गया : गया आर्मी प्रशिक्षण केंद्र के लिए शनिवार का दिन सैन्य इतिहास के लिए बड़ा दिन रहा. गया ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी से इस दिन देश को 121 नए सैन्य अधिकारी मिले हैं. वहीं सात सैन्य अधिकारी मित्र देशों को भी मिले, जिसमें भूटान के पांच और वियतनाम के दो शामिल हैं. इस तरह गया ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी से पासिंग आउट परेड के बाद 128 नए सैन्य अधिकारी मिले. पासिंग आउट परेड की सबसे खास पल उस बेटे के लिए था जिसको याद करके मां का कंठ भर आया. क्योंकि जिस रेजीमेंट में पिता शहीद हुए थे उसी रेजीमेंट में उनका बेटा 'कुशाग्र' अफसर बने. इस उपलब्धि पर परिवार वाले खुश हैं.
जिस रेजीमेंट में पिता हुए थे शहीद उसी में बेटा बना अफसर : ऑफिसर बने कुशाग्र यूपी के कुशीनगर के रहने वाले हैं. वे महज 3 साल के थे, जब उनके पिता मेजर अमित कुमार त्रिपाठी शहीद हो गए थे. जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में 2004 में ऑपरेशन लक्ष्य में शहीद हो गए थे. तब 3 साल के मासूम कुशाग्र त्रिपाठी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी थी, लेकिन यह संयोग नहीं बल्कि भारतीय सेना की शौर्य गाथा की एक मिसाल है, कि आज वही कुशाग्र त्रिपाठी भारतीय सेना में अधिकारी बने हैं. उनकी पोस्टिंग उसी सिख रेजीमेंट में हुई है, जिसमें उनके पिता ऑपरेशन लक्ष्य में 2004 में शहीद हो गए थे.
'मां के दृढ़ निश्चय से बना अफसर' : कुशाग्र त्रिपाठी ने बताया कि वह कुशीनगर के रहने वाले हैं. उनके पिता शहीद मेजर अमित त्रिपाठी सिख रेजीमेंट में थे, पिता के शहीद हो जाने पर उनके परिवार की भी दृढ़ इच्छा थी कि उनका बेटा भी भारतीय सेना में अफसर बने. वहीं दूसरी ओर मां रंजना त्रिपाठी का इस कदर सपोर्ट मिला कि इस अपने पिता की रेजीमेंट में ही कुशाग्र त्रिपाठी अफसर बन गए.
''कुशाग्र महज 3 साल का था, जब उसे गोद में लेकर अपने भाई अमित कुमार त्रिपाठी को मुखाग्नि दिलवाई थी. किंतु इसके बाद भी हमारे हौसले नहीं टूटे. सिख रेजीमेंट का रेजिमेंटल डे जब भी होता था. हम लोग पूरे परिवार और बचपन से ही कुशाग्र को एवं उसकी मां को लेकर जाते थे. पिता अमित त्रिपाठी की इच्छा थी, कि बेटा अफसर बने और फौज में जाए. मां के दृढ़ निश्चय से इस मुकाम पर पहुंचा है. इसकी पूरे परिवार को खुशी है.''- अजय कुमार त्रिपाठी, कुशाग्र के चाचा
छलक आए खुशी के आंसू : यह दृश्य रोमांचित करने वाला था. हर अभिभावक को अपने अफसर बेटे पर नाज हो रहा था. भारतीय नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार ने जांबाज अफसरों को बैज लगाकर उनका उत्साह बढ़ाया. वहीं कई अभिभावकों ने भी अपने अफसर बेटों को बैज लगाए. इस तरह पिपिंग समारोह में अभिभावको की खुशी देखते ही बन रही थी. वही अफसर बने लाडलों के हौसले उफान पर दिख रहे थे.
84 लाख की नौकरी छोड़कर ज्वाइन की थी आर्मी : वहीं, हरियाणा के जितेश कुमार यादव भी पासिंग आउट परेड के बाद सैन्य अफसर बने हैं. उनके भाई भी 84 लाख की नौकरी छोड़कर सैन्य अफसर बने थे. वह माइक्रोसॉफ्ट इंजीनियर थे. भाई के 84 लाख की नौकरी छोड़कर फौज में आने के बाद उनके भाई जितेश कुमार यादव भी अब पासिंग आउट परेड के बाद ऑफिसर बने हैं.
यूपी के वेंकट शिवपुरी बने गोल्ड मेडलिस्ट : वहीं, यूपी के वेंकट सिमरी गोल्ड मेडलिस्ट बने हैं. इन्होंने बताया कि उनके ''पिता मेरठ में पोस्टेड है. कहा कि इंसान को हमेशा मेहनत करते रहना चाहिए. मुकाम पर निश्चित पहुंचेंगे. कभी भी लक्ष्य को मत भूलिए. गोल्ड मेडलिस्ट शोर्ड आफ ऑनर उन्हें मिला है. मेरी पोस्टिंग गोरखा राइफल में हुई है.''
फौज नौकरी नहीं जीने का तरीका है : बिहार के भी कई जांबाज गया ओटीए में पासिंग आउट परेड के बाद सेना में ऑफिसर बने हैं. छपरा के गौरव ओझा बताते हैं, कि ''मेरे दादा भी फौज में थे. काफी सपोर्ट किया. वह बिहार के लोगों से कहेंगे कि फौज नौकरी नहीं जीने का तरीका है.'' वहीं, अफसर बने बिहार के भोजपुर के रहने वाले रंजन कुमार पाठक ने कहा कि वे चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा बिहारी युवा फौज में जाएं. इसी प्रकार आशुतोष कुमार भी ऑफिसर बने हैं और वह कहते हैं कि हौसलों से सब कुछ पाया जा सकता है.
शिखर तीसरे प्रयास में बने ऑफिसर : जम्मू कश्मीर के शिखर चौधरी तीसरे प्रयास में ऑफिसर बने. यह उनके हौसले की उड़ान थी, कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य को पूरा किया. शिखर चौधरी बताते हैं कि उनके ''पिता रिटायर सूबेदार हैं. वह खुद सेना में अफसर बनना चाहते थे, लेकिन उनके लिए मुश्किलें कम नहीं हो रही थी. दो बार कमर घुटने में तकलीफें हुई. मेडिकली अनफिट कर बाहर किया जा रहा था, लेकिन मैं प्रयास जारी रखा और अपने मुकाम को हासिल कर लिया और अब अफसर बना हूं.'' शिखर की मां गीता चौधरी ने कहा कि मेरा बेटा ने मुश्किलों से सामना किया और अफसर बना है. इसकी काफी खुशी हो रही है और मेरी आंखें खुशी से छलक आई है.
'2047 तक रक्षा के क्षेत्र में हो जाएंगे आत्मनिर्भर' : पासिंग आउट परेड के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार थे. वहीं इस मौके पर पी मिन्हास ओटीए कमांडेंट भी मौजूद थे. पासिंग आउट परेड समारोह को संबोधित करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि वह पीओपी के बाद बने सैन्य अफसरों को बधाई देते हैं. उनका मानना है कि रक्षा के क्षेत्र में भारत 2047 तक आत्मनिर्भर हो जाएगा. वहीं, कदम कदम बढ़ाए जा गीत के साथ पासिंग आउट परेड में संपन्न हो गया.
24 वां पासिंग आउट परेड संपन्न : गया ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) में 24 वां पासिंग आउट परेड आयोजित हुआ. पासिंग आउट परेड के मुख्य अतिथि नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार थे, जिन्होंने पासिंग आउट परेड की सलामी ली. देश को 121 नए सैन्य अधिकारी शनिवार को मिले. इसमें बिहार के तीन है. वही सबसे अधिक यूपी के 27 है. जानकारी के अनुसार देश को मिलने वाले 121 नए सैन्य अधिकारियों में बिहार के तीन, असम के दो, दिल्ली के छह, हरियाणा के 10, हिमाचल प्रदेश के 6, कर्नाटक के दो, केरल के चार मध्य प्रदेश के 6, महाराष्ट्र के चार, पंजाब के पांच, राजस्थान के नौ, तेलंगाना के एक, उत्तर प्रदेश के 27 और झारखंड के 13 शामिल हैं.
भारत के मित्र देशों को 7 नए सैन्य अधिकारी मिले :भारत के मित्र देशों को भी सात नए सैन्य अधिकारी मिले. भारत के मित्र देशों में भूटान, वियतनाम समेत अन्य शामिल है. फिलहाल में शनिवार को हुए पासिंग आउट परेड में भूटान के पांच और वियतनाम के दो जेंटलमैन कैडेट सैन्य अधिकारी बने. इस तरह गया ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी में मित्र देश के भी जैंटलमैन कैडेट कड़ी ट्रेनिंग प्राप्त कर अपने देश के लिए सैन्य अधिकारी बने.
2011 से शुरू, अब तक 24 वां पासिंग आउट परेड : गया ओटीए में शनिवार को 24 वां पासिंग आउट परेड हुई. वर्ष 2011 में गया ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी की स्थापना की गई थी. उसके बाद से यहां से नए सैन्य अधिकारी देश को मिलते रहे हैं. वहीं भारत के मित्र देशों को भी सैन्य अधिकारी मिल रहे हैं. अब तक 2000 से अधिक सैन्य अधिकारी गया ओटीए दे चुके है. जानकारी हो, कि वर्ष 2011 में गया ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी की स्थापना की गई थी. शौर्य, ज्ञान और संकल्प के साथ गया ओटीए में जेंटलमैन ककैडेट को ट्रेनिंग देकर सैन्य अधिकारी बनाया जा रहा है. गया ओटीए देश का तीसरा सैन्य प्रशिक्षण केंद्र है, जहां से ट्रेनिंग प्राप्त कर सैन्य अधिकारी निकलते हैं.
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