बेंगलुरु : कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. भाजपा, कांग्रेस और जेडीएस यहां की मुख्य राजनीतिक पार्टियां हैं. इस समय राज्य में भाजपा की सरकार है. इसका नेतृत्व बसवराज बोम्मई कर रहे हैं. बोम्मई को बीएस येदियुरप्पा की जगह सीएम बनाया गया था. येदियुरप्पा को पार्टी ने त्यागपत्र देने का आदेश दिया था. बोम्मई सरकार पर विपक्षी पार्टियों ने कई आरोप लगाए हैं. उनमें से कई आरोप भ्रष्टाचार से जुड़े हैं. इसके बावजूद भाजपा ने जीत की उम्मीद जताई है.
कर्नाटक में विधानसभा की कुल 224 सीटें हैं. भाजपा ने 150 सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है. प्रचार की कमान खुद पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह संभाल रहे हैं. पार्टी ने राज्य में अपने सबसे लोकप्रिय नेता बीएस येदियुरप्पा से फ्रंट पर आने का आग्रह किया है. सार्वजनिक मंचों पर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी मौजूदगी जनमानस को प्रभावित करने के लिए है. दरअसल, येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं. लिंगायत समुदाय पारंपरिक रूप से भाजपा के प्रति सॉफ्ट नजरिया रखता है. बोम्मई सरकार के दौरान हिजाब को लेकर खूब विवाद हुए हैं. स्कूलों में हिजाब पहनाया जाए या नहीं, इस पर सरकार के स्टैंड के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया. इसी तरह से मुस्लिमों को मिलने वाले चार फीसदी आरक्षण को समाप्त करने का भी मुद्दा गर्माता जा रहा है.
भाजपा ने मुस्लिम आरक्षण समाप्त कर लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के लिए रिजर्वेशन का कोटा बढ़ाया है. उसे उम्मीद है कि इस फैसले से वह राजनीतिक सफलता की उम्मीद कर सकती है. लिंगायत समुदाय के ही भीतर पंचमसाली उप संप्रदाय है, इसने मांग की थी कि सरकार रिजर्वेशन पर फैसला करे, अन्यथा वे आंदोलन करेंगे. इसी तरह से वोक्कालिगा समुदाय में अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए पार्टी ने उरी गौड़ा और नानजे गौड़ा का नाम लिया था. पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा था कि इन दोनों नायकों ने ही टीपू सुल्तान की हत्या की थी. दोनों ही व्यक्ति वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं. हालांकि, बाद में विरोध बढ़ने पर पार्टी ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली. इसी तरह से बोम्मई सरकार ने 101 उपजातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर उन्हें रिजर्वेशन देना का भी ऐलान किया. राज्य में एससी के लिए 36 सीटें और एसटी के लिए 15 सीटें आरक्षित हैं. ऐसा माना जाता है कि जिस भी पार्टी को सबसे ज्यादा आरक्षित सीटें मिलती हैं, उसकी सरकार बनने की संभावना अधिक रहती है.
कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार हैं. शिवकुमार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. अहमद पटेल जब राज्यसभा का चुनाव लड़ रहे थे, तब उन्होंने अपने समर्थक विधायकों को डीके शिवकुमार के ही होटल में ठहराया था. उस समय यह चर्चा थी कि कांग्रेस के विधायकों में टूट हो सकती है. शिवकुमार ने ऐसा होने से रोक लिया और अहमद पटेल की जीत हुई थी. भाजपा ने इसे प्रतिष्ठा का विषय बनाया था, लेकिन बाजी कांग्रेस के हाथ आई थी. तब से डीके शिवकुमार का कद पार्टी के भीतर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. शिवकुमार ने कई मौकों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गोलबंद भी किया है. भाजपा सरकार ने जब मुस्लिमों के लिए आरक्षण समाप्त करने की घोषणा की तो शिवकुमार ने बढ़ चढ़कर इसका विरोध किया. उन्होंने एक साथ हिंदू और मुसलमान, दोनों को साधने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि आरक्षण की अनुशंसा किस आधार पर हुई है, किसी को पता नहीं, इसलिए भाजपा सरकार लिंगायत और वोक्कालिगा, दोनों समुदायों को बरगला रही है. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस सरकार बनती है, तो मुस्लिमों के लिए आरक्षण की फिर से बहाली होगी. हालांकि, कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया वरिष्ठ नेता हैं. आए दिनों सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच सीधे न सही, लेकिन तीखी नोकझोंक चलती रहती है. सार्वजनिक मंचों पर ये इसे जाहिर नहीं होने देते हैं. कांग्रेस ने यहां पर 124 उम्मीदवारों की घोषणा पहले ही कर रखी है. कांग्रेस के लिए कर्नाटक इसलिए भी प्रतिष्ठा का विषय है, क्योंकि पार्टी के अध्यक्ष मलिल्कार्जुन खड़गे यहीं से आते हैं. वह भी दलित समुदाय से हैं. कांग्रेस पार्टी ने भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
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#WATCH | Congress is ready for elections, we want this govt to be dismissed. The earlier this govt is dismissed, the better it is for the state & country. This election will be development-oriented & for a corruption-free state & country: Karnataka Congress chief DK Shivakumar pic.twitter.com/Rn6A53fCtE
— ANI (@ANI) March 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) March 29, 2023
भाजपा और कांग्रेस से इतर, जेडीएस भी मजबूती से चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है. पिछली बार जेडीएस किंगमेकर की भूमिका में थी. भाजपा को बहुमत नहीं मिला था, तब जेडीएस ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी बने थे. इस बार फिर से उन्होंने भाजपा और कांग्रेस, दोनों से समान दूरी बनाने की घोषणा की है. मैसूर इलाके में जेडीएस की लोकप्रियता बहुत अधिक है. वह किसानों के मुदद्दों पर ज्यादा मुखर रहे हैं.
कर्नाटक में देखा गया है कि जिस पार्टी को आरक्षित सीटों में से सबसे ज्यादा सीटें आती हैं, उसकी सरकार बनती रही है. कम से कम 2008 से यही ट्रेंड है. 2008 में भाजपा की सरकार बनी, उस समय पार्टी को 51 में से 29 सीटें मिली थीं. 2013 में कांग्रेस की सरकार बनी, तब कांग्रेस को 27 आरक्षित सीटें मिलीं. फिर 2018 में भाजपा को 23 सीटें मिलीं. सरकार भले ही कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर बना ली, लेकिन बहुत जल्द उनका गठबंधन टूट गया. फिर भाजपा सत्ता में आ गई. इस बार क्या होगा, यह तो देखने वाली बात होगी.
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