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द्रौपदी मुर्मू : सादगी से परिपूर्ण व्यक्तित्व, प्याज-लहसुन से भी करती हैं परहेज

द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति का चुनाव जीत चुकी हैं. वह भारत की पहली आदिवासी महिला होंगी, जो राष्ट्रपति बनेंगी. वह ओडिशा के अपरबेड़ा गांव से आतीं हैं. उनके गांवों में सुबह से ही जश्न का माहौल है. मुर्मू अपनी सादगी के लिए जानी जाती हैं. वह प्याज-लहसुन का भी इस्तेमाल नहीं करती हैं. (Droupadi murmu wins president election).

president congratulate murmu
राष्ट्रपति ने दी बधाई
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Published : Jul 21, 2022, 9:12 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को इतिहास रच दिया. वह देश की पहली आदिवासी महिला होंगी, जो राष्ट्रपति पद का शपथ लेंगी. वह देश की दूसरी महिला होंगी, जो इस पद पर आसीन होने जा रहीं हैं. इससे पहले प्रतिभा पाटिल महिला राष्ट्रपति रह चुकी हैं. मुर्मू ओडिशा की रहने वाली हैं. (Droupadi murmu wins president election).

murmu
सैंड आर्टिस्ट ने बनाई तस्वीर

द्रौपदी मुर्मू का गांव अपरबेड़ा ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 250 किलोमीटर दूर है. उनका गांव मयूरभंज जिले में पड़ता है. उनके भाई ने मीडिया को बताया कि गांव में दो दिनों से जश्न मनाया जा रहा है. उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. उनके गांव में भोज का भी आयोजन किया गया है. यहां आप देख सकते हैं कि उनके घर के बाहर ढोल बजाकर लोग खुशी मना रहे हैं.

droupadi murmu
अपनी माता और भाई के साथ द्रौपदी मुर्मू

मुर्मू की पूरी जिंदगी खुली किताब की तरह है. वह बिल्कुल ही सादा जीवन जीती हैं. हालांकि, वह ओडिशा में मंत्री भी रह चुकी हैं. और उसके बाद वह झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं. इसके बाद भी उनकी जीवनशैली में कोई बदलाव नहीं आया. मुर्मू का देश और दुनिया में अध्यात्म का अलख जगा रही प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक संस्थान से गहरा जुड़ाव रहा है. 2009 में वह इस आध्यात्मिक संस्थान से जुड़ीं और ब्रह्माकुमारी बहनों ने उन्हें राजयोग मेडिटेशन सिखाया था. कहा जाता है कि 2009 से ही उन्होंने प्याज और लहसुन का भी त्याग कर दिया था. मुर्मू का कहना है कि राजयोग मेडिटेशन और संस्था के ज्ञान ने उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में बहुत मदद की है.

murmu
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक संस्थान में द्रौपदी मुर्मू
photo of school
स्कूल के समय की तस्वीर
uperveda village
अपरबेड़ा गांव

राजनीतिक सफर पर एक नजर : 20 जून 1958 को ओडिशा में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वह 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर में जिला बोर्ड की पार्षद चुनी गई थीं. राजनीति में आने के पहले वह श्रीअरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी हैं. वह ओडिशा में दो बार विधायक रह चुकी हैं और उन्हें नवीन पटनायक सरकार में मंत्री पद पर भी काम करने का मौका मिला था. उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी. ओडिशा विधानसभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी नवाजा था.

murmu
एक परिचय

ये भी पढ़ें : द्रौपदी मुर्मू ने जीता राष्ट्रपति चुनाव, पीएम ने दी बधाई

नई दिल्ली : राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को इतिहास रच दिया. वह देश की पहली आदिवासी महिला होंगी, जो राष्ट्रपति पद का शपथ लेंगी. वह देश की दूसरी महिला होंगी, जो इस पद पर आसीन होने जा रहीं हैं. इससे पहले प्रतिभा पाटिल महिला राष्ट्रपति रह चुकी हैं. मुर्मू ओडिशा की रहने वाली हैं. (Droupadi murmu wins president election).

murmu
सैंड आर्टिस्ट ने बनाई तस्वीर

द्रौपदी मुर्मू का गांव अपरबेड़ा ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 250 किलोमीटर दूर है. उनका गांव मयूरभंज जिले में पड़ता है. उनके भाई ने मीडिया को बताया कि गांव में दो दिनों से जश्न मनाया जा रहा है. उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. उनके गांव में भोज का भी आयोजन किया गया है. यहां आप देख सकते हैं कि उनके घर के बाहर ढोल बजाकर लोग खुशी मना रहे हैं.

droupadi murmu
अपनी माता और भाई के साथ द्रौपदी मुर्मू

मुर्मू की पूरी जिंदगी खुली किताब की तरह है. वह बिल्कुल ही सादा जीवन जीती हैं. हालांकि, वह ओडिशा में मंत्री भी रह चुकी हैं. और उसके बाद वह झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं. इसके बाद भी उनकी जीवनशैली में कोई बदलाव नहीं आया. मुर्मू का देश और दुनिया में अध्यात्म का अलख जगा रही प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक संस्थान से गहरा जुड़ाव रहा है. 2009 में वह इस आध्यात्मिक संस्थान से जुड़ीं और ब्रह्माकुमारी बहनों ने उन्हें राजयोग मेडिटेशन सिखाया था. कहा जाता है कि 2009 से ही उन्होंने प्याज और लहसुन का भी त्याग कर दिया था. मुर्मू का कहना है कि राजयोग मेडिटेशन और संस्था के ज्ञान ने उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में बहुत मदद की है.

murmu
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक संस्थान में द्रौपदी मुर्मू
photo of school
स्कूल के समय की तस्वीर
uperveda village
अपरबेड़ा गांव

राजनीतिक सफर पर एक नजर : 20 जून 1958 को ओडिशा में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वह 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर में जिला बोर्ड की पार्षद चुनी गई थीं. राजनीति में आने के पहले वह श्रीअरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी हैं. वह ओडिशा में दो बार विधायक रह चुकी हैं और उन्हें नवीन पटनायक सरकार में मंत्री पद पर भी काम करने का मौका मिला था. उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी. ओडिशा विधानसभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी नवाजा था.

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एक परिचय

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