वैशाली : हाजीपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस अपने भतीजे चिराग पासवान को एनडीए से निमंत्रण मिलने के बाद असहज हो गए हैं. उन्होंने अपने को चिराग से बेहतर बताया है. पशुपति पारस ने कहा है कि उनके बड़े भाई रामविलास पासवान ने उनसे कहा था कि चिराग भले ही मेरा बेटा है लेकिन विश्वास सिर्फ तुमपर है. तुम ही मेरे भविष्य के उत्तराधिकारी हो. इसलिए हाजीपुर से चुनाव लड़ो.
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'रामविलास जी कहते थे मुझे तुम पर भरोसा..' : पशुपति पारस ने कहा कि उस वक्त मुझे रामविलास जी ने बुलाकर कहा था कि तुम हाजीपुर की जनता की सेवा करो. तब से मैं अनवरत यहां की जनता की सेवा कर रहा हूं. पशुपति पारस के मुताबिक चिराग के अलावा 31 पार्टियों को बुलाया गया है, अभी अन्य दलों को चिट्ठी जारी की जा रही है. बात चिराग को बुलाने की नहीं है बल्कि उनके उस डिमांड की है, ऐसे में उनकी डिमांड का क्या होगा? अब चिराग पासवान कहते हैं कि हम हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे. जबकि इस सीट पर मुझे चुनाव में लड़ाने का फैसला मेरे भाई दिवंगत रामविलास पासवान का था.
चिराग को निमंत्रण से चाचा के माथे पर शिकन ? : दरअसल, चिराग को एनडीए की बैठक में शामिल होने का निमंत्रण मिला हुआ है. चिराग की डिमांड हाजीपुर से लड़ने की है. इसलिए पशुपति पारस को डर है कि कहीं उनके हाथ से कहीं हाजीपुर फिसल न जाए. अपने दिल का गुबार उन्होंने वैशाली के लालगंज में आयोजित रामविलास लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान निकाला.
''पासवान जी ने उनसे कहा था कि मुझे चिराग से ज्यादा तुम पर भरोसा है. तुम्हीं मेरे भविष्य के उत्तराधिकारी हो इसलिए तुम हाजीपुर से चुनाव लड़ोगे. मैं चुनाव लड़ा भी और जीता भी. जंगल में हजारों जीव रहता है उसी तरह से एनडीए पार्टी है. 18 जुलाई की बैठक में सिर्फ चिराग को ही नहीं बुलाया गया है. 31 अन्य पार्टियों को न्योता दिया गया है.''- पशुपति पारस, प्रमुख, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी
चाचा कैसे करेंगे Welcome चिराग? : अब देखना है कि चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच का शीत युद्ध चुनावों तक और सीट बंटवारे तक कौन कौन से मोड़ लेता है. चिराग पासवान का एनडीए में शामिल होना तय है. ऐसे में पशुपति पारस को मुश्किलें बढ़ती हुईं दिख रही हैं. एनडीए के लिए भी ये स्विचवेशन ठीक नहीं रहने वाला है. क्योंकि इससे चुनाव में एक दल दूसरे दल को नीचा दिखाने के लिए कुछ भी कर सकता है.
हाजीपुर रही है रामविलास पासवान की पारंपरिक सीट : बता दें कि हाजीपुर सीट से रामविलास पासवान ने रिकॉर्ड कई बार यहां से चुनाव जीता था. उनके निधन के बाद हाजीपुर सीट पर पशुपति पारस चुनाव लड़े और जीतकर आए. लेकिन अब पशुपति पारस को उनके भतीजे चिराग पासवान छीन लेंगे, ऐसा डर पशुपति पारस के अंदर घर कर गया है. यही वजह है कि वो मंच से दावा कर रहे हैं कि हाजीपुर सीट से असली उत्तराधिकारी भी वही हैं.