नई दिल्ली : राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को इतिहास रच दिया. वह देश की पहली आदिवासी महिला होंगी, जो राष्ट्रपति पद का शपथ लेंगी. वह देश की दूसरी महिला होंगी, जो इस पद पर आसीन होने जा रहीं हैं. इससे पहले प्रतिभा पाटिल महिला राष्ट्रपति रह चुकी हैं. मुर्मू ओडिशा की रहने वाली हैं. (Droupadi murmu wins president election).
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द्रौपदी मुर्मू का गांव अपरबेड़ा ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 250 किलोमीटर दूर है. उनका गांव मयूरभंज जिले में पड़ता है. उनके भाई ने मीडिया को बताया कि गांव में दो दिनों से जश्न मनाया जा रहा है. उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. उनके गांव में भोज का भी आयोजन किया गया है. यहां आप देख सकते हैं कि उनके घर के बाहर ढोल बजाकर लोग खुशी मना रहे हैं.
मुर्मू की पूरी जिंदगी खुली किताब की तरह है. वह बिल्कुल ही सादा जीवन जीती हैं. हालांकि, वह ओडिशा में मंत्री भी रह चुकी हैं. और उसके बाद वह झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं. इसके बाद भी उनकी जीवनशैली में कोई बदलाव नहीं आया. मुर्मू का देश और दुनिया में अध्यात्म का अलख जगा रही प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक संस्थान से गहरा जुड़ाव रहा है. 2009 में वह इस आध्यात्मिक संस्थान से जुड़ीं और ब्रह्माकुमारी बहनों ने उन्हें राजयोग मेडिटेशन सिखाया था. कहा जाता है कि 2009 से ही उन्होंने प्याज और लहसुन का भी त्याग कर दिया था. मुर्मू का कहना है कि राजयोग मेडिटेशन और संस्था के ज्ञान ने उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में बहुत मदद की है.
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राजनीतिक सफर पर एक नजर : 20 जून 1958 को ओडिशा में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वह 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर में जिला बोर्ड की पार्षद चुनी गई थीं. राजनीति में आने के पहले वह श्रीअरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी हैं. वह ओडिशा में दो बार विधायक रह चुकी हैं और उन्हें नवीन पटनायक सरकार में मंत्री पद पर भी काम करने का मौका मिला था. उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी. ओडिशा विधानसभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी नवाजा था.
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