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बिहार में मेंढक बना दूल्हा, मेंढकी दुल्हनिया.. बारिश के लिए दोनों की हुई अनोखी शादी

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Published : Jul 21, 2022, 9:47 AM IST

बिहार में बारिश नहीं होने से परेशान लोगों ने मान्यता के अनुसार औरंगाबाद के अल्पा गांव (Alpa village of Aurangabad) में मेंढक और मेंढकी की शादी कराई. विवाह के बाद विदाई के समय आसमान से जोरदार बारिश होने लगी. ये देख ग्रामीणों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा. हालांकि मौसम विभाग ने पहले ही 19 जुलाई को बारिश की संभावना जताई थी.

औरंगाबाद में बारिश के लिए मेंढक की शादी
औरंगाबाद में बारिश के लिए मेंढक की शादी

औरंगाबादः बिहार के औरंगाबाद में लोग बारिश नहीं होने से परेशान (People Upset Due To Drought In Aurangabad) हैं. आधा सावन बीतने को है लेकिन जिले में धान की रोपनी अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. सूखे की इस समस्या से निजात पाने के लिए गांव के लोगों ने जो तरीका अपनाया उसे सुनकर आप भी अचरज में पड़ जाएंगे. दरअसल स्थानीय मान्यता के अनुसार हसपुरा प्रखंड के अहियापुर और अल्पा गांव में मेंढक और मेंढकी की शादी (Frog Wedding for Rain In Aurangabad) कराई गई, ताकि जिले में बारिश हो सके. यह शादी विधि विधान से ब्राह्मण-पुरोहित की उपस्थिति में संपन्न हुई.

ये भी पढ़ेंः बिहार में सूखे से बेहाल किसान का खेत में फूट-फूटकर रोते हुए Video वायरल

शादी के दौरान महिलाओं में उत्साहः अहियापुर और अल्पा गांव में हुई इस शादी के दौरान महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था. जब वो बारात के दरवाजे लगते समय मंगलचारण गीत गा रही थीं, तो ऐसा लग रहा था मानो सचमुच किसी की बारात आई है और दूल्हे की द्वार पूजा हो रही है. गाजे-बाजे के साथ आई बारात का महिलाओं ने गीत गाकर स्वागत किया. यह वर्षा के लिए मेंढक-मेंढकी की शादी थी. दुल्हन और दूल्हे के कपड़ों में लिपटे मेंढक और मेंढकी को देखकर बिल्कुल शादी जैसे माहौल का एहसास हो रहा था. इतना ही नहीं बाराती और सराती (लड़की पक्ष) के खाने के लिए भोजन की भी व्यवस्था की गई थी.

ये भी पढ़ेंः गोपालगंज में सूखे की मार झेल रहे किसान का वीडियो वायरल, रो-रोकर भगवान से लगा रहे गुहार

ग्रामीण बने मेंढकी के पिता, हुआ कन्यादानः अल्पा गांव में ये पूरा कार्यक्रम तुलसी जीविका की सीएम के नेतृत्व में संपन्न हुआ. मेढ़क की शादी में विवाह की सभी रस्में पूरी की गईं. अहियापुर गांव में नर मेंढक के पिता की भूमिका रितेश कुमार और मादा मेंढक के पिता की भूमिका भिखर पासवान ने निभाई. मेंढक बने दूल्हे का स्वागत अहियापुर गांव में सरिता देवी, सुमन देवी, कौशल्या देवी एवं चंद्रमणि देवी के साथ सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने किया. पंडित की भूमिका में ओमप्रकाश पंडित रहे, जिन्होंने मंत्रोच्चारण के बीच शादी कराई. हनुमान मंदिर परिसर में हो रही शादी को देखने के लिए पास के कई गांवों से भी लोग पहुंचे थे.

विदाई के समय हुई सचमुच की बारिशः वहीं, मंगलवार की रात मेंढक और मेंढकी की शादी के बाद विदाई की रस्म निभाई जा रही थी, तभी आसमान से जोरदार बारिश शुरू हो गई. जिससे ग्रामीणों के बीच इस प्रथा पर विश्वास और पुख्ता हो गया. हालांकि मौसम विभाग ने भी 19 जुलाई को बारिश की संभावना जताई थी. कृषि विज्ञान केंद्र औरंगाबाद में कार्यरत कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार चौबे ने भी 19 जुलाई से बारिश होने की संभावना व्यक्त की थी. इसके लिए बकायदा मौसम विभाग ने एक बुलेटिन भी जारी की थी. डॉ अनूप ने बताया कि पहले से ही निर्धारित था कि 19 जुलाई को बारिश हो सकती है.

जानें क्या है मान्यता?: दरअसल, बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने समय से ही बारिश नहीं होने की स्थिति में मेंढक और मेंढकी की शादी कराई जाती है. लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से इंद्र देवता प्रसन्न होकर वर्षा करते हैं. इन दिनों बिहार के औरंगाबाद और आसपास के जिलों में बारिश नहीं होने से सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. हर जगह धान की रोपनी में देरी हो रही है. यही कारण है कि हसपुरा थाना क्षेत्र के अल्पा गांव में सोमवार को और अहियापुर में मंगलवार को मेंढक-मेंढकी की शादी कराई गई. इन गांवों में ऐसी परंपरा रही है कि अगर बारिश नहीं हो रही है तो मेंढक-मेंढकी की शादी करा देने से भगवान इंद्रदेव की कृपा जरूर बरसती है.

औरंगाबादः बिहार के औरंगाबाद में लोग बारिश नहीं होने से परेशान (People Upset Due To Drought In Aurangabad) हैं. आधा सावन बीतने को है लेकिन जिले में धान की रोपनी अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. सूखे की इस समस्या से निजात पाने के लिए गांव के लोगों ने जो तरीका अपनाया उसे सुनकर आप भी अचरज में पड़ जाएंगे. दरअसल स्थानीय मान्यता के अनुसार हसपुरा प्रखंड के अहियापुर और अल्पा गांव में मेंढक और मेंढकी की शादी (Frog Wedding for Rain In Aurangabad) कराई गई, ताकि जिले में बारिश हो सके. यह शादी विधि विधान से ब्राह्मण-पुरोहित की उपस्थिति में संपन्न हुई.

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शादी के दौरान महिलाओं में उत्साहः अहियापुर और अल्पा गांव में हुई इस शादी के दौरान महिलाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था. जब वो बारात के दरवाजे लगते समय मंगलचारण गीत गा रही थीं, तो ऐसा लग रहा था मानो सचमुच किसी की बारात आई है और दूल्हे की द्वार पूजा हो रही है. गाजे-बाजे के साथ आई बारात का महिलाओं ने गीत गाकर स्वागत किया. यह वर्षा के लिए मेंढक-मेंढकी की शादी थी. दुल्हन और दूल्हे के कपड़ों में लिपटे मेंढक और मेंढकी को देखकर बिल्कुल शादी जैसे माहौल का एहसास हो रहा था. इतना ही नहीं बाराती और सराती (लड़की पक्ष) के खाने के लिए भोजन की भी व्यवस्था की गई थी.

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ग्रामीण बने मेंढकी के पिता, हुआ कन्यादानः अल्पा गांव में ये पूरा कार्यक्रम तुलसी जीविका की सीएम के नेतृत्व में संपन्न हुआ. मेढ़क की शादी में विवाह की सभी रस्में पूरी की गईं. अहियापुर गांव में नर मेंढक के पिता की भूमिका रितेश कुमार और मादा मेंढक के पिता की भूमिका भिखर पासवान ने निभाई. मेंढक बने दूल्हे का स्वागत अहियापुर गांव में सरिता देवी, सुमन देवी, कौशल्या देवी एवं चंद्रमणि देवी के साथ सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने किया. पंडित की भूमिका में ओमप्रकाश पंडित रहे, जिन्होंने मंत्रोच्चारण के बीच शादी कराई. हनुमान मंदिर परिसर में हो रही शादी को देखने के लिए पास के कई गांवों से भी लोग पहुंचे थे.

विदाई के समय हुई सचमुच की बारिशः वहीं, मंगलवार की रात मेंढक और मेंढकी की शादी के बाद विदाई की रस्म निभाई जा रही थी, तभी आसमान से जोरदार बारिश शुरू हो गई. जिससे ग्रामीणों के बीच इस प्रथा पर विश्वास और पुख्ता हो गया. हालांकि मौसम विभाग ने भी 19 जुलाई को बारिश की संभावना जताई थी. कृषि विज्ञान केंद्र औरंगाबाद में कार्यरत कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार चौबे ने भी 19 जुलाई से बारिश होने की संभावना व्यक्त की थी. इसके लिए बकायदा मौसम विभाग ने एक बुलेटिन भी जारी की थी. डॉ अनूप ने बताया कि पहले से ही निर्धारित था कि 19 जुलाई को बारिश हो सकती है.

जानें क्या है मान्यता?: दरअसल, बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने समय से ही बारिश नहीं होने की स्थिति में मेंढक और मेंढकी की शादी कराई जाती है. लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से इंद्र देवता प्रसन्न होकर वर्षा करते हैं. इन दिनों बिहार के औरंगाबाद और आसपास के जिलों में बारिश नहीं होने से सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. हर जगह धान की रोपनी में देरी हो रही है. यही कारण है कि हसपुरा थाना क्षेत्र के अल्पा गांव में सोमवार को और अहियापुर में मंगलवार को मेंढक-मेंढकी की शादी कराई गई. इन गांवों में ऐसी परंपरा रही है कि अगर बारिश नहीं हो रही है तो मेंढक-मेंढकी की शादी करा देने से भगवान इंद्रदेव की कृपा जरूर बरसती है.

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