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Kargil Vijay Diwas 2023 : वीर जवानों की शहादत पर जो वादे हुए, वो आज तक अधूरे

कारगिल युद्ध में राजधानी पटना जिले के बिहटा के बहादुर सैनिक शहीद गणेश प्रसाद यादव ने देश की खातिर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. जब शहीद का पार्थिव उनके घर पहुंचा तो बिहार सरकार से लेकर प्रशासन, जनप्रतिनिधियों ने वादों की झड़ी लगा दी थी. लेकिन आज भी कई वादे पूरे नहीं हो सके हैं. पढ़ें पूरी खबर

शहीद गणेश प्रसाद यादव
शहीद गणेश प्रसाद यादव
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Published : Jul 26, 2023, 9:58 AM IST

Updated : Jul 26, 2023, 11:25 AM IST

कारगिल युद्ध में शहीद हुए गणेश यादव के गांव में नहीं हुआ विकास

पटना: हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. कारगिल युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों के बलिदान और शौर्य को याद किया जाता है. 3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999, लगभग 60 दिनों तक चले कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को तरह हराया था. इस युद्ध में बिहार रेजिमेंट के 18 वीर सैनिक शहीद हो गए थे.

ये भी पढ़ें- कारगिल विजय दिवस का जश्न मनाने के लिए कोहिमा से कारगिल तक मोटरसाइकिल अभियान शुरू करेगी भारतीय सेना

कारगिल विजय के 24 साल पूरे: आज कारगिल युद्ध के 24 साल पूरे हो गए हैं. 26 जुलाई 1999 को भारत को इस युद्ध में जीत मिली थी. इसी के उपलक्ष में हर साल विजय दिवस मनाया जाता है. बिहार के 18 लाल भी कारगिल वॉर में शहीद हुए थे. उन्हीं में से एक थे पटना जिले के बिहटा के पांडेचक गांव निवासी शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव.

शहीद के परिवार को भूल गई सरकार: आज जब देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है तो शहीदों के परिजनों के आंखों से आंसू छलक उठे हैं, लेकिन शहीद गणेश के बूढ़े माता-पिता को इस बात का मलाल है कि जिस बेटे ने देश के लिए प्राणों की आहुति दे दी, उसी के परिवार को सरकार भूल गई है. शहीद गणेश प्रसाद के परिवार से सरकार की तरफ से किए गए तमाम वादे आज भी अधूरे हैं.

शहीद गणेश प्रसाद यादव माता पिता
शहीद गणेश प्रसाद यादव माता पिता

कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे गणेश यादव: बता दें कि कारगिल युद्ध के दौरान 29 मई 1999 को बटालिक सेक्टर से प्वाइंट 4268 पर चार्ली कंपनी की अगुआई कर रहे नायक गणेश प्रसाद यादव शहीद हो गए थे. देश की सुरक्षा चक्र में कारगिल युद्ध को भूला नहीं जा सकता है. जहां हमारे देश की रक्षा के लिए 527 जवानों ने शहादत दी थी. इसी दिन को लेकर पूरा देश विजय दिवस मनाता है. इस अवसर पर कारगिल शहीदों को याद किया जाता है.

गणेश की बचपन से ही थी सेना में जाने की इच्छा: 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल से खदेड़ कर 'ऑपरेशन विजय' को पूर्ण किया था. बता दें कि 30 जनवरी 1971 को बिहटा के पाण्डेयचक गांव निवासी रामदेव यादव और बचिया देवी के घर गणेश यादव का जन्म हुआ था. गणेश प्रसाद यादव बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे. मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद ही सेना में भर्ती हुए थे.

कारगिल युद्ध में शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव की तस्वीर
कारगिल युद्ध में शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव की तस्वीर

बेटे को याद कर गर्व करते हैं माता-पिता: नायक गणेश यादव की शादी 1994 में पुष्पा राय से हुई थी. शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए. इनके नाम अभिषेक और ज्योति हैं. अभिषेक सैनिक स्कूल से ग्रेजुएशन कर चुका है और बेटी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है. कारगिल दिवस जब भी आता है, उनकी शहादत की घटना को याद कर पत्नी पुष्पा देवी, पिता रामदेव यादव और माता बचिया देवी का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जाता है.

शहीद का अंतिम दर्शन करने गांव पहुंचे थे लालू-राबड़ी: 24 साल पहले शहीद के अंतिम दर्शन के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू यादव भी गांव पहुंचे थे. गांव की बदहाली को देखते हुए उन्होंने घोषणाओं की झड़ी लगा दी थी. इनमें शहीद के नाम पर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क, अस्पताल और स्कूल सबसे अहम था. इससे पूरे क्षेत्र के लोग भी सरकार से प्रभावित और उत्साहित हुए थे.

पांडेचक गांव में बना सामूदायिक भवन की हालत जर्जर
पांडेचक गांव में बना सामूदायिक भवन की हालत जर्जर

सरकार के किए कई वादे अब भी अधूरे: सरकार ने अपने खर्चे से स्कूल का भवन बना दिया. लेकिन आज तक उसे प्राथमिक विद्यालय का दर्जा नहीं मिला. अब भी उसमें एक शिक्षक का इंतजार है. इधर बेटे के शहीद होने पर शहीद की मां बचिया देवी बताती हैं कि अपने बेटे को खोने का गम तो बहुत है लेकिन गर्व भी है. 24 साल बीतने के बाद भी उसकी यादें आज भी हमारे सीने में दफन है. राज्य सरकार के तरफ से जो वादे किए गए थे, उसे अभी तक सरकार पूरा नहीं की है.

"कुछ वादे तो केंद्र सरकार की तरफ से पूरा किया गया, लेकिन राज्य सरकार के तरफ से किए गए वादे अभी भी अधूरे हैं. यहां तक कि सरकारी लाभ भी हमें ठीक से नहीं मिल पाया है. पेंशन मिल रहा है लेकिन अब उसमें से भी पैसा कट रहा है और नई पेंशन नीति के तहत हमारा पेंशन नहीं बढ़ा. इंदिरा आवास हो या राशन कार्ड हो, इन सभी योजनाओं से हम वंचित हैं."- बचिया देवी, शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव की मां

शहीद गणेश प्रसाद का गांव
शहीद गणेश प्रसाद का गांव

"जब गांव का लाल गणेश यादव अपने देश के लिए जान न्योछावर किया तो उस समय खुद बिहार के मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव गांव में पहुंचकर शहीद के परिवार से कई वादे किए थे. लेकिन आज भी वो वादे अधूरे हैं. न सही से सड़क बनी और न ही विद्यालय और न ही समुदायिक भवन सही से चालू हो सका. आज भी सामुदायिक भवन और गांव का विद्यालय खंडहर में तब्दील है."- राजदेव यादव, ग्रामीण

शहीद के परिवार को नहीं मिली मदद: शहीद के पिता रामदेव यादव बताते हैं कि आज 24 साल कारगिल युद्ध का पूरा हुआ, लेकिन 24 साल के बाद भी सरकार के कई वादे अभी भी अधूरे रह गए. पहले तो बड़ा बेटा देश के लिए शहीद हुआ. उसके बाद छोटा बेटा प्रकृति की गोद में समा गया. कुछ साल पूर्व सोन नदी में डूबने से उसकी भी मौत हो गई. लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिल पाया.

"गांव में तत्कालीन प्रदेश के मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव ने शहीद गणेश यादव के नाम पर सड़क, अस्पताल, विद्यालय और समुदायिक भवन बनाने का वादा किया था. सामुदायिक भवन और विद्यालय का भवन बनकर तैयार है. इसके बावजूद भी उसमें कोई व्यवस्था अभी तक सुचारू रूप से चालू नहीं हो सकी है."- रामदेव यादव, शहीद गणेश प्रसाद यादव के पिता

कारगिल युद्ध में शहीद हुए गणेश यादव के गांव में नहीं हुआ विकास

पटना: हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. कारगिल युद्ध में शहीद भारतीय सैनिकों के बलिदान और शौर्य को याद किया जाता है. 3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999, लगभग 60 दिनों तक चले कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को तरह हराया था. इस युद्ध में बिहार रेजिमेंट के 18 वीर सैनिक शहीद हो गए थे.

ये भी पढ़ें- कारगिल विजय दिवस का जश्न मनाने के लिए कोहिमा से कारगिल तक मोटरसाइकिल अभियान शुरू करेगी भारतीय सेना

कारगिल विजय के 24 साल पूरे: आज कारगिल युद्ध के 24 साल पूरे हो गए हैं. 26 जुलाई 1999 को भारत को इस युद्ध में जीत मिली थी. इसी के उपलक्ष में हर साल विजय दिवस मनाया जाता है. बिहार के 18 लाल भी कारगिल वॉर में शहीद हुए थे. उन्हीं में से एक थे पटना जिले के बिहटा के पांडेचक गांव निवासी शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव.

शहीद के परिवार को भूल गई सरकार: आज जब देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है तो शहीदों के परिजनों के आंखों से आंसू छलक उठे हैं, लेकिन शहीद गणेश के बूढ़े माता-पिता को इस बात का मलाल है कि जिस बेटे ने देश के लिए प्राणों की आहुति दे दी, उसी के परिवार को सरकार भूल गई है. शहीद गणेश प्रसाद के परिवार से सरकार की तरफ से किए गए तमाम वादे आज भी अधूरे हैं.

शहीद गणेश प्रसाद यादव माता पिता
शहीद गणेश प्रसाद यादव माता पिता

कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे गणेश यादव: बता दें कि कारगिल युद्ध के दौरान 29 मई 1999 को बटालिक सेक्टर से प्वाइंट 4268 पर चार्ली कंपनी की अगुआई कर रहे नायक गणेश प्रसाद यादव शहीद हो गए थे. देश की सुरक्षा चक्र में कारगिल युद्ध को भूला नहीं जा सकता है. जहां हमारे देश की रक्षा के लिए 527 जवानों ने शहादत दी थी. इसी दिन को लेकर पूरा देश विजय दिवस मनाता है. इस अवसर पर कारगिल शहीदों को याद किया जाता है.

गणेश की बचपन से ही थी सेना में जाने की इच्छा: 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल से खदेड़ कर 'ऑपरेशन विजय' को पूर्ण किया था. बता दें कि 30 जनवरी 1971 को बिहटा के पाण्डेयचक गांव निवासी रामदेव यादव और बचिया देवी के घर गणेश यादव का जन्म हुआ था. गणेश प्रसाद यादव बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे. मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद ही सेना में भर्ती हुए थे.

कारगिल युद्ध में शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव की तस्वीर
कारगिल युद्ध में शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव की तस्वीर

बेटे को याद कर गर्व करते हैं माता-पिता: नायक गणेश यादव की शादी 1994 में पुष्पा राय से हुई थी. शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए. इनके नाम अभिषेक और ज्योति हैं. अभिषेक सैनिक स्कूल से ग्रेजुएशन कर चुका है और बेटी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है. कारगिल दिवस जब भी आता है, उनकी शहादत की घटना को याद कर पत्नी पुष्पा देवी, पिता रामदेव यादव और माता बचिया देवी का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जाता है.

शहीद का अंतिम दर्शन करने गांव पहुंचे थे लालू-राबड़ी: 24 साल पहले शहीद के अंतिम दर्शन के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू यादव भी गांव पहुंचे थे. गांव की बदहाली को देखते हुए उन्होंने घोषणाओं की झड़ी लगा दी थी. इनमें शहीद के नाम पर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क, अस्पताल और स्कूल सबसे अहम था. इससे पूरे क्षेत्र के लोग भी सरकार से प्रभावित और उत्साहित हुए थे.

पांडेचक गांव में बना सामूदायिक भवन की हालत जर्जर
पांडेचक गांव में बना सामूदायिक भवन की हालत जर्जर

सरकार के किए कई वादे अब भी अधूरे: सरकार ने अपने खर्चे से स्कूल का भवन बना दिया. लेकिन आज तक उसे प्राथमिक विद्यालय का दर्जा नहीं मिला. अब भी उसमें एक शिक्षक का इंतजार है. इधर बेटे के शहीद होने पर शहीद की मां बचिया देवी बताती हैं कि अपने बेटे को खोने का गम तो बहुत है लेकिन गर्व भी है. 24 साल बीतने के बाद भी उसकी यादें आज भी हमारे सीने में दफन है. राज्य सरकार के तरफ से जो वादे किए गए थे, उसे अभी तक सरकार पूरा नहीं की है.

"कुछ वादे तो केंद्र सरकार की तरफ से पूरा किया गया, लेकिन राज्य सरकार के तरफ से किए गए वादे अभी भी अधूरे हैं. यहां तक कि सरकारी लाभ भी हमें ठीक से नहीं मिल पाया है. पेंशन मिल रहा है लेकिन अब उसमें से भी पैसा कट रहा है और नई पेंशन नीति के तहत हमारा पेंशन नहीं बढ़ा. इंदिरा आवास हो या राशन कार्ड हो, इन सभी योजनाओं से हम वंचित हैं."- बचिया देवी, शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव की मां

शहीद गणेश प्रसाद का गांव
शहीद गणेश प्रसाद का गांव

"जब गांव का लाल गणेश यादव अपने देश के लिए जान न्योछावर किया तो उस समय खुद बिहार के मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव गांव में पहुंचकर शहीद के परिवार से कई वादे किए थे. लेकिन आज भी वो वादे अधूरे हैं. न सही से सड़क बनी और न ही विद्यालय और न ही समुदायिक भवन सही से चालू हो सका. आज भी सामुदायिक भवन और गांव का विद्यालय खंडहर में तब्दील है."- राजदेव यादव, ग्रामीण

शहीद के परिवार को नहीं मिली मदद: शहीद के पिता रामदेव यादव बताते हैं कि आज 24 साल कारगिल युद्ध का पूरा हुआ, लेकिन 24 साल के बाद भी सरकार के कई वादे अभी भी अधूरे रह गए. पहले तो बड़ा बेटा देश के लिए शहीद हुआ. उसके बाद छोटा बेटा प्रकृति की गोद में समा गया. कुछ साल पूर्व सोन नदी में डूबने से उसकी भी मौत हो गई. लेकिन सरकार की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिल पाया.

"गांव में तत्कालीन प्रदेश के मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव ने शहीद गणेश यादव के नाम पर सड़क, अस्पताल, विद्यालय और समुदायिक भवन बनाने का वादा किया था. सामुदायिक भवन और विद्यालय का भवन बनकर तैयार है. इसके बावजूद भी उसमें कोई व्यवस्था अभी तक सुचारू रूप से चालू नहीं हो सकी है."- रामदेव यादव, शहीद गणेश प्रसाद यादव के पिता

Last Updated : Jul 26, 2023, 11:25 AM IST
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