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PM Modi Germany Visit: नई दिल्ली से बर्लिन तक खींची गई 'सुरक्षा' की दीवार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जर्मनी यात्रा का मुख्य आकर्षण काउंटर टेरर से लेकर रणनीतिक साझेदारी है. जिसमें इस मुद्दे से लेकर सुरक्षा तक की खुफिया सूचनाओं को सक्रिय रूप से साझा करने के लिए प्रोटोकॉल की स्थापना की गई है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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Published : May 3, 2022, 5:54 PM IST

Updated : May 3, 2022, 6:01 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने जर्मन समकक्ष एनालेना बेरबॉक के साथ इस आशय की संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए. जिसमें वर्गीकृत सूचनाओं के आदान-प्रदान और पारस्परिक संरक्षण पर समझौते की स्थापना हुई. साथ ही प्रत्यक्ष सूचनाओं को स्थापित करने के लिए MEA और जर्मन विदेश कार्यालय के बीच एन्क्रिप्टेड कनेक्शन तय किया गया.

यह समझौता दोनों देशों के बीच किसी तीसरे पक्ष को सामग्री तक पहुंच दिए बिना खुफिया जानकारी से संबंधित डेटा के आदान-प्रदान और हस्तांतरण के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करने में सक्षम बनायेगा. यह दो टर्मिनल बिंदुओं पर डेटा को सुरक्षित रूप से एक्सेस करने के लिए आर्किटेक्चर स्थापित करेगा. दोनों पक्षों पर नोडल अधिकारियों की स्थापना करेगा और आपात स्थिति से निपटने के लिए तंत्र प्रक्रियाओं को पूरा करेगा.

हालांकि दो मित्र देशों के बीच एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड संचार चैनल होना एक सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन जर्मनी के साथ यह इसलिए भी जरुरी है क्योंकि जर्मनी से संचालित कश्मीरी और सिख अलगाववादियों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा. सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) सहित खालिस्तान आंदोलन से जुड़े आतंकवादी तत्वों, समर्थकों और कार्यकर्ताओं को जर्मनी में सक्रिय होने के लिए जाना जाता है.

पीएम मोदी की जर्मनी यात्रा
पीएम मोदी की जर्मनी यात्रा

भारतीय खुफिया सूत्रों का कहना है कि इन अलगाववादियों को भेजने के लिए जर्मनी का इस्तेमाल किया जा रहा है. पिछले साल दिसंबर में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए जर्मन अधिकारियों ने एसएफजे कार्यकर्ता जसविंदर सिंह मुल्तानी को उठाया था. जिसके बारे में माना जाता है कि वह 23 दिसंबर 2021 को लुधियाना कोर्ट परिसर में बम विस्फोट में शामिल था. जिसमें एक की मौत हो गई थी. मुल्तानी को जर्मन पुलिस ने मध्य जर्मनी के एरफर्ट से गिरफ्तार किया था.

पाकिस्तान का नाम लिए बिना भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन संघीय चांसलर ओलाफ स्कोल्ज द्वारा हस्ताक्षरित संयुक्त बयान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे और आतंक सुरक्षित पनाहगाहों को जड़ से खत्म करने का स्पष्ट आह्वान किया गया है. ऐसा इसलिए क्योकि इसी साल 5 फरवरी को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कश्मीर एकजुटता दिवस के अवसर पर कश्मीर मुद्दे को उजागर करने के लिए बर्लिन में पाकिस्तानी दूतावास का उपयोग किया था.

यह भी पढ़ें- डेनमार्क पहुंचे पीएम मोदी, डेनिश प्रधानमंत्री से मिलेंगे, दूसरे भारत-नॉर्डिक सम्मेलन में होंगे शामिल

भारत-जर्मन संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद की कड़ी निंदा की. जिसमें आतंकवादी प्रॉक्सी वार और सीमा पार आतंकवाद का उपयोग शामिल है. उन्होंने सभी देशों से आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाहों और बुनियादी ढांचे को खत्म करने, आतंकवादी नेटवर्क को बाधित करने और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार वित्तपोषण करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया.

नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने जर्मन समकक्ष एनालेना बेरबॉक के साथ इस आशय की संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए. जिसमें वर्गीकृत सूचनाओं के आदान-प्रदान और पारस्परिक संरक्षण पर समझौते की स्थापना हुई. साथ ही प्रत्यक्ष सूचनाओं को स्थापित करने के लिए MEA और जर्मन विदेश कार्यालय के बीच एन्क्रिप्टेड कनेक्शन तय किया गया.

यह समझौता दोनों देशों के बीच किसी तीसरे पक्ष को सामग्री तक पहुंच दिए बिना खुफिया जानकारी से संबंधित डेटा के आदान-प्रदान और हस्तांतरण के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करने में सक्षम बनायेगा. यह दो टर्मिनल बिंदुओं पर डेटा को सुरक्षित रूप से एक्सेस करने के लिए आर्किटेक्चर स्थापित करेगा. दोनों पक्षों पर नोडल अधिकारियों की स्थापना करेगा और आपात स्थिति से निपटने के लिए तंत्र प्रक्रियाओं को पूरा करेगा.

हालांकि दो मित्र देशों के बीच एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड संचार चैनल होना एक सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन जर्मनी के साथ यह इसलिए भी जरुरी है क्योंकि जर्मनी से संचालित कश्मीरी और सिख अलगाववादियों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा. सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) सहित खालिस्तान आंदोलन से जुड़े आतंकवादी तत्वों, समर्थकों और कार्यकर्ताओं को जर्मनी में सक्रिय होने के लिए जाना जाता है.

पीएम मोदी की जर्मनी यात्रा
पीएम मोदी की जर्मनी यात्रा

भारतीय खुफिया सूत्रों का कहना है कि इन अलगाववादियों को भेजने के लिए जर्मनी का इस्तेमाल किया जा रहा है. पिछले साल दिसंबर में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए जर्मन अधिकारियों ने एसएफजे कार्यकर्ता जसविंदर सिंह मुल्तानी को उठाया था. जिसके बारे में माना जाता है कि वह 23 दिसंबर 2021 को लुधियाना कोर्ट परिसर में बम विस्फोट में शामिल था. जिसमें एक की मौत हो गई थी. मुल्तानी को जर्मन पुलिस ने मध्य जर्मनी के एरफर्ट से गिरफ्तार किया था.

पाकिस्तान का नाम लिए बिना भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन संघीय चांसलर ओलाफ स्कोल्ज द्वारा हस्ताक्षरित संयुक्त बयान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे और आतंक सुरक्षित पनाहगाहों को जड़ से खत्म करने का स्पष्ट आह्वान किया गया है. ऐसा इसलिए क्योकि इसी साल 5 फरवरी को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कश्मीर एकजुटता दिवस के अवसर पर कश्मीर मुद्दे को उजागर करने के लिए बर्लिन में पाकिस्तानी दूतावास का उपयोग किया था.

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भारत-जर्मन संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद की कड़ी निंदा की. जिसमें आतंकवादी प्रॉक्सी वार और सीमा पार आतंकवाद का उपयोग शामिल है. उन्होंने सभी देशों से आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाहों और बुनियादी ढांचे को खत्म करने, आतंकवादी नेटवर्क को बाधित करने और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार वित्तपोषण करने की दिशा में काम करने का आह्वान किया.

Last Updated : May 3, 2022, 6:01 PM IST
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