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राजपथ नहीं, कर्तव्य पथ ... जानें खासियत और पूरा इतिहास

अगले साल से गणतंत्र दिवस परेड राजपथ पर नही कर्तव्य पथ पर होगी. एनडीएमसी ने आज इस फैसले पर मुहर लगा दी. 1911 में इसे ब्रिटेन के राजा की अगवानी में इसका नाम किंग्सवे रखा गया था. आजादी के बाद इसे राजपथ कहा गया. सेंट्रल विस्टा का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को करने वाले हैं. यानी अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए संसद भवन और राजपथ से एक साथ छुटकारा मिलने वाला है. आइए जानते हैं इसके अतीत की कहानी. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की एक रिपोर्ट. know history of rajpath.

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इंडिया गेट
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Published : Sep 7, 2022, 10:22 PM IST

नई दिल्ली : आजादी से पहले इस रास्ते पर सिर्फ ‘राजा’ या बड़े अधिकारी ही आते जाते थे. हाल ही में प्रधानमंत्री के औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने की बात को बढ़ावा देते हुए शहरी विकास मंत्रालय और कल्चर मिनिस्ट्री ने एक कदम आगे बढ़ते हुए इसका नाम कर्तव्यपथ करने का प्रस्ताव कर दिया. बुधवार को एनडीएमसी ने इस फैसले पर मुहर लगा दी. इस रास्ते पर ही हर साल 26 जनवरी को भारतीय संस्कृति और भारत की ताकतवर सुरक्षा की झांकियां गुजरती है. इसी सड़क पर बना है सेंट्रल विस्ता जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री गुरुवार को करेंगे. know history of rajpath.

राजपथ का नाम पहली बार नहीं बदला गया है, बल्कि इससे पहले भी इतिहास में इसका नाम बदला गया है. इसके अलावा इस रास्ते की कहानी काफी ऐतिहासिक है और इतिहास के पन्नों में इस रास्ते की कई कहानियां दर्ज हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर राजपथ का इतिहास क्या है और किसने इसका नाम राजपथ रखा था.

असल में अंग्रेजों ने किंग जॉर्ज V के सम्मान में राजपथ का नाम किंग्सवे रखा था, जो साल 1911 में दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए आए थे. इसी समय दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया गया, जो पहले कोलकाता में थी, और इसे किंग्सवे यानी राजा का रास्ता बनाया गया था. जब भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली, तब भारत में खासतौर पर दिल्ली में काफी बदलाव किए गए और कई जगहों को आम नागरिकों के लिए खोला गया. इसमें राजपथ भी शामिल था. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने साल 1955 में इस किंग्सवे का नाम बदलने का फैसला किया और इसका नाम राजपथ किया गया.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

राजपथ रायसीना हिल्स पर स्थित राष्ट्रपति भवन के गेट से शुरू होता है और विजय चौक से लेकर राष्ट्रीय स्टेडियम तक जाता है. तीन किलोमीटर के इस लंबे रास्ते के दोनों ओर काफी हरियाली है, बाग हैं और छोटी नहरें भी हैं. इस रास्ते से गुजरते हुए ही गणतंत्र दिवस की परेड निकाली जाती है.1950 की पहली गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम में हुई थी जिसे आज नेशनल स्टेडियम के नाम से जाना जाता है. साल 1955 से राजपथ 26 जनवरी परेड का स्थायी स्थल बन गया. उसके बाद हर गणतंत्र दिवस पर राज पथ पर बहुत ही धूमधाम से 26 जनवरी मनाया जाता है.

1955 में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक 3 किमी तक राजपथ नए और भव्य रूप में बनकर तैयार हो चुका था, और तब से यहीं से परेड निकाली जाने लगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल पंद्रह अगस्त को लाल किले से एलान किया था कि आजादी के अमृत महोत्सव काल में हमे गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलना होगा. इसी के तहत अब राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया है. केंद्र सरकार के बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट सेंट्रलविष्टा के फेज वन का उद्घाटन गुरुवार को प्रधानमंत्री करने वाले हैं. इसके बाद यह आम लोगों के लिए 9 सितंबर से खोल दिया जाएगा.

इस अवसर पर प्रधानमंत्री, सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण भी करेंगे. इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जो ग्रेनाइट की प्रतिमा लगाई जानी है, वह 28 फुट ऊंची और 6 फुट चौड़ी होगी. उसे इंडिया गेट पर उसी स्‍थान पर लगाया जाएगा जहां कभी ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम की प्रतिमा थी. ये प्रतिमा नेताजी की देश में स्थापित किसी भी प्रतिमा से बड़ी है. इस प्रतिमा के लिए पत्थर तेलंगाना से लाया गया है और ये रायसीना हिल से आसानी से नजर आएगी. उधर सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में विजय चौक से इंडिया गेट तक रास्ते को दोनों ओर के हिस्से को नए सिरे से डिजाइन किया गया है और पैदल चलने के रास्ते को ज्यादा चौड़ा बना दिया गया है.

इसके बगल में बने लॉन को भी रीडिजाइन किया गया है और इसमें चारों ओर लाल ग्रेनाइट युक्त पैदल पथ बनाया गया है. नए सिरे से डिजाइन किए गए इस इलाके में स्मार्ट पोल लगाए गए हैं जिनमें हाई टेक लाइटें और कैमरे लगाए गए हैं. सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को भी अच्छी-खासी संख्या में तैनात किया जाएगा. इसके अलावा, इस बात का भी पूरा ध्यान दिया जाएगा कि लोग गंदगी न फैला पाएं और नियमों का ध्यान रखा जाए. रीडेवलपमेंट प्लान के तहत इन नहरों पर कुल 16 पुल बनाए गए हैं. दो नहरों में नौका विहार की अनुमति होगी. इनमें से एक नहर कृषि भवन के पास और दूसरी वाणिज्य भवन के पास है.

पूरे क्षेत्र में लाल ग्रेनाइट से बनी 422 बेंच लगाई गई हैं. इसके अलावा, 900 से ज्यादा प्रकाश स्तंभ हैं और 4 पैदल यात्री अंडरपास बनाए गए हैं. इसके अलावा, फाउंटेन एरिया को भी साफ सुथरा कर दिया गया है. सेंट्र्ल विस्टा एवेन्यू में 9 सितंबर यानी आम लोगो के लिए इसके खोले जाने के बाद से दो महीने तक पार्किंग शुल्क शून्य होगा. मतलब कोई पार्किंग चार्ज नहीं लिया जाएगा. इसके बाद NDMC किराया तय करेगी. यहां 1125 कारों के अलावा 40 बसों के लिए भी पार्किंग की सुविधा है. शॉपिंग करने आने वाले लोगों के लिए 5 वेंडर जोन होंगे. जहां लोग छोटे-छोटे बास्केट में सामान बेचेंगे. ये भी तय किया गया है कि इस इलाके में सिर्फ़ वेंडर जोन में ही दुकानें लगेंगी. CPWD ने इस पूरे इलाके में कुल 5 वेंडिंग जोन बनाए हैं जिनमें 40 विक्रेताओं को ही परमिशन दी जाएगी. लोग यहां आकर अलग अलग राज्यों के पकवान का मजा ले सकते हैं.

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का भी निर्माण तेजी से चल रहा है. नया संसद भवन बन जाने के बाद लोकसभा हॉल में 770 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी. राज्यसभा हॉल की क्षमता 384 सीटों की होगी. दोनों सदनों में डिजिटल इंटरफेस सिस्टम होंगे और बिजली की कम खपत होगी. नए भवन में देश की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान कक्ष, संसद सदस्यों के लिए एक विश्राम कक्ष, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थान होगा. ये भवन शीतकालीन सत्र तक बनना था, मगर उसे एक महीने और बढ़ा दिया गया है, जिसे दिसंबर तक पूरा किया जायेगा. नए संसद भवन में कश्मीर के प्रसिद्ध पारंपरिक कालीन भी बिछाए जायेंगे, जिसे कश्मीर के बडगाम में बनाया जा रहा है. महाराष्ट्र के सागवान की लकड़ी से बने फर्नीचर भी इस सांसद भवन में लगाए जायेंगे.

Central vista को केंद्र सरकार ने 2019 में प्रस्तावित और शुरू किया था. इस परियोजना में 10 बिल्डिंग ब्लॉक्स के साथ एक नई संसद, प्रधान मंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास का निर्माण एवं सभी सरकारी मंत्रालयों और विभागों को समायोजित करने की योजना है. सेन्ट्रल विस्टा की इस परियोजना में 3.2 किलोमीटर के हिस्से का पुनर्विकास करना शामिल है. जिसके तहत कई सरकारी भवनों को ध्वस्त करना और उनका पुनर्निर्माण करना भी है. इस प्रोजेक्ट का कुल अनुमानित खर्च 20,000 करोड़ रुपये हैं. नए संसद भवन के निर्माण पर करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है. साल 2024 तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का अनुमान है.

प्रोजेक्ट का काम केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय कर रहा है. इसके तहत इसके अंदर आनेवाले सभी मंत्रालयों और कार्यालयों को शिफ्ट किया जा रहा है, नए संसद भवन का काम नवम्बर तक पूरा होने की उम्मीद है. सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत नए संसद भवन के साथ साथ सांसदों के कार्यालयों का भी निर्माण होना है. सांसदों के दफ्तरों का निर्माण करने के लिए परिवहन भवन और श्रम शक्ति भवन को तोड़ कर नए भवन बनाए जायेंगे.

नई दिल्ली : आजादी से पहले इस रास्ते पर सिर्फ ‘राजा’ या बड़े अधिकारी ही आते जाते थे. हाल ही में प्रधानमंत्री के औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने की बात को बढ़ावा देते हुए शहरी विकास मंत्रालय और कल्चर मिनिस्ट्री ने एक कदम आगे बढ़ते हुए इसका नाम कर्तव्यपथ करने का प्रस्ताव कर दिया. बुधवार को एनडीएमसी ने इस फैसले पर मुहर लगा दी. इस रास्ते पर ही हर साल 26 जनवरी को भारतीय संस्कृति और भारत की ताकतवर सुरक्षा की झांकियां गुजरती है. इसी सड़क पर बना है सेंट्रल विस्ता जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री गुरुवार को करेंगे. know history of rajpath.

राजपथ का नाम पहली बार नहीं बदला गया है, बल्कि इससे पहले भी इतिहास में इसका नाम बदला गया है. इसके अलावा इस रास्ते की कहानी काफी ऐतिहासिक है और इतिहास के पन्नों में इस रास्ते की कई कहानियां दर्ज हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर राजपथ का इतिहास क्या है और किसने इसका नाम राजपथ रखा था.

असल में अंग्रेजों ने किंग जॉर्ज V के सम्मान में राजपथ का नाम किंग्सवे रखा था, जो साल 1911 में दिल्ली दरबार में हिस्सा लेने के लिए आए थे. इसी समय दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया गया, जो पहले कोलकाता में थी, और इसे किंग्सवे यानी राजा का रास्ता बनाया गया था. जब भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली, तब भारत में खासतौर पर दिल्ली में काफी बदलाव किए गए और कई जगहों को आम नागरिकों के लिए खोला गया. इसमें राजपथ भी शामिल था. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने साल 1955 में इस किंग्सवे का नाम बदलने का फैसला किया और इसका नाम राजपथ किया गया.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

राजपथ रायसीना हिल्स पर स्थित राष्ट्रपति भवन के गेट से शुरू होता है और विजय चौक से लेकर राष्ट्रीय स्टेडियम तक जाता है. तीन किलोमीटर के इस लंबे रास्ते के दोनों ओर काफी हरियाली है, बाग हैं और छोटी नहरें भी हैं. इस रास्ते से गुजरते हुए ही गणतंत्र दिवस की परेड निकाली जाती है.1950 की पहली गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम में हुई थी जिसे आज नेशनल स्टेडियम के नाम से जाना जाता है. साल 1955 से राजपथ 26 जनवरी परेड का स्थायी स्थल बन गया. उसके बाद हर गणतंत्र दिवस पर राज पथ पर बहुत ही धूमधाम से 26 जनवरी मनाया जाता है.

1955 में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक 3 किमी तक राजपथ नए और भव्य रूप में बनकर तैयार हो चुका था, और तब से यहीं से परेड निकाली जाने लगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल पंद्रह अगस्त को लाल किले से एलान किया था कि आजादी के अमृत महोत्सव काल में हमे गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलना होगा. इसी के तहत अब राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया है. केंद्र सरकार के बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट सेंट्रलविष्टा के फेज वन का उद्घाटन गुरुवार को प्रधानमंत्री करने वाले हैं. इसके बाद यह आम लोगों के लिए 9 सितंबर से खोल दिया जाएगा.

इस अवसर पर प्रधानमंत्री, सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण भी करेंगे. इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जो ग्रेनाइट की प्रतिमा लगाई जानी है, वह 28 फुट ऊंची और 6 फुट चौड़ी होगी. उसे इंडिया गेट पर उसी स्‍थान पर लगाया जाएगा जहां कभी ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम की प्रतिमा थी. ये प्रतिमा नेताजी की देश में स्थापित किसी भी प्रतिमा से बड़ी है. इस प्रतिमा के लिए पत्थर तेलंगाना से लाया गया है और ये रायसीना हिल से आसानी से नजर आएगी. उधर सेंट्रल विस्टा एवेन्यू में विजय चौक से इंडिया गेट तक रास्ते को दोनों ओर के हिस्से को नए सिरे से डिजाइन किया गया है और पैदल चलने के रास्ते को ज्यादा चौड़ा बना दिया गया है.

इसके बगल में बने लॉन को भी रीडिजाइन किया गया है और इसमें चारों ओर लाल ग्रेनाइट युक्त पैदल पथ बनाया गया है. नए सिरे से डिजाइन किए गए इस इलाके में स्मार्ट पोल लगाए गए हैं जिनमें हाई टेक लाइटें और कैमरे लगाए गए हैं. सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पुलिस और सुरक्षाकर्मियों को भी अच्छी-खासी संख्या में तैनात किया जाएगा. इसके अलावा, इस बात का भी पूरा ध्यान दिया जाएगा कि लोग गंदगी न फैला पाएं और नियमों का ध्यान रखा जाए. रीडेवलपमेंट प्लान के तहत इन नहरों पर कुल 16 पुल बनाए गए हैं. दो नहरों में नौका विहार की अनुमति होगी. इनमें से एक नहर कृषि भवन के पास और दूसरी वाणिज्य भवन के पास है.

पूरे क्षेत्र में लाल ग्रेनाइट से बनी 422 बेंच लगाई गई हैं. इसके अलावा, 900 से ज्यादा प्रकाश स्तंभ हैं और 4 पैदल यात्री अंडरपास बनाए गए हैं. इसके अलावा, फाउंटेन एरिया को भी साफ सुथरा कर दिया गया है. सेंट्र्ल विस्टा एवेन्यू में 9 सितंबर यानी आम लोगो के लिए इसके खोले जाने के बाद से दो महीने तक पार्किंग शुल्क शून्य होगा. मतलब कोई पार्किंग चार्ज नहीं लिया जाएगा. इसके बाद NDMC किराया तय करेगी. यहां 1125 कारों के अलावा 40 बसों के लिए भी पार्किंग की सुविधा है. शॉपिंग करने आने वाले लोगों के लिए 5 वेंडर जोन होंगे. जहां लोग छोटे-छोटे बास्केट में सामान बेचेंगे. ये भी तय किया गया है कि इस इलाके में सिर्फ़ वेंडर जोन में ही दुकानें लगेंगी. CPWD ने इस पूरे इलाके में कुल 5 वेंडिंग जोन बनाए हैं जिनमें 40 विक्रेताओं को ही परमिशन दी जाएगी. लोग यहां आकर अलग अलग राज्यों के पकवान का मजा ले सकते हैं.

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद भवन का भी निर्माण तेजी से चल रहा है. नया संसद भवन बन जाने के बाद लोकसभा हॉल में 770 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी. राज्यसभा हॉल की क्षमता 384 सीटों की होगी. दोनों सदनों में डिजिटल इंटरफेस सिस्टम होंगे और बिजली की कम खपत होगी. नए भवन में देश की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान कक्ष, संसद सदस्यों के लिए एक विश्राम कक्ष, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थान होगा. ये भवन शीतकालीन सत्र तक बनना था, मगर उसे एक महीने और बढ़ा दिया गया है, जिसे दिसंबर तक पूरा किया जायेगा. नए संसद भवन में कश्मीर के प्रसिद्ध पारंपरिक कालीन भी बिछाए जायेंगे, जिसे कश्मीर के बडगाम में बनाया जा रहा है. महाराष्ट्र के सागवान की लकड़ी से बने फर्नीचर भी इस सांसद भवन में लगाए जायेंगे.

Central vista को केंद्र सरकार ने 2019 में प्रस्तावित और शुरू किया था. इस परियोजना में 10 बिल्डिंग ब्लॉक्स के साथ एक नई संसद, प्रधान मंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास का निर्माण एवं सभी सरकारी मंत्रालयों और विभागों को समायोजित करने की योजना है. सेन्ट्रल विस्टा की इस परियोजना में 3.2 किलोमीटर के हिस्से का पुनर्विकास करना शामिल है. जिसके तहत कई सरकारी भवनों को ध्वस्त करना और उनका पुनर्निर्माण करना भी है. इस प्रोजेक्ट का कुल अनुमानित खर्च 20,000 करोड़ रुपये हैं. नए संसद भवन के निर्माण पर करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है. साल 2024 तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का अनुमान है.

प्रोजेक्ट का काम केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय कर रहा है. इसके तहत इसके अंदर आनेवाले सभी मंत्रालयों और कार्यालयों को शिफ्ट किया जा रहा है, नए संसद भवन का काम नवम्बर तक पूरा होने की उम्मीद है. सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत नए संसद भवन के साथ साथ सांसदों के कार्यालयों का भी निर्माण होना है. सांसदों के दफ्तरों का निर्माण करने के लिए परिवहन भवन और श्रम शक्ति भवन को तोड़ कर नए भवन बनाए जायेंगे.

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