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पांच राज्यों के चुनाव परिणाम तय करेंगे राष्ट्रपति चुनाव में किसकी चलेगी

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभाओं के चुनाव परिणाम तय करेंगे कि राष्ट्रपति चुनाव में किसकी चलेगी (five states assembly elections may alter Presidents Electoral College), सत्ताधारी गठबंधन का या फिर विपक्षी दलों का गठबंधन. इन राज्यों से कुल 690 विधायक चुने जाने हैं. जिस दल का बहुमत रहेगा, राष्ट्रपति के चुनाव में उसका दबदबा साफ तौर पर देखा जा सकेगा (Presidents Electoral College). पेश है वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट.

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राष्ट्रपति भवन
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Published : Jan 14, 2022, 4:55 PM IST

नई दिल्ली : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद जुलाई महीने में राष्ट्रपति का चुनाव होना है. इन राज्यों के परिणामों का सीधा असर राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा (five states assembly elections may alter Presidents Electoral College). इन राज्यों से कुल 690 विधायक चुने जाने हैं. जिस दल का बहुमत रहेगा, राष्ट्रपति के चुनाव में उसका दबदबा साफ तौर पर देखा जा सकेगा. इन परिणामों से 19 राज्यसभा की सीटों का भी गणित साफ हो जाएगा.

अगर भाजपा को बढ़त मिली, तो उसे एक बार फिर से अपने उम्मीदवार के पक्ष में वोट जुटाने में मदद मिलेगी. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पेच फंस सकता है. विधायकों के मतों का मूल्य राज्यवार भिन्न-भिन्न होता है, क्योंकि हर राज्य की जनसंख्या अलग-अलग है. हालांकि, सभी सांसदों के वोटों का मूल्य समान है. राष्ट्रपति के इलेक्टोरल कॉलेज (Presidents Electoral College) में विधायक और सांसद शामिल होते हैं.

जुलाई तक राज्यसभा की 73 सीटों पर चुनाव होने हैं. यूपी विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में भाजपा के पास 303 सीटें हैं. सपा के पास 49, बसपा के पास 15 और अपना दल के पास नौ सीटें हैं. कांग्रेस के पास सात और तीन निर्दलीय विधायक हैं. अभी तक किसी भी सर्वे ने यह दावा नहीं किया है कि भाजपा को उतनी ही सीटें आएंगी, जितनी 2017 में आई थी. इसका मतलब है कि भाजपा की सीटें घट भी सकती हैं. और ऐसा हुआ, तो राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दल अधिक ताकतवर होगा.

कुछ सर्वे ने दावा किया है कि पंजाब में कांग्रेस और आप मुख्य पार्टी होगी. यानी भाजपा को यहां से कोई बढ़त मिलेगी, इसके बहुत अधिक आसार नहीं दिख रहे हैं. बशर्ते कि कुछ कमाल हो और भाजपा-अमरिंदर सिंह का गठबंधन सबको चौंका दे.

आपको बता दें कि लोकसभा में 543 सांसदों के वोट का वैल्यू 3.84 लाख है. अभी एनडीए के पास इनमें से 2.35 लाख वोट हैं. इसी तरह से राज्यसभा के सांसदों के वोट का वैल्यू 1.65 लाख है. इनमें से एनडीए के पास 77 हजार वोट हैं. अगर आप इसमें से उन पार्टियों का वोट जोड़ दें, जो सरकार को गाहे-बगाहे मुद्दों के आधार पर समर्थन करते हैं, तो एनडीए को और अधिक बढ़त मिल सकती है. लेकिन अगर इन दलों ने विपक्षी दलों के साथ जाने का फैसला लिया, तो भाजपा के लिए स्थितियां प्रतिकूल हो सकती हैं. उदाहरण के तौर पर तेलंगाना के टीआरएस और आंध्र प्रदेश के वाईएसआरसीपी. क्योंकि तेलंगाना में भाजपा आक्रामक है, लिहाजा टीआरएस भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन करेंगे, या नहीं, कहना मुश्किल है. इसी तरह से आंध्र प्रदेश के सीएम जगन रेड्डी ने सरकार को कई बार समर्थन दिया है. ओडिशा के बीजू जनता दल की स्थिति है. बीजद ने भी सरकार का समर्थन किया है.

संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन राष्ट्रपति के पद का निर्वाचन कराने का अधिकार भारत निर्वाचन आयोग में निहित है. उनके लिए क्या है योग्यता..भारत का नागरिक होना चाहिए. पैंतीस (35) वर्ष की आयु पूर्ण होनी चाहिए. लोक सभा का सदस्य होने के लिए अर्हित होना चाहिए. भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन या किसी भी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन, उक्त किसी भी सरकार के नियंत्रणाधीन किसी भी लाभ का पदधारी नहीं होना चाहिए.

ये भी पढ़ें : समर्थक विधायकों संग अखिलेश की 'साइकिल' पर सवार हुए स्वामी प्रसाद मौर्य

नई दिल्ली : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद जुलाई महीने में राष्ट्रपति का चुनाव होना है. इन राज्यों के परिणामों का सीधा असर राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा (five states assembly elections may alter Presidents Electoral College). इन राज्यों से कुल 690 विधायक चुने जाने हैं. जिस दल का बहुमत रहेगा, राष्ट्रपति के चुनाव में उसका दबदबा साफ तौर पर देखा जा सकेगा. इन परिणामों से 19 राज्यसभा की सीटों का भी गणित साफ हो जाएगा.

अगर भाजपा को बढ़त मिली, तो उसे एक बार फिर से अपने उम्मीदवार के पक्ष में वोट जुटाने में मदद मिलेगी. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पेच फंस सकता है. विधायकों के मतों का मूल्य राज्यवार भिन्न-भिन्न होता है, क्योंकि हर राज्य की जनसंख्या अलग-अलग है. हालांकि, सभी सांसदों के वोटों का मूल्य समान है. राष्ट्रपति के इलेक्टोरल कॉलेज (Presidents Electoral College) में विधायक और सांसद शामिल होते हैं.

जुलाई तक राज्यसभा की 73 सीटों पर चुनाव होने हैं. यूपी विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में भाजपा के पास 303 सीटें हैं. सपा के पास 49, बसपा के पास 15 और अपना दल के पास नौ सीटें हैं. कांग्रेस के पास सात और तीन निर्दलीय विधायक हैं. अभी तक किसी भी सर्वे ने यह दावा नहीं किया है कि भाजपा को उतनी ही सीटें आएंगी, जितनी 2017 में आई थी. इसका मतलब है कि भाजपा की सीटें घट भी सकती हैं. और ऐसा हुआ, तो राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दल अधिक ताकतवर होगा.

कुछ सर्वे ने दावा किया है कि पंजाब में कांग्रेस और आप मुख्य पार्टी होगी. यानी भाजपा को यहां से कोई बढ़त मिलेगी, इसके बहुत अधिक आसार नहीं दिख रहे हैं. बशर्ते कि कुछ कमाल हो और भाजपा-अमरिंदर सिंह का गठबंधन सबको चौंका दे.

आपको बता दें कि लोकसभा में 543 सांसदों के वोट का वैल्यू 3.84 लाख है. अभी एनडीए के पास इनमें से 2.35 लाख वोट हैं. इसी तरह से राज्यसभा के सांसदों के वोट का वैल्यू 1.65 लाख है. इनमें से एनडीए के पास 77 हजार वोट हैं. अगर आप इसमें से उन पार्टियों का वोट जोड़ दें, जो सरकार को गाहे-बगाहे मुद्दों के आधार पर समर्थन करते हैं, तो एनडीए को और अधिक बढ़त मिल सकती है. लेकिन अगर इन दलों ने विपक्षी दलों के साथ जाने का फैसला लिया, तो भाजपा के लिए स्थितियां प्रतिकूल हो सकती हैं. उदाहरण के तौर पर तेलंगाना के टीआरएस और आंध्र प्रदेश के वाईएसआरसीपी. क्योंकि तेलंगाना में भाजपा आक्रामक है, लिहाजा टीआरएस भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन करेंगे, या नहीं, कहना मुश्किल है. इसी तरह से आंध्र प्रदेश के सीएम जगन रेड्डी ने सरकार को कई बार समर्थन दिया है. ओडिशा के बीजू जनता दल की स्थिति है. बीजद ने भी सरकार का समर्थन किया है.

संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन राष्ट्रपति के पद का निर्वाचन कराने का अधिकार भारत निर्वाचन आयोग में निहित है. उनके लिए क्या है योग्यता..भारत का नागरिक होना चाहिए. पैंतीस (35) वर्ष की आयु पूर्ण होनी चाहिए. लोक सभा का सदस्य होने के लिए अर्हित होना चाहिए. भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन या किसी भी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन, उक्त किसी भी सरकार के नियंत्रणाधीन किसी भी लाभ का पदधारी नहीं होना चाहिए.

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