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IRCTC Scam: राजेश सक्सेना और भूपेंद्र कुमार अग्रवाल पर आरोप तय करने को लेकर हुई बहस, अगली सुनवाई 16 अगस्त को - Debate on framing of charges regarding IRCTC Scam

आईआरसीटीसी घोटाला मामले में आरोपी नंबर 10 राकेश सक्सेना और आरोपित नंबर 11 भूपेंद्र कुमार अग्रवाल के खिलाफ आरोप तय करने पर सोमवार को बहस हुई. बहस के बाद विशेष सीबीआई जज गीतांजलि गोयल ने मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त तय की है.

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राजेश सक्सेना और भूपेंद्र कुमार अग्रवाल
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Published : Aug 7, 2023, 2:40 PM IST

नई दिल्ली: आईआरसीटीसी घोटाला मामले में आरोपित नंबर 10 राकेश सक्सेना और आरोपित नंबर 11 भूपेंद्र कुमार अग्रवाल पर आरोप तय करने को लेकर दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में बहस हुई. इस दौरान राकेश सक्सेना की ओर से एडवोकेट संजय एबॉट पेश हुए. वहीं, अग्रवाल की ओर से उनके वकील पेश हुए. जबकि सीबीआई की ओर से वरिष्ठ लोक अभियोजक (एसपीपी) डीपी सिंह पेश हुए. बहस के बाद विशेष सीबीआई जज गीतांजलि गोयल ने मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त तय कर दी. इस दिन अब अन्य आरोपितों पर आरोप तय करने को लेकर बहस होगी.

उल्लेखनीय है कि आईआरसीटीसी घोटाला मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर 30 जुलाई को बहस पूरी हो गई थी. इसके बाद कोर्ट ने सात अगस्त को आरोपित नंबर 10 और 11 पर आरोप तय करने के लिए बहस की तारीख तय की थी. मामले में लालू यादव आरोपित नंबर एक हैं, जबकि राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव दूसरे व तीसरे नंबर के आरोपित हैं.

30 जुलाई को बहस के दौरान कोर्ट में दलीलें में पेश करते हुए लालू प्रसाद यादव के वकील ने कहा था कि सीबीआई के पास मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे यह साबित किया जा सके कि लालू यादव ने किसी को आईआरसीटीसी का टेंडर दिलाने में कोई भूमिका निभाई थी. लालू के वकील ने कहा कि हाई प्रोफाइल मामलों में सीबीआई को पुख्ता सबूतों के साथ आना चाहिए. सिर्फ हवा हवाई बातों के आधार पर आरोप तय करने की मांग नहीं की जा सकती. वहीं, सीबीआई के वकील ने कहा आईआरसीटीसी का टेंडर दो अन्य फर्मों को दिलाने के लिए नीति बदलने में लालू यादव की भूमिका थी.

यह है मामला
मामला वर्ष 2004 से लेकर 2009 के बीच का है जब लालू प्रसाद यादव देश के रेल मंत्री थे. उस समय रेलवे बोर्ड ने देश में संचालित सभी होटलों और ट्रेनों की कैटरिंग सेवा का काम आईआरसीटीसी को सौंप दिया था. इसी दौरान रांची और उड़ीसा के होटलों के टेंडर में गड़बड़ी का मामला सामने आया था.

भूखंड रिश्वत के रूप में लेने का आरोप
बता दें कि वर्ष 2004 से 2009 के दौरान लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे तो रांची और पुरी में संचालित दो होटलों की देखरेख का काम अचानक सुजाता होटल्स नामक एक निजी कंपनी को दे दिया गया था. विजय और विनय कोचर इस कंपनी के मालिक थे. सीबीआई का आरोप है कि दोनों होटलों की देखरेख का काम मिलने के बदले में इन लोगों ने लालू यादव को पटना में 3 एकड़ जमीन दे दी, जो बेनामी संपत्ति थी. वर्ष 2017 में सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित कई अन्य के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज कर लिया था. वहीं, ईडी ने वर्ष 2018 में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पीसी गुप्ता, सरला गुप्ता सहित 16 लोगों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.

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उल्लेखनीय है कि आईआरसीटीसी घोटाला मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर 30 जुलाई को बहस पूरी हो गई थी. इसके बाद कोर्ट ने सात अगस्त को आरोपित नंबर 10 और 11 पर आरोप तय करने के लिए बहस की तारीख तय की थी. मामले में लालू यादव आरोपित नंबर एक हैं, जबकि राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव दूसरे व तीसरे नंबर के आरोपित हैं.

30 जुलाई को बहस के दौरान कोर्ट में दलीलें में पेश करते हुए लालू प्रसाद यादव के वकील ने कहा था कि सीबीआई के पास मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे यह साबित किया जा सके कि लालू यादव ने किसी को आईआरसीटीसी का टेंडर दिलाने में कोई भूमिका निभाई थी. लालू के वकील ने कहा कि हाई प्रोफाइल मामलों में सीबीआई को पुख्ता सबूतों के साथ आना चाहिए. सिर्फ हवा हवाई बातों के आधार पर आरोप तय करने की मांग नहीं की जा सकती. वहीं, सीबीआई के वकील ने कहा आईआरसीटीसी का टेंडर दो अन्य फर्मों को दिलाने के लिए नीति बदलने में लालू यादव की भूमिका थी.

यह है मामला
मामला वर्ष 2004 से लेकर 2009 के बीच का है जब लालू प्रसाद यादव देश के रेल मंत्री थे. उस समय रेलवे बोर्ड ने देश में संचालित सभी होटलों और ट्रेनों की कैटरिंग सेवा का काम आईआरसीटीसी को सौंप दिया था. इसी दौरान रांची और उड़ीसा के होटलों के टेंडर में गड़बड़ी का मामला सामने आया था.

भूखंड रिश्वत के रूप में लेने का आरोप
बता दें कि वर्ष 2004 से 2009 के दौरान लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे तो रांची और पुरी में संचालित दो होटलों की देखरेख का काम अचानक सुजाता होटल्स नामक एक निजी कंपनी को दे दिया गया था. विजय और विनय कोचर इस कंपनी के मालिक थे. सीबीआई का आरोप है कि दोनों होटलों की देखरेख का काम मिलने के बदले में इन लोगों ने लालू यादव को पटना में 3 एकड़ जमीन दे दी, जो बेनामी संपत्ति थी. वर्ष 2017 में सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित कई अन्य के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज कर लिया था. वहीं, ईडी ने वर्ष 2018 में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पीसी गुप्ता, सरला गुप्ता सहित 16 लोगों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.

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