जालोर. राजस्थान के जालोर जिले में दलित बच्चे की मौत के बाद मचा बवाल रविवार को थम गया. जिले के सुराणा गांव में एक निजी स्कूल संचालक द्वारा छात्र इंद्र कुमार के साथ मारपीट करने के बाद उपचार के दौरान छात्र की मौत हो गई थी. इस मामले में रविवार को दिनभर हंगामा होता रहा. वहीं, देर शाम को 9 लाख रुपये की सहायता राशि के साथ प्रशासन व परिजनों के बीच सहमति बनने के बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
दरअसल, रविवार दोपहर को शव अहमदाबाद से सुराणा गांव पहुंचा था. जिसके बाद मौके पर हजारों की तादाद में लोग एकत्रित हो गए. वहीं, परिजनों ने भी 50 लाख का मुआवजा, एक सदस्य को सरकारी नौकरी, स्कूल की मान्यता रद्द करने व जिला शिक्षा अधिकारी को हटाने की मांग रखी. दिनभर चले गतिरोध के चलते एक बार माहौल गरमा गया. हंगामा के चलते पुलिस ने एक बार तो आंदोलन कर रहे लोगों पर लाठियां भांजी. वहीं, इस पूरे गतिरोध को शांत करने के लिए एडिशनल एसपी सुनील के पंवार व डीवाईएसपी मांगी लाल राठौड़ को जिम्मेदारी दी गई.
इस दरम्यान जालोर के पूर्व विधायक रामलाल मेघवाल भी मौके पर पहुंचे और परिजनों से समझाइश शुरू की. परिजनों से वार्ता कर 9 लाख के मुआवजे का चेक सुपुर्द किया गया. वहीं, जालोर एसपी हर्षवर्धन अग्रवाला ने बताया कि केस ऑफिसर स्कीम के तहत मामले की सुनवाई करके चालान पेश करने पर 4 लाख की मुआवजा राशि और देने की बात पर सहमति बनी है. इसके अलावा राज्य स्तर की मांगों को लेकर राज्य सरकार को लिखने की बात कही गई. जिसके बाद देर शाम को शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
कलेक्टर व एसपी ने किया कैंप : इस पूरे घटनाक्रम को लेकर हंगामे के आसार शनिवार की देर शाम से प्रशासन को हो गए थे. जिसके बाद कलेक्टर ने नेटबंदी लागू कर दी. वहीं, सुराणा के नजदीक जीवाणा गांव में कलेक्टर निशांत जैन व एसपी हर्षवर्धन अग्रवाला ने कैंप करके पूरे मामले पर नजर बनाए रखी.
राहुल गांधी ने भी जताया दुख : जालोर की घटना पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी दुख जताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'जालोर में निर्दयी शिक्षक द्वारा एक मासूम दलित बच्चे को बुरी तरह पीटे जाने के बाद उसकी मृत्यु की घटना बेहद दुःखद है. मैं इस क्रूर कृत्य की भर्त्सना करता हूं. पीड़ित परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं. आरोपी कठोर धाराओं के तहत गिरफ्तार हो चुका है. उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए'.
कब क्या हुआ ? : दरअसल, जिले के सायला उपखंड क्षेत्र के सुराणा गांव में एक दलित बच्चे की निजी स्कूल में पिटाई के बाद मौत होने के बाद मामला गरमा गया (Jalore Dalit Student death Case). आनन फानन में शनिवार देर रात को जिला कलेक्टर ने जिलेभर में नेटबंदी का आदेश जारी कर दिया. वहीं, मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके बच्चे के परिजनों को मुआवजा देने के साथ केस ऑफिसर स्कीम के तहत न्याय दिलाने की बात कही (CM Tweets On Jalore Case). जानकारी के अनुसार तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले मासूम को मटके से पानी पीने की सजा के तौर पर पीटा गया था.
बच्चे की स्कूल संचालक छैल सिंह ने पिटाई की थी. जिसके बाद से ही बच्चा अस्पताल में भर्ती था और शनिवार को अहमदाबाद के अस्पताल में उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई. सोशल मीडिया में बच्चे के पिता ने न्याय दिलाने की मांग की. वीडियो वायरल होने के साथ ही प्रशासन हरकत में आया और मामले की संवेदनशीलता को भांपते हुए इंटरनेट सेवा प्रतिबंधित कर दी. जिला प्रशासन ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर जिलेभर में नेटबंदी का देर रात को आदेश जारी कर दिया.
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शिक्षा विभाग ने जांच के लिए गठित की कमेटी : बच्चा सुराणा गांव के ही सरस्वती विद्या मंदिर में पढ़ता था. इस मामले के बाद मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की ओर से जांच कमेटी बनाई गई है. आदेश में बताया कि सरस्वती विद्या मंदिर सुराणा में एक बच्चे की पिटाई का मामला सामने आया. जिसके बाद पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (PEEO) अशोक कुमार दवे और प्रतापराम को जांच सौंपी गई.
विकृत मानसिकता बर्दाश्त नहीं-खाचरियावास : प्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Pratap Singh Khachariyawas) ने भी जालोर के सुराणा गांव में हुई घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है. अध्यापक की पिटाई से दलित छात्र की मौत के मामले में प्रताप सिंह ने कहा कि इस तरह की विकृत मानसिकता को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है. ऐसी विकृति को फैलने से रोकने के लिए इन लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की दरकार है. उन्होंने कहा कि किसी भी अध्यापक को यह अधिकार नहीं है कि वह मारपीट करे. राजस्थान में गुड गर्वनेंस है. सरकार कार्रवाई करेगी.
स्कूल संचालक की दबंगई : बच्चे के चाचा किशोर मेघवाल ने बताया की घटना के दिन 20 जुलाई को इंद्र को मेडिकल पर से दवाई दिलाई थी. तब हमे चोट की गंभीरता का अंदाजा नहीं था, दर्द बढ़ता गया तो दो दिन बाद बागोड़ा, भीनमाल गए वहां ठीक से उपचार नहीं होने पर डीसा गए. जंहा डॉक्टर ने एमआरआई की, तो कान के नीचे नस में गहरी चोट बताई गई. जिसके बाद स्कूल संचालक छैल सिंह ने गांव में दबाव बनाकर मात्र डेढ़ लाख रुपए में समझौता करवाया. अब बच्चे की मौत के बाद मामला दर्ज करके आरोपी को गिरफ्तार किया गया है.
केस ऑफीसर्स स्कीम क्या ? : पुलिस विभाग में इस स्कीम के तहत उन प्रकरणों का चयन किया जाता है जो गंभीर प्रकृति हों, जघन्य अपराध हों. इसमें एक केस ऑफिसर नियुक्त किया जाता है, जिसका कार्य उच्च अधिकारियों के निर्देश पर प्रकरण को सफल बनाना यानी आरोपी को सजा दिलवाना होता है. सीएम गहलोत ने इसकी ही बात की है.