नई दिल्ली : प्रसार भारती के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और टीएमसी नेता जवाहर सरकार ने बुधवार को राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली.
सरकार ने बांग्ला भाषा में शपथ ली. सदस्यों ने मेजें थपथपाकर उनका स्वागत किया. उन्होंने सदस्यों के रजिस्टर में हस्ताक्षर किए. सभापति एम वेंकैया नायडू ने भी सरकार के राज्य सभा सदस्य बनने पर उनका स्वागत किया.
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में तृणमूल सांसद दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफे के बाद पश्चिम बंगाल से राज्य सभा की एक सीट खाली हुई थी. त्रिवेदी बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे.
पश्चिम बंगाल की राज्यसभा सीट के लिए उपचुनाव 9 अगस्त को निर्धारित था, लेकिन भाजपा ने इस सीट पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला लिया था.
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कोलकाता की एशियाटिक सोसाइटी (1774 में स्थापित) ने इतिहास और राजनीति के अध्ययन को लोकप्रिय बनाने में उनके योगदान के लिए उन्हें अपना विमान बिहारी मेमोरियल अवार्ड प्रदान किया है.
लोक प्रशासन में भी सरकार का शानदार करियर रहा है. उन्होंने नवंबर 2008 से फरवरी 2012 तक भारत के संस्कृति मंत्रालय का नेतृत्व किया है, जो किसी भी सचिव के लिए सबसे लंबा है. वह भारत के सार्वजनिक प्रसारक, (2012-2016) के सीईओ थे और पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए खड़े हुए थे, जिसके कारण उन्हें समय से पहले इस्तीफा देना पड़ा.
जवाहर सरकार को नामित किए जाने को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने एक ट्वीट में कहा था, '..सरकार ने लगभग 42 साल सार्वजनिक सेवा में बिताए और प्रसार भारती के पूर्व सीईओ भी थे. सार्वजनिक सेवा में उनका अमूल्य योगदान हमें अपने देश की और भी बेहतर सेवा करने में मदद करेगा.'
सरकार का नामांकन आश्चर्यजनक घटनाक्रम के अलावा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. माना जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस उनकी बुद्धि और उनके 41 साल के नौकरशाही का उपयोग उच्च सदन में करने की कोशिश करेगी. सरकार केंद्र की भाजपा नीत सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं.
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बता दें कि जवाहर सरकार को तृणमूल कांग्रेस ने गत 24 जुलाई को राज्यसभा के लिए नामित किया था. सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं.
सरकार ने कलकत्ता, प्रेसीडेंसी, कैम्ब्रिज और ससेक्स के विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया और इतिहास और समाजशास्त्र में दो मास्टर्स डिग्री प्राप्त की.
सरकार ने कई वर्षों तक पुस्तकों में सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और मानवशास्त्रीय विषयों पर कई लेख प्रकाशित किए हैं, साथ ही प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में भी उन्होंने लिखा है. उन्होंने इतिहास, धर्म, समकालीन मामलों और धर्म और नृविज्ञान के बीच के अंतर के विषयों पर कई वार्ताएं भी की हैं.