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MVA MLAs against Governor : राज्यपाल को दो मिनट में खत्म करना पड़ा अभिभाषण - महाराष्ट्र विधानसभा गवर्नर कोश्यारी के खिलाफ नारेबाजी

महाराष्ट्र विधानसभा में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari) के अभिभाषण के दौरान सत्तारुढ़ महाविकास आघाड़ी (MVA) में शामिल नेताओं ने जमकर हंगामा और नारेबाजी (MVA MLAs shout slogans) की. राज्यपाल को महज दो मिनट में अपना अभिभाषण समाप्त कर विधानसभा से विदा होना पड़ा.

Koshyari MVA MLAs shout slogans
महाराष्ट्र विधानसभा गवर्नर कोश्यारी के खिलाफ नारेबाजी
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Published : Mar 3, 2022, 12:39 PM IST

Updated : Mar 3, 2022, 1:40 PM IST

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार और राज्यपाल कोश्यारी के बीच तल्खी (Governor Koshyari leaves speech) कम होती नहीं दिख रही. ताजा घटनाक्रम में महाराष्ट्र विधानसभा सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सत्तारढ़ महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने जमकर नारेबाजी (MVA MLAs shout slogans) की.

MVA MLAs against Governor : राज्यपाल को दो मिनट में खत्म करना पड़ा अभिभाषण

अभिभाषण के दौरान एमवीए विधायकों की ओर से व्यवधान के कारण राज्यपाल कोश्यारी (MVA MLAs against Governor) को अपना अभिभाषण केवल दो मिनट में खत्म कर विधानसभा से निकलना पड़ा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्यपाल कोश्यारी ने कथित रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज पर हाल ही में आपत्तिजनक टिप्पणी (Koshyari Chhatrapati Shivaji controversial statement) की थी.

बता दें कि इससे पहले राज्यपाल कोश्यारी पर महाराष्ट्र के विधानपरिषद में सदस्यों को मनोनीत करने के मामले में जानबूझकर विलंब करने के आरोप लगे थे. अगस्त, 2021 में सत्तारुढ़ शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखे एक लेख में कहा था कि राजभवन की घटनाओं से अब जनता व सरकार को भी कुछ फर्क नहीं पड़ता है. राज्यपाल के अधोपतन के लिए जितना वे खुद जिम्मेदार हैं, उससे ज्यादा राज्य का उनका पितृपक्ष भाजपा जिम्मेदार है. शिवसेना ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल ने महाराष्ट्र विधानपरिषद के लिए 12 मनोनीत विधायकों की नियुक्तियां सिर्फ राजनैतिक कारणों से रोककर रखी हैं.

एक अन्य घटनाक्रम में दिसंबर, 2021 में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भाषा पर ऐतराज जताया था. राज्यपाल ने पत्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भाषा पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था कि सीएम का लहजा धमकाने वाला है. मुझे उनकी भाषा से काफी दुख पहुंचा है. उन्होंने कहा कि वे विधानसभा अध्यक्ष को लेकर होने वाले चुनाव के संबंध में कानूनी सलाह लेंगे.

यह भी पढ़ें- सीएम उद्धव ठाकरे के पत्र से नाराज हुए राज्यपाल कोश्यारी, बोले- लिखी चिट्ठी की भाषा धमकी भरी

एक अन्य चौंकाने वाले घटनाक्रम में शिवसेना ने राज्यपाल कोश्यारी की तुलना हाथी से कर डाली थी. सितंबर, 2021 में शिवसेना ने सामना के एक लेख में लिखा था कि लोकतंत्र हाथी के पैरों तले हैं. इस लेख में लिखा गया था, राज्यपाल सिर्फ सरकारी पैसे पर पाले जानेवाले सफेद हाथी नहीं हैं. दिल्ली की सत्ताधारी पार्टियों की सरकारें जिन-जिन राज्यों में नहीं हैं, उन-उन राज्यों में वो 'मदमस्त निरंकुश हाथी' की ही भूमिका निभाते हैं और ऐसे हाथियों के महावत दिल्ली में बैठकर नियंत्रित करते हैं. उसी हाथी के पैरों तले लोकतंत्र का संविधान, कानून, राजनीतिक संस्कृति को रौंदते हुए अलग शुरुआत की जाती है.

राज्यपाल कोश्यारी और उद्धव सरकार के टकराव की अन्य खबरें-

बकौल शिवसेना, वास्तव में मतलब संविधान के निर्माताओं द्वारा निर्धारित कर्तव्यों का पालन करना राज्यपाल के लिए अनिवार्य है. परंतु किसी राज्य का राज्यपाल यदि राजभवन में बैठकर अपनी पूरी ताकत उन्हीं के द्वारा शपथ दिलाई गई सरकार को अस्थिर करने में लगाता होगा तो ये कहां तक उचित है? हमारे लोकतंत्र में यही दृश्य आज हर स्तर पर दिखाई देता है.

(एक्सट्रा इनपुट- एजेंसी)

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार और राज्यपाल कोश्यारी के बीच तल्खी (Governor Koshyari leaves speech) कम होती नहीं दिख रही. ताजा घटनाक्रम में महाराष्ट्र विधानसभा सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान सत्तारढ़ महाविकास आघाड़ी के नेताओं ने जमकर नारेबाजी (MVA MLAs shout slogans) की.

MVA MLAs against Governor : राज्यपाल को दो मिनट में खत्म करना पड़ा अभिभाषण

अभिभाषण के दौरान एमवीए विधायकों की ओर से व्यवधान के कारण राज्यपाल कोश्यारी (MVA MLAs against Governor) को अपना अभिभाषण केवल दो मिनट में खत्म कर विधानसभा से निकलना पड़ा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्यपाल कोश्यारी ने कथित रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज पर हाल ही में आपत्तिजनक टिप्पणी (Koshyari Chhatrapati Shivaji controversial statement) की थी.

बता दें कि इससे पहले राज्यपाल कोश्यारी पर महाराष्ट्र के विधानपरिषद में सदस्यों को मनोनीत करने के मामले में जानबूझकर विलंब करने के आरोप लगे थे. अगस्त, 2021 में सत्तारुढ़ शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखे एक लेख में कहा था कि राजभवन की घटनाओं से अब जनता व सरकार को भी कुछ फर्क नहीं पड़ता है. राज्यपाल के अधोपतन के लिए जितना वे खुद जिम्मेदार हैं, उससे ज्यादा राज्य का उनका पितृपक्ष भाजपा जिम्मेदार है. शिवसेना ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल ने महाराष्ट्र विधानपरिषद के लिए 12 मनोनीत विधायकों की नियुक्तियां सिर्फ राजनैतिक कारणों से रोककर रखी हैं.

एक अन्य घटनाक्रम में दिसंबर, 2021 में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भाषा पर ऐतराज जताया था. राज्यपाल ने पत्र में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भाषा पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था कि सीएम का लहजा धमकाने वाला है. मुझे उनकी भाषा से काफी दुख पहुंचा है. उन्होंने कहा कि वे विधानसभा अध्यक्ष को लेकर होने वाले चुनाव के संबंध में कानूनी सलाह लेंगे.

यह भी पढ़ें- सीएम उद्धव ठाकरे के पत्र से नाराज हुए राज्यपाल कोश्यारी, बोले- लिखी चिट्ठी की भाषा धमकी भरी

एक अन्य चौंकाने वाले घटनाक्रम में शिवसेना ने राज्यपाल कोश्यारी की तुलना हाथी से कर डाली थी. सितंबर, 2021 में शिवसेना ने सामना के एक लेख में लिखा था कि लोकतंत्र हाथी के पैरों तले हैं. इस लेख में लिखा गया था, राज्यपाल सिर्फ सरकारी पैसे पर पाले जानेवाले सफेद हाथी नहीं हैं. दिल्ली की सत्ताधारी पार्टियों की सरकारें जिन-जिन राज्यों में नहीं हैं, उन-उन राज्यों में वो 'मदमस्त निरंकुश हाथी' की ही भूमिका निभाते हैं और ऐसे हाथियों के महावत दिल्ली में बैठकर नियंत्रित करते हैं. उसी हाथी के पैरों तले लोकतंत्र का संविधान, कानून, राजनीतिक संस्कृति को रौंदते हुए अलग शुरुआत की जाती है.

राज्यपाल कोश्यारी और उद्धव सरकार के टकराव की अन्य खबरें-

बकौल शिवसेना, वास्तव में मतलब संविधान के निर्माताओं द्वारा निर्धारित कर्तव्यों का पालन करना राज्यपाल के लिए अनिवार्य है. परंतु किसी राज्य का राज्यपाल यदि राजभवन में बैठकर अपनी पूरी ताकत उन्हीं के द्वारा शपथ दिलाई गई सरकार को अस्थिर करने में लगाता होगा तो ये कहां तक उचित है? हमारे लोकतंत्र में यही दृश्य आज हर स्तर पर दिखाई देता है.

(एक्सट्रा इनपुट- एजेंसी)

Last Updated : Mar 3, 2022, 1:40 PM IST
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