़े बकाया वाले राज्यों में से एक है. ऊर्जा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य किश्तों में बकाया भुगतान कर रहा है.

ओडिशा में एनटीपीसी की इकाई के ठप : ओडिशा के अधिकारियों ने बताया कि एनटीपीसी की इकाई के ठप होने के कारण राज्य को बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है. इस इकाई से 800 मेगावाट बिजली पैदा होती है जिसमें से 400 मेगावाट ओडिशा को मिलती है. ऊर्जा विभाग ने बिजली आपूर्ति सुचारू रूप से सुनिश्चित करने के मद्देनजर शाम सात बजे से रात 11 बजे के बीच एयर-कंडीशन लोड, औद्योगिक और कृषि संबंधी लोड को कम करने का आह्वान किया है. ओडिशा में मौजूदा समय में बिजली की मांग करीब 5,200 से 5,400 मेगावाट है जबकि राज्य के पास करीब 4,800 मेगावाट बिजली उपलब्ध है. वहीं, एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि ओडिशा में मई के पहले सप्ताह में बिजली आपूर्ति की स्थिति बेहतर हो जाएगी.

पढ़ें : उत्तराखंड में बिजली कटौती, विरोध में हरीश रावत धूप में बैठे, रखा एक घंटे का मौन व्रत

रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण अंतरराष्ट्रीय कोयले की कीमतें बढ़ी : रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण अंतरराष्ट्रीय कोयले की कीमतें बढ़ गई हैं, जिससे आयातित कोयले का उपयोग करने वाले कई ताप संयंत्रों को परिचालन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. खबरों के अनुसार, लगभग 5,405 मेगावाट आयातित कोयला आधारित तापीय बिजली उत्पादन क्षमता वर्तमान में बंद पड़े हैं. ऐसी ही 2,400 मेगावाट क्षमता के प्लांट अपनी क्षमता से कम उत्पादन कर रहे हैं. जिससे घरेलू कोयले का उपयोग करने वाले थर्मल संयंत्रों पर दबाव बढ़ रहा है. जहां तक घरेलू कोयले का उपयोग करने वाले बिजली संयंत्रों के मामले का सवाल है उनकी भी स्थिति ठीक नहीं है. खबरों के अनुसार लगभग 150 संयंत्रों में से 86 में वर्तमान में कोयले के भंडार का स्तर बहुत कम है. भारत भर के ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कुल स्टॉक 66.33 मिलियन टन के मानक स्तर के मुकाबले 21.55 मिलियन टन है.

कोयला मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि उसके पास ताप विद्युत संयंत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए 70 मिलियन टन से अधिक कोयले का भंडार उपलब्ध है. अधिकारियों के मुताबिक कई थर्मल पावर प्लांटों को मानक स्टॉक स्तरों को पूरा करने के लिए आवश्यक संख्या में रेक नहीं मिलने के कारण कोयले का परिवहन एक प्रमुख समस्या बन गया है. सरकारी सूत्रों के अनुसार, रेलवे इस महीने के पहले दो हफ्तों में कोयले के परिवहन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रेक की संख्या को बढ़ाने के लिए तैयार है.

(इनपुट:एजेंसी)

हैदराबाद : भीषण गर्मी के बीच भारत के कई हिस्से बिजली आपूर्ति संकट से जूझ रहे हैं. राज्यों में बिजली की मांग में तेज वृद्धि देखी जा रही है. भारत के बिजली क्षेत्र के संकट और भी बदतर होने की संभावना है. क्योंकि रिकॉर्ड उच्च बिजली की मांग के बीच ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी की समस्या बनी हुई है. पिछले एक हफ्ते में, भारत में कुल बिजली की कमी 623 मिलियन यूनिट (एमयू) तक पहुंच गई. जो मार्च की कुल कमी से भी ज्यादा है. थर्मल पावर प्लांटों में कोयले के कम स्टॉक के कारण इस महीने झारखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सहित राज्यों में बिजली कटौती हुई है.

महामारी के बाद आर्थिक सुधार के कारण बढ़ती मांग और आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से कम बिजली आपूर्ति के कारण घरेलू कोयले का उपयोग करने वाले ताप विद्युत संयंत्रों पर दबाव बढ़ गया है. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, कुछ राज्यों द्वारा कोयला कंपनियों को भुगतान में देरी भी थर्मल पावर प्लांटों में कम इन्वेंट्री का एक प्रमुख कारण है. देश के बड़े हिस्से में भीषण गर्मी के कारण मंगलवार को पूरे देश में बिजली की अधिकतम मांग 201 गीगावॉट के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गई. इस दौरान आपूर्ति में 8.2 गीगावॉट की कमी दर्ज की गई. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार थर्मल पावर प्लांटों में कोयले की कमी के बीच बढ़ती मांग के कारण मई और जून में बिजली आपूर्ति में और कमी आ सकती है. जबकि मांग 215-220 गीगावॉट के स्तर को छू सकती है.

झारखंड को मांग से 17 प्रतिशत कम बिजली आपूर्ति : पिछले एक सप्ताह में, झारखंड को राज्य की कुल बिजली मांग के लगभग 17.3 प्रतिशत के बराबर की कमी का सामना करना पड़ा. जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों को एक साथ 11.6 प्रतिशत की कमी का सामना करना पड़ा. जबकि राजस्थान में 9.6 प्रतिशत बिजली की कमी थी. पिछले सप्ताह में हरियाणा में 7.7 प्रतिशत, उत्तराखंड में 7.6 प्रतिशत, बिहार में 3.7 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 2.8 प्रतिशत की कटौती दर्ज की गई. मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में 16 घंटे से अधिक समय तक बिजली गुल रही. खबरों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की अपनी बिजली परियोजनाएं इस समय क्षमता से कम उत्पादन कर रही हैं. राज्य की कुल क्षमता 1,211 मेगावाट बिजली उत्पादन की है. लेकिन फिलहाल 450 मेगावाट से थोड़ा ही अधिक उत्पादन हो रहा है. अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में लगभग 2300 मेगावाट की कमी है. जिसे उसे उत्तरी ग्रिड से खरीदने की जरूरत है, लेकिन उच्च बिजली शुल्क और अनुपलब्धता के कारण, यह केवल 800 मेगावाट के आसपास ही खरीद रहा है.

राजस्थान के कोयले की किल्लत : राजस्थान में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और डिस्कॉम के अध्यक्ष भास्कर ए सावंत ने कहा कि बिजली की मांग पिछले वर्ष की तुलना में 31 प्रतिशत बढ़ी है. इधर, कोयला संकट ने राज्य में बिजली उत्पादन को प्रभावित किया है. राजस्थान की क्षमता है कि वह 10,110 मेगावाट तक बिजली पैदा कर सकता है लेकिन कोयले की कमी के कारण 6,600 मेगावाट बिजली ही पैदा कर रहा है. सावंत ने कहा कि ऐसी स्थिति में जिला मुख्यालय और संभाग मुख्यालय को छोड़कर अन्य आवश्यक सेवाओं जैसे अस्पतालों, ऑक्सीजन केंद्रों, पेयजल सुविधाओं, सैन्य प्रतिष्ठानों आदि को निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली कटौती का विकल्प चुनना 'अत्यंत आवश्यक' हो गया है.

पढ़ें : मुंबई और आसपास के उपनगरों के कई इलाकों में करीब एक घंटे तक बिजली सेवाएं रहीं ठप

पंजाब में गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लांट को अस्थायी रूप से बंद : पंजाब में प्रमुख ताप विद्युत संयंत्र कोयले की कमी का सामना कर रहे हैं, जिससे कुछ संयंत्रों में परिचालन कम हो गया है. 19 अप्रैल को, 540 मेगावाट बिजली पैदा करने वाले गोइंदवाल साहिब थर्मल प्लांट को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा क्योंकि यहां केवल आधे दिन का कोयला बचा था. राज्य में केवल 7,000 मेगावाट उपलब्ध उत्पादन क्षमता है, जबकि मांग 7800 मेगावाट तक पहुंच गई है. इस वजह से यहां भी 2-5 घंटे तक बिजली कटौती दर्ज की गई. महाराष्ट्र में कोयले की आपूर्ति में सुधार हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख सचिव दिनेश वाघमारे ने कहा कि राज्य की पीक डिमांड 25000 मेगावाट से अधिक हो गई है. जो पिछले साल की तुलना में लगभग 2500 मेगावाट अधिक है. महाराष्ट्र कोयला कंपनियों के बड़े बकाया वाले राज्यों में से एक है. ऊर्जा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य किश्तों में बकाया भुगतान कर रहा है.

ओडिशा में एनटीपीसी की इकाई के ठप : ओडिशा के अधिकारियों ने बताया कि एनटीपीसी की इकाई के ठप होने के कारण राज्य को बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है. इस इकाई से 800 मेगावाट बिजली पैदा होती है जिसमें से 400 मेगावाट ओडिशा को मिलती है. ऊर्जा विभाग ने बिजली आपूर्ति सुचारू रूप से सुनिश्चित करने के मद्देनजर शाम सात बजे से रात 11 बजे के बीच एयर-कंडीशन लोड, औद्योगिक और कृषि संबंधी लोड को कम करने का आह्वान किया है. ओडिशा में मौजूदा समय में बिजली की मांग करीब 5,200 से 5,400 मेगावाट है जबकि राज्य के पास करीब 4,800 मेगावाट बिजली उपलब्ध है. वहीं, एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि ओडिशा में मई के पहले सप्ताह में बिजली आपूर्ति की स्थिति बेहतर हो जाएगी.

पढ़ें : उत्तराखंड में बिजली कटौती, विरोध में हरीश रावत धूप में बैठे, रखा एक घंटे का मौन व्रत

रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण अंतरराष्ट्रीय कोयले की कीमतें बढ़ी : रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण अंतरराष्ट्रीय कोयले की कीमतें बढ़ गई हैं, जिससे आयातित कोयले का उपयोग करने वाले कई ताप संयंत्रों को परिचालन बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. खबरों के अनुसार, लगभग 5,405 मेगावाट आयातित कोयला आधारित तापीय बिजली उत्पादन क्षमता वर्तमान में बंद पड़े हैं. ऐसी ही 2,400 मेगावाट क्षमता के प्लांट अपनी क्षमता से कम उत्पादन कर रहे हैं. जिससे घरेलू कोयले का उपयोग करने वाले थर्मल संयंत्रों पर दबाव बढ़ रहा है. जहां तक घरेलू कोयले का उपयोग करने वाले बिजली संयंत्रों के मामले का सवाल है उनकी भी स्थिति ठीक नहीं है. खबरों के अनुसार लगभग 150 संयंत्रों में से 86 में वर्तमान में कोयले के भंडार का स्तर बहुत कम है. भारत भर के ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कुल स्टॉक 66.33 मिलियन टन के मानक स्तर के मुकाबले 21.55 मिलियन टन है.

कोयला मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि उसके पास ताप विद्युत संयंत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए 70 मिलियन टन से अधिक कोयले का भंडार उपलब्ध है. अधिकारियों के मुताबिक कई थर्मल पावर प्लांटों को मानक स्टॉक स्तरों को पूरा करने के लिए आवश्यक संख्या में रेक नहीं मिलने के कारण कोयले का परिवहन एक प्रमुख समस्या बन गया है. सरकारी सूत्रों के अनुसार, रेलवे इस महीने के पहले दो हफ्तों में कोयले के परिवहन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रेक की संख्या को बढ़ाने के लिए तैयार है.

(इनपुट:एजेंसी)

Last Updated : Apr 28, 2022, 1:51 PM IST
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