पटना: फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल (Phulwari Sharif Terror Module) मामले में गिरफ्तार संदिग्ध मोहम्मद जलालुद्दीन (Mohammad Jalaluddin) और नूरुद्दीन जंगी (Nooruddin Jangi) की कुल 48 घंटों की रिमांड अवधि अब खत्म हो गई है. पटना के गर्दनीबाग स्थित SC-ST थाने में कुल 48 घंटे के रिमांड के दौरान पटना पुलिस और एनआईए की टीम के सामने दोनों संदिग्धों ने कई राज खोले हैं.
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दोनों संदिग्धों की 48 घंटे की रिमांड खत्म: दरअसल पटना के फुलवारी इलाके के आतंकी मॉड्यूल माने जाने वाले मोहम्मद जलालुद्दीन और नूरुद्दीन जंगी की रिमांड अवधि के दौरान पटना के SC-ST थाने में एनआईए की टीम ने भी दोनों से कड़ी पूछताछ की है. थाने में मौजूद पुलिस कप्तान आलाधिकारियों के सामने PFI (Popular Front of India) से जुड़े हुए कई सवाल इन दोनों संदिग्धों से किए गए.
जलालुद्दीन ने कबूला PFI से नजदीकी की बात: मिल रही जानकारी के अनुसार पूछताछ के दौरान मोहम्मद जलालुद्दीन PFI से किसी भी तरह से संबंध या संपर्क की बात से इनकार करता रहा. इसके बाद जांच एजेंसी ने अतरह परवेज और अरमान मलिक से की गई पूछताछ का ऑडियो और वीडियो दिखाया तो मोहम्मद जलालुद्दीन के पसीने छूट गए. उसने पीएफआई से न केवल नजदीकी की बात स्वीकार की बल्कि अन्य प्रदेशों से आने वाले ट्रेनर को ठहराने की जिम्मेदारी संभालने की भी बात कही. पूछताछ के दौरान कई सवालों पर मोहम्मद जलालुद्दीन और नुरुद्दीन जंगी के पसीने छूटे.
वीडियो देख छूटे पसीने: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पटना पुलिस और एनआईए के अधिकारियों ने दोनों संदिग्धों से पूछा कि कर्नाटक, असम, तमिलनाडु और केरल समेत दूसरे राज्यों से जो लोग पटना आते थे उनकी भूमिका संदिग्ध होने के बाद भी पुलिस को इसकी सूचना क्यों नहीं दी जाती थी? वहीं नूरुद्दीन जंगी ने आला अधिकारियों को बताया कि वह पेशे से एडवोकेट है और इस सिलसिले में उसका अक्सर लखनऊ दिल्ली आना जाना होता रहता था. गौरतलब है की रविवार को जलालुदीन और नुरुद्दीन जंगी से कुल 5 राउंड की पूछताछ की गई थी. जब अतहर परवेज और अरमान मलिक के रिकॉर्ड किए गए बयान का वीडियो सुनाया गया तो थोड़ी देर के लिए जलालुद्दीन स्तब्ध रह गया और पसीना पसीना होने लगा. उसके बाद उसने PFI से अपनी नजदीकी की बात मानी और इसके बाद ही वो पूछे गए सवालों का जवाब देने लगा.
स्लीपर सेल से जुड़े दोनों संदिग्धों के तार: हालांकि पूछताछ के दौरान इन दोनों संदिग्धों के तार स्लीपर सेल से जुड़े होने के पुख्ता सबूत संबंधित जांच अधिकारी को मिले हैं और इन दोनों के 48 घंटे के रिमांड अवधि के पूरे हो जाने के बाद इन दोनों को फिलहाल न्यायिक हिरासत में भेजने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है . वहीं इस पूरे मामले पर पटना पुलिस के आला अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज करते नजर आ रहे हैं.
कौन है जलालुद्दीन: आतंकी गतिविधियो में शामिल होने के आरोप में बिहार के पटना से गिरफ्तार रिटायर्ड दारोगा मो. जलालुद्दीन खान ने 39 सालों तक बिहार-झारखंड पुलिस में नौकरी की थी. झारखंड पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार मो. जलालुद्दीन की बहाली 22 जनवरी 1982 को पटना में बतौर आरक्षी हुई थी. वह झारखंड के हजारीबाग और गिरिडीह जैसे जिलो में विभिन्न थानों में रहा था. जानकारी के अनुसार बहाली के बाद दस सालों तक जलालुद्दीन पटना में ही पदस्थापित रहा. 1992 में पटना से आरक्षी के पद पर ही मो. जलालुद्दीन खान का तबादला झारखंड के गोड्डा जिले में हो गया. तब से लगातार वह झारखंड के अलग-अलग इलाकों में ही रहा. 30 अप्रैल 2021 को वह गिरिडीह जिले से रिटायर हुआ. रिटायरमेंट के ठीक पहले तक जलालुद्दीन की पोस्टिंग गिरिडीह के नक्सल प्रभाव वाले भेलवाघाटी थाना में दरोगा के पद पर रही थी.