पटनाः बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट आनंद मोहन, बिहार सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत ने दो हफ्तों में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने सरकार से रिहाई से जुड़े रिकॉर्ड पेश करने को कहा है. दरअसल डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में 14 साल की सजा पूरी होने पर आनंद मोहन को 27 अप्रैल को रिहा कर दिया गया था. हालांकि इससे पहले सरकार ने रिहाई से जुड़े नियमों में संशोधन किया था. वहीं रिहाई के तुरंत बाद 29 अप्रैल को डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने इस रिलीज को चुनौती दी थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में आनंद मोहन की रिहाई को गलत ठहराया है और उन्हें वापस जेल भेजने की मांग की है.
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रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुनवाईः आपको बता दें कि बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव किया था, जिसके बाद 27 अप्रैल को आनंद मोहन सिंह को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया. इसके बाद डीएम कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में इस रिहाई के खिलाफ याचिका दायर की, जिसे कोर्ट में स्वीकार कर लिया गया. कृष्णैया की पत्नी ने कहा कि उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा है. सर्वोच्च न्यायालय निश्चित रूप से हमारे साथ न्याय करेगा. आनंद मोहन की रिलीज के दिन ही उमैया ने कहा था कि यह वोट बैंक की राजनीति है. बिहार सरकार ने राजपूत वोटों के लिए आनंद मोहन को रिहा कर दिया है.
क्या है मामलाः दरअसल डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन को हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. बाद में इसे आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया गया. नियमावली के मुताबिक सरकारी कर्मचारी की हत्या के मामले में दोषी को मृत्युपर्यंत जेल यानी 20 साल की सजा काटनी होती है. आनंद मोहन 14 साल की सजा काट चुके हैं. नीतीश सरकार ने 10 अप्रैल को जेल मैनुअल में बदलाव कर दिया, जिसके बाद सरकारी कर्मचारी की हत्या का मामला भी आम हत्या की श्रेणी में आ गया. इस बदलाव के बाद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया. आपको बता दें कि बीते जनवरी महीने में ही पार्टी के एक कार्यक्रम में मंच से नीतीश कुमार ने यह संकेत दिया था कि वे आनंद मोहन को बाहर लाने की कोशिश कर रहे हैं.