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शीतकाल के लिए आज बंद होंगे बाबा केदार के कपाट, भव्य रूप में सजाया गया मंदिर - उत्तराखंड की खबरें

चारधाम में शुमार प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट आज यानी 6 नवंबर को विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. मंदिर के मुख्य कपाट सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे. जिसके बाद बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली केदारनाथ से रवाना होगी.

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Published : Nov 5, 2021, 7:30 PM IST

Updated : Nov 6, 2021, 7:43 AM IST

रुद्रप्रयागः द्वादश ज्योर्तिलिंगों में शामिल भगवान केदारनाथ के कपाट भैयादूज पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. जिसे लेकर उत्तराखंड देवास्थानम बोर्ड की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई है. शनिवार को बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली केदारनाथ से रवाना होगी. जो विभिन्न पड़ावों से होते हुए रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी. वहीं, इस पल के साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालु धाम में मौजूद हैं.

हर साल विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का समय महाशिव रात्रि पर्व पर तय होता है. जबकि, मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि पौराणिक परंपरा अनुसार भैयादूज पर्व पर निर्धारित है. इस वर्ष भी भैयादूज पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए पौराणिक रीति रिवाजों के साथ बंद कर दिए जाएंगे.

शुक्रवार को भगवान पंचमुखी उत्सव डोली को मुख्य पुजारी के आवास से मंदिर परिसर लाया गया और डोली को भव्य तरीके से सजाया गया. कपाट बंद होने के बाद पंचमुखी डोली के साथ हजारों की संख्या में भक्त केदारपुरी से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए आगमन करेंगे और भगवान केदारनाथ के दर्शन शीतकाल में ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होंगे.

बता दें कि कपाट बंद होने से पहले मुख्य पुजारी बागेश लिंग की ओर से मंदिर के गर्भगृह में सुबह तीन बजे से विशेष पूजा-अर्चना शुरू की जाएगी. भगवान को भोग लगाने के बाद भक्तों को दर्शन कराए जाएंगे.

जिसके बाद भगवान को समाधि पूजा के बाद गभगृह के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. अंत में मंदिर के मुख्य कपाट सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे. कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली हिमालय से रवाना होकर लिनचौली, जंगलचट्टी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, सीतापुर यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी.

सात नवंबर को भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली रामपुर से रवाना होकर शेरसी, बड़ासू, मैखंडा, नारायणकोटी, नाला यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदि गुप्तकाशी पहुंचेगी और आठ नवंबर को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से रवाना होकर भैंसारी, विद्यापीठ, संसारी होते हुए दोपहर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी. वहीं, आगामी नौ नवंबर से भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में विधिवत शुरू होगी.

पढ़ें : PM ने किया अयोध्या, काशी और मथुरा का जिक्र, यूपी-उत्तराखंड चुनाव पर पड़ेगा कितना असर

रुद्रप्रयागः द्वादश ज्योर्तिलिंगों में शामिल भगवान केदारनाथ के कपाट भैयादूज पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. जिसे लेकर उत्तराखंड देवास्थानम बोर्ड की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई है. शनिवार को बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली केदारनाथ से रवाना होगी. जो विभिन्न पड़ावों से होते हुए रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी. वहीं, इस पल के साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालु धाम में मौजूद हैं.

हर साल विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का समय महाशिव रात्रि पर्व पर तय होता है. जबकि, मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि पौराणिक परंपरा अनुसार भैयादूज पर्व पर निर्धारित है. इस वर्ष भी भैयादूज पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए पौराणिक रीति रिवाजों के साथ बंद कर दिए जाएंगे.

शुक्रवार को भगवान पंचमुखी उत्सव डोली को मुख्य पुजारी के आवास से मंदिर परिसर लाया गया और डोली को भव्य तरीके से सजाया गया. कपाट बंद होने के बाद पंचमुखी डोली के साथ हजारों की संख्या में भक्त केदारपुरी से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए आगमन करेंगे और भगवान केदारनाथ के दर्शन शीतकाल में ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होंगे.

बता दें कि कपाट बंद होने से पहले मुख्य पुजारी बागेश लिंग की ओर से मंदिर के गर्भगृह में सुबह तीन बजे से विशेष पूजा-अर्चना शुरू की जाएगी. भगवान को भोग लगाने के बाद भक्तों को दर्शन कराए जाएंगे.

जिसके बाद भगवान को समाधि पूजा के बाद गभगृह के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. अंत में मंदिर के मुख्य कपाट सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे. कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली हिमालय से रवाना होकर लिनचौली, जंगलचट्टी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग, सीतापुर यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी.

सात नवंबर को भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली रामपुर से रवाना होकर शेरसी, बड़ासू, मैखंडा, नारायणकोटी, नाला यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मंदि गुप्तकाशी पहुंचेगी और आठ नवंबर को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से रवाना होकर भैंसारी, विद्यापीठ, संसारी होते हुए दोपहर को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी. वहीं, आगामी नौ नवंबर से भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में विधिवत शुरू होगी.

पढ़ें : PM ने किया अयोध्या, काशी और मथुरा का जिक्र, यूपी-उत्तराखंड चुनाव पर पड़ेगा कितना असर

Last Updated : Nov 6, 2021, 7:43 AM IST
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